एलन मस्क की नहीं चली भारत में

एलन मस्क की नहीं चली भारत में

एलन मस्क की नहीं चली भारत में

प्रधानमंत्री चुने जाने के एक साल बाद जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमेरिका के दौरे पर थे, तब वे सेन फ्रांसिस्को के पास टेस्ला मोटर्स के मुख्यालय भी गए थे। प्रधानमंत्री की इच्छा थी, वहां काम करने वाले भारतीय मूल के लोगों से मुलाकात और एलन मस्क से भी बातचीत। प्रधानमंत्री ने एलन मस्क को कहा था कि अगर वे इलेक्ट्रिक कार टेस्ला का उत्पादन भारत में करना चाहें, तो उनका स्वागत होगा। प्रधानमंत्री टेस्ला की महंगी टेक्नोलॉजी को इम्पोर्ट करने के इच्छुक नहीं थे, लेकिन प्रधानमंत्री के साथ गया दल इस बात में इच्छुक था कि टेस्ला में सौर उर्जा से चलने वाली बैटरी भारत को उपलब्ध हो सकें।

हाल ही में एलन मस्क टि्वटर पर आधिपत्य को लेकर चर्चा में आए हैं। सनकी और तुनकमिजाज एलन मस्क अपनी करतूतों से टि्वटर के स्टाफ तथा यूजर्स के लिए परेशानी बन गए हैं। उन्होंने कर्मचारियों से कहा है कि अगर वे सातों दिन, रोज 12 घंटे काम नहीं करना चाहते, तो कहीं और काम ढूंढ लें। भारतीय मूल के सीईओ पराग अग्रवाल सहित 6 वरिष्ठ अधिकारी टि्वटर से रुखसत कर चुके हैं और हजारों करने जा रहे हैं। महीनों तक झूलती रहने वाली टि्वटर डील के संपन्न होते ही एलन मस्क ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया और टि्वटर यूजर्स से कहा कि ब्लू टिक के पैसे देने होंगे। टि्वटर विज्ञापन का बड़ा मंच है और वहीं उसकी अर्थव्यवस्था का आधार भी हैं। अब एलन मस्क टि्वटर का उपयोग अपने साम्राज्य के विस्तार के लिए करने की योजना बना रहे हैं।

एलन मस्क की नहीं चली भारत में

एलन मस्क भौकाल क्रिएट करने में महारत रखते हैं। उन्होंने अंतरिक्ष पर्यटन जैसी कपोलकल्पित परियोजना के बल पर इन्वेस्टर्स से अरबों डॉलर इकट्ठा कर लिए हैं। मंगल ग्रह पर बस्ती बसाने की उनकी योजना हैं। उनकी न्यूरा लिंक परियोजना फ्लॉप हो चुकी हैं और इंसान जैसा रोबोट बनाने की कल्पना भी कोई बहुत साकार नहीं हो पाई हैं। टेस्ला जैसी इलेक्ट्रिक कार के साथ ही वे ड्रायवरलेस कार की कल्पना लेकर आए हैं, जिसका सफल व्यावसायिक उत्पादन और उपयोग अभी कुछ वर्षों तक तो होता नजर नहीं आ रहा।

मस्क के समर्थक कहते हैं कि मस्क भविष्यवादी उद्योगपति हैं। वे दशकों पहले ही भविष्य की कल्पना कर चुके हैं। उनकी सभी कल्पना साकार होगी। यह बात और है कि उसमें थोड़ा वक्त लगेगा। अरबों डॉलर के निवेश के बाद भी टेस्ला जिस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बात करती हैं, उसमें पिछले वर्ष केवल 5 लाख कारों की ही डिलीवरी दी थी। यानी दुनिया में जितनी कारें बिकी, टेस्ला उसका 1 प्रतिशत भी नहीं बना पाई।

कई लोगों का मानना है कि एलन मस्क अमेरिका का मुंगेरी लाल हैं। उन्होंने अपनी स्पेस एक्स परियोजना के तहत अंतरिक्ष पर कब्जा करने की जो योजना बनाई थी, उस पर बूस्टर रॉकेट में ग्राउंड टेस्ट के दौरान ही आग लग गई थी। यह एक बड़े सपने का अंत था। एलन मस्क ऑफ प्लेनेट कारों की भी कल्पना करते हैं। यों भी एलन मस्क की गतिविधियां विवादों में रही हैं। पे पॉल कंपनी के सीईओ रहते हुए एलन मस्क के फैसले और कथित घोटाले चर्चा में बने हुए हैं। पिछले साल ही उन्होंने टेस्ला के पौने छह अरब डॉलर के शेयर चैरिटी में दे दिए थे। चर्चा है कि वह डॉलर कहा गए, किसके पास गए और उनसे चैरिटी का क्या काम हुआ?

