आबकारी आयुक्त बोले- पड़ौसी राज्य शराब से 40 हजार करोड़ कमा रहे, यहां कम क्यों, ठेकेदार बोले- अवैध बिक्री रोकने का करें इंतजाम
भोपाल:उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री जगदीश देवड़ा तथा वाणिज्य कर विभाग के प्रमुख सचिव अमित राठौर की मौजूदगी में आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल ने प्रदेशभर के तीन सौ ठेकेदारों से कहा कि उत्तरप्रदेश को छोड़ दे तो मध्यप्रदेश के बराबर क्षेत्र वाले अन्य राज्यों में शराब से हर साल चालीस हजार करोड़ रुपए की आमदनी होती है जबकि मध्यप्रदेश में केवल तेरह हजार करोड़ ही रेवेन्यू मिल रहा है। हम आय बढ़ाना चाहते है इसे कैसे संभव किया जा सकता है। इस पर शराब ठेकेदारों ने कहा कि सरकार को अपनी नीतियों में बदलाव करना पड़ेगा अभी 54 लीटर अवैध शराब के साथ पकड़े जाने पर आरोपी पर 34(2) के तहत कार्यवाही होती है उसकी बेल हाईकोर्ट से होती है। इसकी मात्रा तीस से पैतीस लीटर की जाना चाहिए ताकि अवैध शराब का कारोबार करने वालों पर शिकंजा कसा जाए।
उपमुख्यमंत्री ने तीन चरणों में यह बैठक की। एक बार डिस्टलरी वाले, विभाग वाले मौजूद रहे। दूसरी बैठक में विभाग , ठेकेदार और बार मालिक मौजूद रहे और तीसरी बैठक में केवल मंत्री और विभाग के आला अफसर साथ बैठे। बीस साल बाद इस तह की बैठक पहली बार की गई। उप मुख्यमंत्री ने अधिकारियों और ठेकेदारों से शराब के अवैध परिवहन और बिक्री पर रोकने के लिए जुट का प्रयास करने को कहा। वहीं शराब ठेकेदारों ने कहा कि शराब ठेके का हर साल रिन्युअल होता है इसे तीन साल में एक बार किया जाए। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि हर जिले में देशी शराब के मामले में एक शराब उत्पादक की मोनोपॉली खत्म की जाए। उत्तरप्रदेश की तर्ज पर सभी डिस्टलरियों की शराब उपलब्ध हो और उन्हें लेने की सुविधा भी मिले। शराब बिक्री का जो एमआरपी तैयार किया जाता है वह टीडीएस जोड़ने के बाद बीस प्रतिशत तक बढ़ाकर बनाया जाए। डिस्टलरी वाले जो डॉट बियर बेचते है उसकी बिक्री बंद की जाए क्योंकि इससे ब्रांडेड शराब नहीं बिक पाती है। अन्रू प्रदेशों में दस प्रतिशत से ज्यादा रिन्युअल रेट नहीं होते हमारे यहां पंद्रह से बीस प्रतिशत होता है इसे दस प्रतिशत तक रखा जाए। डिस्टलरी से 85 प्रतिशत शराब उठाने की बाध्यता समाप्त की जाए या इसे कम किया जाए। बैंक गारंटी एक अप्रैल तक जमा करने के बजाय तीस अप्रैल तक इसका समय बढ़ाया जाए।शराब पर टीडीएस पांच से बढ़ाकर दस प्रतिशत कर दिया गया है इसे वापस पांच प्रतिशत किया जाए।