Empty Cartridges Not Weapons : खाली कारतूस को हाईकोर्ट ने हथियार नहीं माना!

एयरपोर्ट पर पकड़ाए युवक की FIR कोर्ट ने रद्द की!

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Empty Cartridges Not Weapons : खाली कारतूस को हाईकोर्ट ने हथियार नहीं माना!

Indore : एयरपोर्ट पर खाली कारतूस के साथ पकड़ाए युवक के खिलाफ दर्ज FIR को हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है। न्यायालय का कहना है कि खाली कारतूस को हथियार नही माना जा सकता। युवक के बैग से एयरपोर्ट पर ये खाली कारतूस पकडे गए थे। न्यायालय ने कहा कि गोली चलने के बाद बचे कारतूस के ऐसे खोल में न तो कोई बारूद होती है, न विस्फोटक पदार्थ। हाईकोर्ट के इस फैसले से युवक को राहत मिली है।

यह मामला दरअसल दो महीने पुराना है।13 अक्टूबर 2022 को CISF ने इंदौर एयरपोर्ट पर ताहेर टेलर निवासी खातीवाला टैंक के बेग से चेकिंग में दो खाली कारतूस बरामद किए थे। CISF ने उससे पूछताछ की और बंदूक का लाइसेंस मांगा। ताहेर बंदूक का लाइसेंस पेश नहीं कर सके। इसके बाद एरोड्रम पुलिस ने उसके खिलाफ आर्म्स एक्ट में प्रकरण दर्ज किया। इसके बाद ताहेर ने कोर्ट में बताया कि वह कुवैत में पढ़ता है और वहां उसने एक शूटिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। उसी दौरान उसने कारतूस के खोल अपने पास रखे थे, जो उसके बैग में ही रखे रह गए। हाई कोर्ट में याचिका लगाकर ताहेर ने FIR रद्द करने की मांग की। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए ताहेर के पक्ष में फैसला सुनाया और एफआईआर रद्द करने के निर्देश दिए।

खाली कारतूस गोला-बारूद नहीं
हाईकोर्ट ने खाली कारतूसों को शस्त्र अधिनियम के उद्देश्य के लिए ‘गोला-बारूद’ नहीं माना। शस्त्र नियम, 2016 के नियम 2(12) का उल्लेख करते हुए जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह ने कहा कि खाली कारतूसों को अधिक से अधिक मामूली गोला-बारूद माना जा सकता है, जिसको रखने पर शस्त्र अधिनियम की धारा 45 (डी) के तहत किसी भी सजा से छूट दी गई है। आवेदक के वकील का कहना था कि खाली कारतूस ‘गोला-बारूद’ की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आते।

चैन होंग साइक (सुप्रा) के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के एक फैसले कहा गया था कि जिंदा कारतूस मामूली गोला-बारूद है। इसलिए, खाली कारतूसों को ‘गोला-बारूद’ के मामूली हिस्से के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है, जिसे विशेष रूप से शस्त्र अधिनियम, 1959 की धारा 45 के उप-खंड (डी) के तहत छूट दी गई है। जिसे रखना उक्त अधिनियम के तहत दंडनीय नहीं है।

आवेदक इसलिए हाईकोर्ट आया
आवेदक ने न्यायालय के समक्ष मामला प्रस्तुत किया कि खाली कारतूस गोला बारूद की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आते। आर्म्स एक्ट और आर्म्स रूल्स 2016 के तहत प्रावधानों पर भरोसा करते हुए यह दावा किया गया था कि खाली कारतूस भी कार्ट्रिज शब्द के दायरे में नहीं आएं। हाईकोर्ट से अनुरोध किया गया कि आवेदक के खिलाफ FIR को रद्द कर दिया जाए। पक्षकारों के प्रस्तुतीकरण और रिकॉर्ड पर मौजूद दस्तावेजों की जांच करते हुए, अदालत ने आवेदक द्वारा दिए गए तर्कों में सत्यता पाई। न्यायालय ने कहा कि एक खाली कारतूस को गोला-बारूद की श्रेणी में नहीं लाया जा सकता। आर्म्स एक्ट की धारा 2 के तहत भी यह गोला-बारूद नहीं है। इन तथ्यों के बाद कोर्ट ने टिप्पणी दी कि आवेदक के खिलाफ FIR और बाद की कार्यवाही को रद्द कर दिया जाए।