एलन मस्क की नहीं चली भारत में

जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी टेस्ला के मुख्यालय गए थे, तब मस्क को यह अपेक्षा थी कि भारत टेस्ला कारों के लिए पलक पावड़े बिछाएगा। प्रधानमंत्री और भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी यह बात बार-बार स्पष्ट की थी कि भारत में टेस्ला का स्वागत हैं। बशर्ते कि वह अपनी उत्पादन यूनिट भारत में शुरू करें, लेकिन एलन मस्क को तो लगता था कि वह सरकारों से भी ऊपर का व्यक्ति हैं। मस्क की मंशा थी कि वह चीन में फैक्ट्री खोलें और वहां से कारें बनाकर भारत को निर्यात करें। भारत ने कहा कि इससे हमें क्या फायदा? हम आपकी 30-40 लाख की कारें भारत में बिकने के लिए इम्पोर्ट करें और उसका फायदा उठाएं चीन। एलन मस्क ने भारत का प्रस्ताव नहीं माना, तो भारत ने कहा कि अगर मस्क की टेस्ला कार यहां इम्पोर्ट होती हैं, तो उस पर दूसरी कंपनियों की तरह ही 100 प्रतिशत आयात शुल्क देना होगा। यानी 30 लाख की कार पर 30 लाख आयात शुल्क। इतनी महंगी टेस्ला कारें भारत में खरीदने को कोई तैयार नहीं। भारतीय प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल को भारतीय हितों की चिंता होना स्वाभाविक हैं। प्रधानमंत्री अगर टेस्ला के मुख्यालय चले गए, तो इसका अर्थ यह नहीं कि उनकी हर शर्तें मान ली जाएगी।

भारत के हाट बाजारों में सांडे का तेल मिलता हैं। इसका मतलब यह नहीं कि सांडा कोई तेल देता हैं, बल्कि कहा यह जाता है कि सांडे नामक प्राणी को तेल में उबालकर उस तेल को यौन ऊर्जा बढ़ाने वाली जड़ी-बूटी के तौर पर बेचा जाता हैं। इसी से मिलता-जुलता एक शब्द पश्चिमी जगत में चलता है, जिसे स्नेक ऑयल कहा जाता हैं। स्नेक ऑयल का अर्थ सांप का तेल नहीं होता, बल्कि इसका उपयोग बाजारू भाषा में उस तरह के व्यापारियों के लिए होता हैं, जो बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन भीतर से खोखले होते हैं। मस्क के लिए पश्चिमी बाजार में स्नेक ऑयल बिजनेसमैन जैसा शब्द इस्तेमाल में लाया जाता हैं। यह कोई सम्मानजनक शब्द तो है नहीं।

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एलन मस्क का निजी जीवन भी हमेशा विवादों में रहा हैं। वे वर्कोहोलिक हैं। खुद दिन-रात दौलत कमाने की जुगत में लगे रहते हैं। उन्हें लगता है कि पूरी दुनिया के लोगों को उनके जैसा होना चाहिए और यहीं जीवनशैली अपनानी चाहिए। बीवी से उनका तलाक हो चुका हैं। उनकी पूर्व पत्नी ने यह आरोप लगाया था कि मस्क के पास परिवार के लिए एक सेकंड भी नहीं होता। यहां तक की हनीमून के दौरान भी वे अपने काम में लगे रहें और अपनी नवविवाहिता के साथ हनीमून मनाना तक वे भूल गए।

एलन मस्क की न्यूरालिंक एक ऐसी परियोजना हैं, जिसके बारे में हॉलीवुड की फिल्मों में देखने को मिलता हैं। ह्यूमन कंप्यूटर इंटरफेस कंपनी यानी न्यूरालिंक कई साल से जिस परियोजना पर काम कर रही हैं, वह परियोजना ऐसी हैं कि लोगों के दिमाग में एक न्यूरल चिप इम्प्लांट कर दी जाएं। उस चिप के इंप्लांट होने के बाद कोई व्यक्ति सोचेगा और दिमाग की सोच से ही कंप्यूटर और स्मार्ट फोन को ऑपरेट किया जा सकेगा। यानी अगर किसी के दिमाग में चिप फिट हैं और वह व्यक्ति बहुत से काम केवल सोचने भर से कर सकेगा। उसे फोन कॉल रिसिव करने, गाना बजाने या वीडियो बनाने जैसे मामूली काम भी नहीं करने पड़ेंगे। मस्क का दावा तो यह भी था कि इस चिप की मदद से लोगों की स्मृतियों को संभाल कर रखा जा सकेगा। जैसे की मोबाइल फोन में बैकअप मेमोरी होती हैं। वैसे ही इंसान के मस्तिष्क की चिप काम करेगी। दावा था कि 2022 में इस तरह की चिप लगाने का धंधा शुरू हो जाएगा। इसे बड़ा भारी वरदान बताया जा रहा था। यह भी दावा था कि यह चिप लग जाने के बाद बहुत सारी बीमारियों का इलाज आसान हो जाएगा, खासकर न्यूरोलॉजी से संबंधित बीमारियां। प्रयोग के तौर पर बंदरों के दिमाग में इस तरह की चिप फिट कर दी गई थी। इस चिप में बाल से भी पतले तार होते हैं। दावा था कि उस चिप ने बंदरों का जीवन बदल दिया।


