सप्रे संग्रहालय में विज्ञान संचार एवं संदर्भ प्रभाग की स्थापना

सामाजिक प्रयासों से ही बच पाएंगे जल, जंगल और जमीन 

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सप्रे संग्रहालय में विज्ञान संचार एवं संदर्भ प्रभाग की स्थापना

वरिष्ठ पत्रकार डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

 

भोपाल । पत्रकारिता के तीर्थ माधवराव सप्रे स्मृति पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान में 5 मार्च से विज्ञान संचार एवं संदर्भ प्रभाग की स्थापना हुई । यह प्रभाग मूर्धन्य जल विज्ञानी और संग्रहालय के अनन्य सहयोगी स्व. श्री कृष्णगोपाल व्यास की स्मृति को समर्पित है।

 

नए प्रभाग के औपचारिक शुभारंभ अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व प्रधान वन संरक्षक डा. प्रवीणचंद्र दुबे रहे , जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता सीएसआईआर के निदेशक डा. अवनीश कुमार श्रीवास्तव ने की।

इस अवसर पर्यावरण चिंतक-स्तंभकार ज्ञानेंद्र रावत का विशेष व्याख्यान हुआ।

 

इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. प्रवीणचंद्र दुबे ने कहा कि जल,जंगल तथा जमीन का बहुत ही गहरा आत्मीय रिश्ता है। जब हम गहरे जंगल में जाते हैं तब इस बात का अहसास होता है कि कैसे इन घने जंगलों से निकल रही पानी की छोटी-छोटी धाराएं नदियों को जीवन दे रही हैं। उन्होंने वन विभाग की सेवा के दौरान प्राप्त अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि जंगलों की रक्षा के नाम पर केवल सागौन के वृक्षों की बात ही होती है। जबकि जंगल एक समूची संरचना का नाम है, इसे बचाने की चिंता होनी चाहिए। इस कार्य में सरकार से ज्यादा समाज को आगे आना चाहिए। सामूहिक प्रयासों से ही बच पाएंगे जल,जंगल और जमीन। उन्होंने विश्वास जताया कि सप्रे संग्रहालय संस्थान में स्थापित यह नया प्रभाग शोधार्थियों के लिए लाभदायक साबित होगा। उन्होंने इस कार्य में अपनी ओर से सहयोग का भरोसा भी दिलाया।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में अवनीश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि विज्ञान एवं पर्यावरण के प्रति आम लोगों में जागरुकता की कमी है। इस तरह के प्रयासों से हम चेतना जगा सकते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि यहां हुई चर्चा के जो निष्कर्ष निकले उनके यदि दस फीसदी अंश भी यदि सरकार के पास जायें तो हमारे प्रयास कारगर साबित हो सकते हैं।

आरंभ में एम्प्री के वरिष्ठ वैज्ञानिक जेपी शुक्ला ने स्वागत् वक्तव्य देते हुए बताया कि इस नए प्रभाग में करीब पांच हजार से ज्यादा पत्र-पत्रिकायें संजोई गई है। इनमें विज्ञान तथा पर्यावरण से जुड़े सभी विषयों के अलावा कोरोना और भोपाल गैस त्रासदी से जुड़ी विशेष सामग्री संग्रहीत है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. माधुरी श्रीधर ने किया तथा आभार प्रदर्शन संस्थापक निदेशक विजयदत्त श्रीधर ने किया।

 

🔸पानी-नदी के लिए जिये व्यास जी

 

विशेष प्रभाग स्थापना पर स्मारक व्याख्यान देते हुए पर्यावरणविद् ज्ञानेन्द्र रावत ने कहा कि गोपालकृष्ण व्यास जी ने अपना सारा जीवन ‘पानी’ को अर्पित कर दिया। वे नदी और तालाबों के लिये ही जिये। उनके मन में केवल एक ही चिंता रहती थी कि पानी को किस तरह बचाया जाये। उन्होंने जल के क्षेत्र में न केवल मप्र सरकार बल्कि राजस्थान और बिहार सरकार को भी अपने अनुभवों का लाभ दिया। उन्होंने कहा कि व्यास जी अपने जीवन का जितना भी बेहतर सरकार और समाज को दे सकते थे, वह दिया। अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि उनके द्वारा छोड़े गये कार्यों को आगे बढ़ायें।

सप्रे संग्रहालय, भोपाल