मानवता की मिसाल: कानपुर के भूतपूर्व गुमशुदा सैनिक को घर पहुंचाया मेघनगर के समाजसेवी राजेंद्र ने

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मानवता की मिसाल: कानपुर के भूतपूर्व गुमशुदा सैनिक को घर पहुंचाया मेघनगर के समाजसेवी राजेंद्र ने

कमलेश नाहर की रिपोर्ट

झाबुआ: झाबुआ जिले में मेघनगर के समाजसेवी राजेन्द्र श्रीवास्तव नीरज ने एक बार फिर मानवता की मिसाल पेश करते हुए एक गुमशुदा बुजुर्ग को परिजन से मिलवा दिया।

गंगा शंकर तिवारी भूतपूर्व सैनिक है,रिटायर्ड होने के बाद कई वर्ष तक बैंक में अपनी सेवाएं दी। आप वर्तमान में उत्तरप्रदेश के सीसामऊ कानपुर में सपत्नीक निवासरत है।आपका बेटा नीरज तिवारी दिल्ली स्थित नोएडा में जॉब करता है । तिवारीजी ने सेना में रहकर कई महत्वपूर्ण स्थानों पर अपनी सेवाएं दी ।आपका मिजाज सख्त है।,कुछ वर्षों से इनका मानसिक संतुलन गड़बड़ा गया जिसके कारण ये घर से निकल जाते व आ जाते थे। इस मर्तबा वो भटक कर अपने क्षेत्र से सैकड़ों किलोमीटर दूर मध्यप्रदेश के आखिरी छोर यानी झाबुआ जिले में आ पँहुचे थे। नया क्षेत्र होने से और भी कई समस्याओं से घिर गये।सम्भवतः वह ट्रेन रूट से रतलाम आये होंगे क्योंकि रतलाम से मेघनगर के बीच पड़ने वाले स्टेशन पर आठ दिन पूर्व यह देखे गये थे। उसके बाद यह पांच दिन पूर्व मेघनगर में श्रीवास्तव को भी दिखे ।उनकी दुकान तक आये भी सुबह सुबह पूछने लगे जूते वाली दुकान कंहा है तब श्रीवास्तव ने इतना गौर नही किया व दुकान बता दी। फिर वो किसी बस में बैठ कर झाबुआ निकल गए।

4 सितंबर को पांच बजे एक महिला शिक्षिका ने फोन पर श्रीवास्तव को बताया कि उंसके घर के बाहर एक छोटा सा मंदिर है ।उसके प्रांगण में बेंच पर एक बाबा असहाय रूप से लेटे हुए थे , हमनें उनको आश्रय दिया है। उनको खाना खिलाने के बाद उनकी जानकारी लेना चाही तो उनके पास से दो आइडेंटिटी कार्ड मिले है। ,पर हम उनके परिजन को कैसे ढूंढे समझ नही आ रहा।शिक्षिका ने श्रीवास्तव को फोटो,आइडेंटिटी भेज पता लगाने का आग्रह किया।।

इसके आधार पर श्रीवास्तव ने कानपुर में अपने मित्र जानेमाने स्वयंसेवक श्री सचिन पाण्डे को फ़ोटो भेज मदद मांगी । सचिन जी क्षेत्र से वाकिफ थे सो करीब दो घण्टे के भीतर ही परिजन का पता लगा लिया व बेटे को सूचित किया। बेटे ने श्रीवास्तव से बात कर उनके झाबुआ में होने की पुष्टि की। देर रात पिता पुत्र की वीडियो कॉलिंग पर बात भी हुई ।,उन्होंने दिल्ली से इन्दोर की सबेरे 5 बजे की फ्लाइट ली व 7 बजे इंदौर पँहुचे ,वँहा से उनका फोन आया कि आगे कैसे आना है सो बस का रूट व बस की जानकारी दे दी गई ,बस 11 बजे झाबुआ आ जायेगी। वो बस में बैठ झाबुआ को रवाना हुए।।

बिन बताये बुजुर्ग फिर निकल गए
इसके बाद टीचर सुरभि परमार ने श्रीवास्तव को कॉल किया कहने लगी भैया …वो बाबा घर से बगैर कुछ बोले कंही चले गए ।कुछ पल के लिए श्रीवास्तव दंग रह गये,सन्नाटा छा गया । अरे ऐसे कैसे कंही जा सकते है उन्होंने सुरभि से कहा,तो कहने लगी हाँ भैया हम सभी उनको आसपास सब जगह ढूंढे नही मिल रहें। आज टीचर्स डे भी है हमें स्कूल भी जाना है आप बताओ अब क्या करें ?

श्रीवास्तव ने उन्हें तसल्ली दी और कहा चिंता न करो में आ रहा हूं ,और वे झाबुआ के लिए निकल गए । उसी बीच उन्होंने पुत्र को भी यह सूचना दे दी और । उनकी बस साढ़े दस बचे झाबुआ आ गई। श्रीवास्तव उन्हें लेकर। सीधे सुरभि के घर गये जँहा बाबा दो दिन रुके रहे। इस विषय पर झाबुआ के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रेमलाल कुर्वे पर फोन कर चर्चा कर पूरा विषय अवगत कराया। ,उन्होंने बगैर विलम्ब कंट्रोल रूम पर खबर की की cctv फुटेज दिखाई गई। कुछ लोगो ने बताया था कि बाबा जैसे ही व्यक्ति को आठ बजे के आसपास बस स्टैंड पर देखा गया था । करीब दो घण्टे तक फुटेज देखते रहे पर बाबा नही दिखे। फिर श्रीवास्तव ने निर्णय किया कि इनको शहर गली गली में तलाशेंगे व हर किसी से फोटो दिखाकर पूछेंगे ।, झाबुआ के उसी स्थान मोजीपाडा से शुरआत की पूरा मोजीपाड़ा घूम लिया। फिर आगे गोपाल कॉलोनी उसके बाद राजगढ़ नाका पँहुचे। नाके पर स्थित भावसार जी की दुकान पँहुचा उनका मोटरसाइकिल रिपेयरिंग का काम है उनके पास पँहुच जैसे ही फोटो दिखाते विषय बताया वो तुरन्त फोटो देख बोल उठे अरे ये बाबा तो 11,12 बजे यंही चौराहे पर थे। तभी किसी अन्य ने फोटो देख कहा ये तो अभी वँहा नारियल पानी पीते दिखे। श्रीवास्तव ने तुरंत उस ओर जाकर चार पांच फ्रूट्स की दुकान है देखा तो उसी के पीछे बाबा बेंच पर बैठे थे ।

बेटे ने जैसे ही पिता को देखा अश्रुधाराओ से भीग गये इस मिलाप के दृश्य ने हम सभी को भावविभोर कर दिया । तिवारी जी के बेटे ने श्रीवास्तव व शिक्षिका सुरभि परमार का खूब आभार व्यक्त किया।