तुम्हारी भी जय-जय, हमारी भी जय-जय… (even more jay-jai also jay-jai)
ह्रदयप्रदेश का दिल धड़क रहा है। सांसों में गर्मी है। और फिजां में खुशियां तैर रही हैं। शिव-विष्णु का कमल खिलखिला रहा है। और नाथ का हाथ भी हवा में लहलहा रहा है। राजधानी का नजारा पूरे देश से जुदा दिख रहा है। चारों तरफ उमंग और उत्साह दिख रहा है। तो सोचा-विचारी के लिए भी अनंत आकाश खुला पड़ा है। नगरीय निकाय चुनावों की सबसे बड़ी खासियत यही है कि सभी दलों के लिए परिणाम ऐतिहासिक साबित हुए हैं।
शिव-विष्णु का दावा है कि नगरीय निकाय चुनाव में अब तक की सबसे बड़ी ऐतिहासिक जीत भाजपा के खाते में दर्ज हुई है। कोई गुमराह न करे, इसलिए आंकड़े भी पेश किए गए हैं नगर पालिका, नगर परिषदों के चुनाव परिणाम के खास तौर से। ताकि कोई यह समझने की भूल न करे कि मामला हवा हवाई है। विष्णु सफलता के लिए मोदी और शिव सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को श्रेय दे रहे हैं तो शिवराज संगठन के मुखिया विष्णु और संगठन महामंत्री हितानंद के साथ ही मंत्रियों-विधायकों, सांसदों के नेतृत्व को उपलब्धियों का श्रेय दे रहे हैं। तो शिव-विष्णु दोनों ही बूथ और कार्यकर्ताओं को जीत का असली हकदार बता रहे हैं।
इतिहास किस तरह बनाया है भाजपा ने, उसका लेखा-जोखा यह है कि 2014 में 98 नगर पालिकाओं के चुनाव में भाजपा को 54 सीटें यानि 55% सफलता मिली थी, तो इस वर्ष 76 नगर पालिकाओं में से 65 सीट पर अध्यक्ष बनाने की स्थिति में है और जीत का प्रतिशत 85% रहा है। 2014 में 264 नगर परिषद के चुनाव में भाजपा 154 सीटों पर विजयी हुई थी, यानि सफलता कुल 58.3%, इस वर्ष 255 नगर परिषद के चुनाव में भाजपा 231 सीटों पर अपना अध्यक्ष बनाने जा रही है, जीत का प्रतिशत 90.58% रहा है। रायसेन, राजगढ़, सागर, जबलपुर, सिवनी, देवास, सीहोर, नरसिंहपुर, रीवा, मुरैना जिलों की नगर परिषदों में भाजपा का प्रदर्शन लगभग शत प्रतिशत रहा। विदिशा, सीहोर, सागर, नर्मदापुरम, नरसिंहपुर इन पांच जिलों की नगर पालिकाओं में शत प्रतिशत परिणाम रहा है। इसके साथ ही भाजपा पन्ना, हरदा, दतिया और नगरीय प्रशासन विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह की विधानसभा भी कांग्रेसमुक्त होने का दावा कर रही है। और यही तथ्य नगरीय निकाय चुनावों में भाजपा की ऐतिहासिक जीत के साक्षी होने का दम भर रहे हैं। विष्णुदत्त शर्मा के नेतृत्व में भाजपा संगठन का यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन शिवराज की प्रशंसा का हकदार बना है और नगर निगम में मेयर की सीटें खोने की भरपाई करता दिख रहा है। भाजपा यहां भी ज्यादा पार्षदों की जीत के नजरिए से जश्न मना रही है।
तो कांग्रेस भी 5 नगर निगम में मेयर की ऐतिहासिक जीत का दावा तथ्यों सहित पेश कर रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि 1999 के बाद से जब से महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष मतदान से हो रहा है, उसमें भी यह कांग्रेस का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। अगर पिछले 23 साल के नगर निगम चुनावों के परिणाम पर नजर डालें तो कांग्रेस पार्टी को 1999 में 2 सीट भोपाल और जबलपुर, 2004 में भोपाल और देवास, 2009 में देवास, उज्जैन और कटनी और 2014 में कोई सीट नहीं मिली जबकि इस बार 2022 में हमने 5 नगर निगम जीते हैं। बेहतर प्रदर्शन के लिए उन्होंने कांग्रेस के सभी कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त किया है। तो उन्होंने यह तंज भी कसा है कि भाजपा के बड़े-बड़े नेता ग्वालियर चंबल क्षेत्र में हैं, लेकिन भाजपा की सबसे बुरी हार वहीं हुई। यानि मतदाताओं ने सिंधिया का यह भ्रम दूर कर दिया कि यह उनका गढ़ है। और दावा भी किया है कि 14 महीने बाद 2023 में मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनेगी। तो कांग्रेस भी ऐतिहासिक जीत का जश्न मना रही है। आतिशबाजी कर रही है। मुंह मीठा कर रही है। और अपनी जीत से ज्यादा भाजपा के 7 मेयर की हार पर उत्साहित है। खुशी यह भी है कि पार्षदों की संख्या बढ़ी है और वोट प्रतिशत भी बढ़ा है। हालांकि नगर पालिका और नगर परिषद का जिक्र करना जरूरी नहीं समझ रही कांग्रेस।
तो फिलहाल 16 नगर निगम में से 5 मेयर नाथ के हैं, तो 9 मेयर भाजपा के अलावा एक निर्दलीय भी भाजपा के खाते में और एक मेयर आम आदमी पार्टी का। पिछले चुनाव परिणामों से तुलना करें तो मेयर बनाने में भाजपा को नुकसान हुआ है। तो कांग्रेस खुशियां मनाने में पीछे नहीं है। खास तौर से विंध्य की रीवा, महाकौशल की जबलपुर, छिंदवाड़ा, ग्वालियर-चंबल में ग्वालियर, मुरैना मेयर बनाकर कांग्रेस गदगद है और नाथ ने एक बार फिर मध्यप्रदेश की जनता को 2023 की याद दिला दी है कि हम लौटेंगे। आम आदमी पार्टी के लिए सिंगरौली सीट जीतना मध्यप्रदेश की धरती फतह करने जैसा है। उंगली पकड़ में आ गई है, अब कौंचा पकड़ने का मौका केजरी तलाशने लगेंगे। बात करें भाजपा की, तो 9 मेयर और दसवें निर्दलीय से भी अपनेपन के साथ 14 नगर परिषद अपने खाते में दर्ज कर शिव-विष्णु प्रफुल्लित हैं। खुशी इसलिए भी कि जहां मेयर बना लिए, वहां भी कांग्रेस की ज्यादातर में खुशियां अधूरी हैं। इस मायने में आम आदमी पार्टी के मेयर की खुशियां भी कमतर ही हैं। ऐसे में विकास की जिम्मेदारी शिव के कंधों पर ही है, पर इन सभी मेयर की परेशानी में कमी नहीं होगी यह बात भी तय है। तो खुशियां मन रही है, मिठाईयां बंट रही हैं और आतिशबाजी हो रही है। गम कहीं नहीं हैं। सब तरफ खुशियां ही खुशियां बिखरी पड़ीं हैं। तुम्हारी भी जय-जय और हमारी भी जय-जय…जैसा नजारा ह्रदयप्रदेश को रोमांचित करता दिख रहा है।