Electoral Bond Scheme : चुनाव आयोग ने बता दिया कि सियासी दलों को किसने, कितना चंदा दिया!

आशंका के विपरीत इस लिस्ट में न तो अंबानी की कोई कंपनी और न अडानी या टाटा की!

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Electoral Bond Scheme : चुनाव आयोग ने बता दिया कि सियासी दलों को किसने, कितना चंदा दिया!

New Delhi : इलेक्शन बॉन्ड की सच्चाई उजागर हो गई। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद चुनाव आयोग ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) से मिले डाटा को एक दिन पहले गुरुवार (14 मार्च) को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया। जबकि, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 15 मार्च शाम 5 बजे से पहले डाटा प्रकाशित करने का निर्देश दिया था। एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए 12 मार्च को ही चुनाव आयोग को चुनावी बॉन्ड से संबंधित सारा डेटा भेज दिया था।

चुनाव आयोग ने एसबीआई से मिली चुनावी बॉन्ड संबंधित जानकारी को दो भागों में रखा है। चुनाव निकाय के आंकड़ों के मुताबिक, इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों में ग्रासिम इंडस्ट्रीज, मेघा इंजीनियरिंग, पीरामल एंटरप्राइजेज, टोरेंट पावर, भारती एयरटेल, डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स, वेदांता लिमिटेड, अपोलो टायर्स, लक्ष्मी मित्तल, एडलवाइस, पीवीआर, केवेंटर, सुला वाइन, वेलस्पन, और सन फार्मा शामिल हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों की लिस्ट में अडानी, टाटा और अंबानी की कोई कंपनी शामिल नहीं हैं।

किसने केश कराए इलेक्टोरल बांड 

सामने आए आंकड़ों के मुताबिक, चुनावी बॉन्ड कैश कराने वाली पार्टियों में बीजेपी, कांग्रेस, अन्ना डीएमके, बीआरएस, शिवसेना, टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस, डीएमके, जेडीएस, एनसीपी, टीएमसी, जदयू, राजद, आप और समाजवादी पार्टी शामिल हैं।

 

क्या थी और कब शुरू हुई ये स्कीम

2018 में मोदी सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम की शुरुआत की थी। तब सरकार ने दलील दी थी कि इससे राजनीतिक दलों को मिलने वाली फंडिंग में पारदर्शिता आएगी। इसे राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले नकद चंदे के विकल्प के रूप में देखा गया था। इलेक्टोरल बांड स्कीम के जरिए चंदा ऐसे राजीनीतिक दल हासिल कर सकते थे, जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29ए के तहत रजिस्टर्ड हैं। जिन्हें पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनाव में एक प्रतिशत से अधिक वोट मिले हों।

 

स्कीम को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक और RTI के खिलाफ बताते हुए इसे रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड जारी करने वाली SBI बैंक को अप्रैल 2019 से स्कीम जारी रहने तक पार्टियों को मिले चंदे की जानकारी चुनाव आयोग को देने का आदेश दिया था। कोर्ट ने चुनाव आयोग को यह जानकारी अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने के लिए कहा था, जो 14 मार्च को की गई।

 

क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने?

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने एसबीआई को मंगलवार, 12 मार्च को कामकाजी घंटों की समाप्ति तक जानकारी का खुलासा करने का आदेश दिया था। पांच न्यायाधीशों की बेंच (जिसमें सीजेआई के अलावा जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे) ने कहा था कि हम भारत के चुनाव आयोग को निर्देश देते हैं कि वह एसबीआई से जानकारी हासिल कर 15 मार्च को शाम 5 बजे से पहले अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर विवरण प्रकाशित करे। इस निर्देश का पालन करते हुए चुनाव आयोग ने 14 मार्च की शाम को ही यह विवरण अपनी वेबसाइट पर डाल दिया।