स्पेन में मिला यूरोप का सबसे बड़ा कार की साइज का कछुआ
वैज्ञानिकों के अनुसार, यूरोप में पाया गया यह अब तक का सबसे बड़ा कछुआ है और अब तक का दूसरा सबसे बड़ा कछुआ है. इस कछुए को वैज्ञानिकों ने लेवियाथानोचेलिस नाम दिया है. इस शोध अध्ययन में शामिल बायोलॉजिस्ट एल्बर्ट सेलेस के मुताबिक, लेवियाथानोचेलिस कछुआ मिनी कूपर जितना लंबा था, जबकि आर्चेलोन टोयोटा कोरोला के बराबर.
विश्व इतिहास का सबसे बड़ा कछुआ था- आर्चेलोन, जो करीब 7 करोड़ साल पहले धरती पर रहता था.
लंबाई थी 15 फीट. अब स्पेन में शोधकर्ताओं को एक कछुए के अवशेष मिले हैं, जिसका आकार करीब 12 फीट लंबा होगा और वजन करीब दो टन. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह कछुआ क्रेटेसियस युग यानी डायनासोर युग के अंतिम चरण में जिंदा रहा होगा.
वैज्ञानिकों के अनुसार, यूरोप में पाया गया यह अब तक का सबसे बड़ा कछुआ है और अब तक का दूसरा सबसे बड़ा कछुआ है. इस कछुए को वैज्ञानिकों ने लेवियाथानोचेलिस नाम दिया है. इस शोध अध्ययन में शामिल बायोलॉजिस्ट एल्बर्ट सेलेस के मुताबिक, लेवियाथानोचेलिस कछुआ मिनी कूपर जितना लंबा था, जबकि आर्चेलोन टोयोटा कोरोला के बराबर.
बार्सिलोना यूनिवर्सिटी के पेलियंथोलॉजी इंस्टिट्यूट में पढ़ाने वाले सेलेस बताते हैं कि जिस युग में लेवियाथानोचेलिस जीवित था, उस दौर में इतना विशाल होना सहूलियत भरा रहा होगा. कारण कि जिस प्राचीन टेथीस सागर में वह तैरता था, वहां बड़ी संख्या में जानवर रहते थे.
टेथीस सागर में करीब 50 फीट तक लंबे मोजासॉरस नामक विशाल जीव हुआ करते थे. कई तरह की शार्क और मछली खाने वाले अन्य मांसाहारी जीव भी लेवियाथानोचेलिस के लिए बड़ा खतरा होते थे. रिसर्चर ऑस्कर कास्टिलो के मुताबिक, महासागरीय जीवन के संदर्भ में लेवियाथानोचेलिस कछुए के आकार के किसी जीव पर विशालतम शिकारी जीव ही हमला कर पाते होंगे.
कास्टिलो की यह रिसर्च साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित हुई है. कास्टिलो बताते हैं कि क्रेटासियस युग में समंदर में रहनेवाले कछुओं में अपने शरीर का आकार बढ़ाने की प्रवृत्ति थी. लेवियाथानोचेलिस और आर्चेलोन इसके सटीक उदाहरण हैं. ऐसा माना जा रहा है कि आसपास के विशालकाय शिकारी जीवों से बचने के लिए उनमें ऐसी प्रवृत्ति विकसित हुई होगी.
Air Suvidha Form: इंटरनेशनल पैसेंजर्स को अब नहीं भरना होगा एयर सुविधा फॉर्म
Railway’s New Rule : बदल गया रेल में रात में सोने का नियम, ध्यान रखें!