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टि्वटर पर मिल्कियत पाते ही एलन मस्क ने टि्वटर के सीईओ पराग अग्रवाल और सीएफओ नेड सगल को न केवल नौकरी से निकलवा दिया, बल्कि कंपनी के हेड क्वार्टर से भी उनको सशरीर बाहर करवा दिया। नौटंकी करने में माहिर एलन मस्क एक वॉश बेसिन लेकर टि्वटर के मुख्यालय गए और ट्वीट किया कि सारी गंदगी इसमें बहा दी जानी चाहिए। टि्वटर पर ब्लू टिक की फीस तय करने के बाद टि्वटर यूजर्स कह रहे हैं कि मस्क का क्या भरोसा, ब्लू टिक के बाद रेड टिक, येरो टिक, सिल्वर टिक, गोल्डन टिक आदि तरह-तरह की टिक आ सकती हैं। उन सबका दाम लोगों की हैसियत के हिसाब से वसूला जाएगा। मजेदार बात यह है कि टि्वटर पर अनेक राष्ट्राध्यक्षों के भी ब्लू टिक वाले अकाउंट हैं। ऐसे में क्या अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और भारत की राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री से टि्वटर कोई शुल्क ले पाएगा, जो टि्वटर कंपनी ब्लू टिक लगाने के भी पैसे मांग रही है, वह कंपनी पैसे लेकर ट्वीट को प्रमोट भी तो करेगी और विज्ञापन में अवैध वसूली करती रहेगी।

एलन मस्क को 6 साल पहले फोर्ब्स पत्रिका ने दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोगों में गिना था। मस्क का पारिवारिक जीवन विवादों में रहा हैं। 1971 में जन्में मस्क की पहली पत्नी जेसिका थी, जो 2000 से 2008 तक कानूनी रूप से उनकी पत्नी थीं। इसके बाद मस्क ने एक अभिनेत्री से विवाह कर लिया। 2 साल बाद उसे तलाक दे दिया। फिर एक साल बाद दूसरी तलाकशुदा पत्नी ने फिर शादी कर लीं और फिर 2016 में उसे दोबारा तलाक देने की अर्जी दे दी। पांच साल पहले उन्हें हॉलीवुड कलाकार जॉनी डेप की पत्नी के साथ देखा जाता था। उसके एक साल बाद मस्क कनाडाई संगीतकार ग्रीम्स से लिव-इन रिलेशनशिप में रहें। ग्रीम्स ने पिछले दिनों एक बच्चे को जन्म दिया था। लोग कहते हैं कि वह मस्क का ही बेटा हैं।

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डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी जाने-माने पत्रकार और ब्लॉगर हैं। वे हिन्दी में सोशल मीडिया के पहले और महत्वपूर्ण विश्लेषक हैं। जब लोग सोशल मीडिया से परिचित भी नहीं थे, तब से वे इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। पत्रकार के रूप में वे 30 से अधिक वर्ष तक नईदुनिया, धर्मयुग, नवभारत टाइम्स, दैनिक भास्कर आदि पत्र-पत्रिकाओं में कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा वे हिन्दी के पहले वेब पोर्टल के संस्थापक संपादक भी हैं। टीवी चैनल पर भी उन्हें कार्य का अनुभव हैं। कह सकते है कि वे एक ऐसे पत्रकार है, जिन्हें प्रिंट, टेलीविजन और वेब मीडिया में कार्य करने का अनुभव हैं। हिन्दी को इंटरनेट पर स्थापित करने में उनकी प्रमुख भूमिका रही हैं। वे जाने-माने ब्लॉगर भी हैं और एबीपी न्यूज चैनल द्वारा उन्हें देश के टॉप-10 ब्लॉगर्स में शामिल कर सम्मानित किया जा चुका हैं। इसके अलावा वे एक ब्लॉगर के रूप में देश के अलावा भूटान और श्रीलंका में भी सम्मानित हो चुके हैं। अमेरिका के रटगर्स विश्वविद्यालय में उन्होंने हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर अपना शोध पत्र भी पढ़ा था। हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर पीएच-डी करने वाले वे पहले शोधार्थी हैं। अपनी निजी वेबसाइट्स शुरू करने वाले भी वे भारत के पहले पत्रकार हैं, जिनकी वेबसाइट 1999 में शुरू हो चुकी थी। पहले यह वेबसाइट अंग्रेजी में थी और अब हिन्दी में है।

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी ने नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर एक किताब भी लिखी, जो केवल चार दिन में लिखी गई और दो दिन में मुद्रित हुई। इस किताब का विमोचन श्री नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के एक दिन पहले 25 मई 2014 को इंदौर प्रेस क्लब में हुआ था। इसके अलावा उन्होंने सोशल मीडिया पर ही डॉ. अमित नागपाल के साथ मिलकर अंग्रेजी में एक किताब पर्सनल ब्रांडिंग, स्टोरी टेलिंग एंड बियांड भी लिखी है, जो केवल छह माह में ही अमेजॉन द्वारा बेस्ट सेलर घोषित की जा चुकी है। अब इस किताब का दूसरा संस्करण भी आ चुका है।