भोपाल : मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि रामचरितमानस जैसे ग्रंथ हमारे पाथेय और मार्गदर्शक हैं। अत: रामचरित मानस सहित गीता और महाभारत के प्रसंगों को शालेय पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया जाएगा। यह प्रसंग नैतिक शिक्षा और आध्यात्म की शिक्षा में सहायक होंगे। ज्ञान का सर्वश्रेष्ठ प्रकटीकरण अपनी मातृभाषा में होता है। अंग्रेजी के आधिपत्य को समाप्त कर मातृभाषा में शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार हरसंभव प्रयास करेगी। इसी दिशा में मेडीकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिन्दी में कराने की दिशा में पहल की गई है। मुख्यमंत्री श्री चौहान नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर विद्या भारती मध्यभारत प्रांत, सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान मध्यप्रदेश द्वारा आयोजित सुघोष दर्शन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की तथा कार्यक्रम स्थल पर माँ सरस्वती के चित्र और ऊँ की आकृति पर माल्यार्पण किया।
विद्यार्थियों ने किया ऊँ, स्वास्तिक, सुघोष 2023 तथा 75 के अंक की आकृति का निर्माण
भोपाल के ओल्ड कैम्पियन क्रिकेट ग्राउण्ड में आयोजित कार्यक्रम में अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री गोविंद चंद्र महंत, सेवानिवृत्त मेजर जनरल श्री टी.पी.एस. रावत ने भी अपने विचार व्यक्त किए। विद्या भारती मध्यभारत के अध्यक्ष श्री बनवारी लाल सक्सेना भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में 16 जिलों के 75 विद्यालयों के 1500 से अधिक विद्यार्थी, आचार्य, शिक्षकगण सम्मिलित हुए। स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के अवसर पर मध्यभारत प्रांत की 75 घोष इकाइयों के विद्यार्थियों द्वारा वंशी वादन, शंख वादन, साइड ड्रम, बॉस ड्रम सहित अन्य वाद्य यंत्रों का वादन करते हुए ऊँ, स्वास्तिक चिन्ह, सुघोष 2023 तथा 75 के अंक की आकृति का निर्माण किया गया।
“तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” के वाक्य ने पूरे देश में ऊर्जा का संचार किया
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा है कि हजारों क्रांतिकारियों के कड़े संघर्ष और बलिदान के परिणाम स्वरूप हमें स्तवंत्रता प्राप्त हुई। आजादी के बाद लम्बे समय तक कई क्रांतिकारियों का उल्लेख तक नहीं किया गया। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का अंग्रेजों से मुक्ति में महत्वपूर्ण योगदान रहा। “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” के उनके वाक्य ने पूरे देश में ऊर्जा का संचार किया। उनके नेतृत्व में ही आजाद हिन्द फौज ने सबसे पहले देश का ध्वज फहराया। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा स्थापित कर प्रधानमंत्री श्री मोदी ने उनके योगदान का ऋण उतारने का प्रयास किया है।
सुघोष दर्शन कार्यक्रम विद्यार्थियों की शारीरिक क्षमता और संगठन क्षमता बढ़ाने में सहायक
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि भारत अत्यंत प्राचीन और महान राष्ट्र है। यहाँ की परम्पराओं को अक्षुण्ण रखने के लिए विद्या भारती द्वारा किए जा रहे प्रयास सराहनीय हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भारत प्राचीन काल से ही विश्वगुरू रहा है। शिक्षा के तीन उद्देश्य हैं क्रमश: ज्ञान अर्जित करना, कौशल विकास और नागरिकता के संस्कार विकसित करने की दिशा में विद्या भारती द्वारा संचालित गतिविधियों से विद्यार्थियों को अपनी प्रतिभा के प्रकटीकरण के अवसर प्राप्त हो रहे हैं। सुघोष दर्शन जैसे कार्यक्रमों से विद्यार्थियों की शारीरिक क्षमता में वृद्धि के साथ-साथ सामूहिक रूप से कार्य करने की प्रवृत्ति में वृद्धि कर संगठन क्षमता बढ़ाने में सहायक है।
नेताजी की कार्यशैली देशभक्ति, अनुशासन, उत्साह, प्रतिभा और शौर्य का संगम
विद्या भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री गोविंद चंद्र महंत ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के जीवन और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नेताजी सतत् रूप से देशभक्ति की भावना के संचार के सूत्र रहे हैं। उनकी कार्यशैली में अनुशासन, उत्साह, प्रतिभा और शौर्य का संगम दिखाई देता है। देश में स्वाधीनता के अमृत महोत्सव को अवसर मानकर श्रेष्ठ भारत के निर्माण के लिए गतिविधियाँ जारी हैं। विद्या भारती द्वारा भी विद्यालयों में संस्कारित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए अनेक प्रयोग किए जा रहे हैं।
सीखने की इच्छा और कोशिश को जीवन में लगातार बनाए रखना आवश्यक
सेवानिवृत्त मेजर जनरल श्री टी.पी.एस. रावत ने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी के योगदान के बिना भारत की स्वतंत्रता संभव नहीं थी। चीन के साथ भारत के 1962 में हुए युद्ध के प्रसंग का उल्लेख करते हुए मेजर जनरल रावत ने कहा कि सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए साहस और दृढ़ता आवश्यक है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को अपने नाम अर्थात् अपनी पहचान, नमक अर्थात् अपनी मातृभूमि और निशान अर्थात् अपने समुदाय, संगठन, देश को सर्वाधिक महत्व देते हुए सर्वोच्च बलिदान के लिए तैयार रहना चाहिए। मेजर जनरल श्री रावत ने विद्यार्थियों से कहा कि सीखने की इच्छा और कोशिश को जीवन में लगातार बनाकर रखना आवश्यक है। गलती करने के डर से किसी कार्य का प्रयास ही नहीं करना या कार्य को टालना अपने व्यक्तित्व के लिए उचित नहीं है।
घोष संचलन में अग्रसर हुए विद्यार्थी
सुघोष दर्शन कार्यक्रम में श्री मधुर शर्मा द्वारा देश प्रेम और नैतिक मूल्यों पर आधारित गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के दूसरे भाग में विद्यार्थी आयोजन स्थल से घोष संचलन करते हुए शासकीय सुभाष उत्कृष्ट विद्यालय के सामने स्थित नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा स्थल पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए अग्रसर हुए।