Even A Stone Eager To Speak: राजेश के हाथों में जाकर पत्थर भी बोलने को आतुर
आराध्य की प्रेरणा से जब भी किसी कार्य को श्रद्धा,समर्पण और निष्ठा के साथ किया जाता हैं तो उस कार्य की सफलता पर तनिक भी संदेह नहीं होता हैं क्योंकि ईश्वर का आशीर्वाद भी उसमें समाहित होता हैं।
इसीलिए कहा जाता हैं कि अपने आराध्य की प्रेरणा से काम करने वाले कलाकार किसी परिचय का मोहताज नहीं होते हैं,अपने सिद्ध हाथों से उकेरी गई किसी भी कलाकृति में बस प्राण फूंकना ही उनके वश में नहीं रहता हैं।अमूमन जो भी कलाकृति ऐसे कलाकारों के हाथों से निखरती हैं वह अपने आप में बेमिसाल स्वरुप ले लेती है।
मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र के रतलाम शहर में भी एक ऐसे हुनरमंद है जो बगैर गुरु के अपनी तल्लीनता से शनै-शनै ऐसे मुकाम पर पहुंच गए कि सर्वत्र उनके हुनर की चर्चा हैं।
पेशे से स्वर्णकार,राजेश ने कला के क्षेत्र में सन 1985 से कदम रखा और कदम उठाते-उठाते आज उस मुकाम पर पहुंच गए कि ईश्वर की कृपा से जिस कलाकृति पर उनके हाथों की मुहर लग जाती हैं वह कलाकृति सजीव सी प्रतीत होती है।सबसे बड़ी बात यह हैं कि राजेश किसी भी कलाकृति को उकेरने में इतने तल्लीन हो जाते हैं कि खाना भी भूल जाते हैं।हां एक बात आपको और बता देतें हैं कि किसी भी धार्मिक कलाकृति को बनाने के लिए राजेश पारिश्रमिक नहीं लेते हैं,जिस लागत में कलाकृति निर्मित की जाती हैं बस उतना ही वह लेते हैं।राजेश के हाथों से उकेरी हुई कला-कृतियों में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा देश के संत महात्माओं और सिद्ध पुरुषों के चित्र मुख्य हैं।हाल ही में उन्होंने एक ऐसी आदमकद प्रतिकृति उकेरी है जिसे देखने पर अचरज होता है कि एक ही कलाकार ने इस कलाकृति में इतनी कलाओं का समावेश कैसे कर दिया ? इस कृति को बनाने में उन्हें एक माह का समय लगा।यह कृति प्रदेश के राजगढ़ जिले के भोपावर स्थित जैन धर्म के भगवान श्री शांतिनाथ जी की है।यह कृति 7 फीट ऊंची हैं।आज तक राजेश ने एक फीट से लेकर 6 फीट तक की जैन संत-मुनि,देवी-देवताओं, राजनेताओं,णमोकार मंत्र सहित अन्य की 6 सौ से अधिक तस्वीरें (मूर्तियां) उकेरी हैं।अमूमन इस बार उन्हें मौका मिला 7 फीट की भगवान श्री शांतिनाथ की मूर्ति बनाने का जो जैन तीर्थ भोपावर में स्थित भगवान श्री शांतिनाथ जी का स्वरूप हैं।इस कृति को देखने पर ऐसा लगता हैं कि ब्लैक स्टोन की यह प्रतिमा कब आशीर्वाद देने के लिए हाथ ऊपर उठा देंगी।
30 दिनों के रात दिन के परिश्रम बाद भगवान श्री शांतिनाथ जी की यह तस्वीर पूरी हुई।राजेश को यह मूर्ति बनाने को देने वाले उसके पूर्ण होने का बेसब्री से इंतजार कर रहें थे।और यह आर्डर देने वाले हैं राजगढ निवासी सिद्धार्थ जैन।बनने के बाद उन्होंने इस प्रतिकृति को देखा तो समझिए कि वह प्रतिकृति के आगे नतमस्तक होकर 5 मिनट तक दर्शन करते रहें और अपने परिजनों को यह खुशखबरी सुनाई।यह कलाकृति रतलाम से मंगलवार अलसुबह जैसे ही उनके घर के द्वार पर पहुंची तो परिवार के सभी लोगों ढोल व शंखनाद कर भगवान श्री शांतिनाथ जी की अगवानी की और शुभ ब्रह्म मुहूर्त में पूजा-अर्चना कर घर में स्थापित की।तस्वीर बनाने में राजेश के साथ उनकी धर्मपत्नी भारती तथा बेटी अनुष्का ने प्रतिदिन 10 से 12 घंटे सहयोग कर इसे मूर्त रुप दिया।
क्या लगा इस आदमकद प्रतिकृति के निर्माण में
राजेश बताते हैं कि इस प्रतिकृति को उकेरने में सोना,चांदी,तांबा, अमेरिकन डायमंड,कुंदन सहित अन्य धातुओं का समावेश हुआ। उन्होंने बताया कि मेरे द्वारा ही इस कला को परिष्कृत किया गया हैं।उस समय सबसे पहले लोकसंत जयंतसेन सूरीश्वरजी महाराज साब की तस्वीर बनाई थी।कलाकृति बनाने में महीन कार्य और मीनाकारी का काम होता है। इस कृति को बनाने में 20 ग्राम सोना,1 किलो चांदी,7 किलो तांबा, 500 नग एडी स्टोन अमेरिकन डायमंड, 3 हजार इमिटेशन स्टोन तथा कुंदन का समावेश हुआ।