

Excise Officers Stationed in Indore : अंगद की तरह इंदौर में जमे ये आबकारी विभाग के अधिकारी, तबादले के बाद फिर लौट आते!
इंदौर से वरिष्ठ पत्रकार गोविंद राठौर की रिपोर्ट
Indore : प्रदेश शासन के निर्धारित नियमों के अनुसार कोई भी शासकीय अधिकारी या कर्मचारी को एक जिले में अधिकतम तीन साल तक ही पदस्थ रहने की अनुमति है। सामान्यतः इसका पालन होता भी आया है। लेकिन, इंदौर जिले के आबकारी विभाग में यह नियम मजाक बनकर रह गया। यहां कई अधिकारी और कर्मचारी सालों से यहीं जमे हुए हैं, जिनका ट्रांसफर वर्षों से नहीं हुआ। जिनका किसी कारण से हुआ भी, तो वे जुगाड़ लगाकर वापस लौट आए।
ऐसे में सबसे चौंकाने वाला मामला उपनिरीक्षक प्रियंका शर्मा का है, जो पिछले 15 साल से इंदौर में ही पदस्थ हैं। यही नहीं, उपनिरीक्षक आशीष जैन जो 9 साल पहले ट्रेनिंग के लिए इंदौर आए थे, वे भी अब तक यहीं जमे हैं। आबकारी विभाग में ऐसे अंगदों की कमी नहीं है। और भी कई अधिकारी हैं जिन्हें इंदौर का पानी रास आ गया। आश्चर्य तो इस बात का है कि आबकारी विभाग में क्या ये किसी की नजर में नहीं आते कि इनके इंदौर में ही रहने का इंटरेस्ट क्या है!
सालों से जमे ये उपनिरीक्षक
– प्रियंका शर्मा : 15 वर्ष
– आशीष जैन : 9 वर्ष
– भगवान सिंह अहिरवार : 8 वर्ष
– लक्ष्मीकांत रामटेके : 8 वर्ष
– मीना माल : 7 वर्ष
– राजेश तिवारी : 7 वर्ष
– मीरा सिंह : 7 वर्ष
– निलेश नेमा : 7 वर्ष
– शालिनी सिंह : 7 वर्ष से अधिक
– अमर सिंह बघेल : 6 वर्ष
– मनीष राठौर : 6 वर्ष
– मनोहर खरे : 6 वर्ष
– सुनिल मालवीय : 6 वर्ष
– सोनाली बैंजामिन : 4 वर्ष
– महेश पटेल : 4 वर्ष
– राकेश मंडलोई : 4 वर्ष
राजनीतिक और विभागीय पकड़ मजबूत
इन अधिकारियों की राजनीतिक और विभागीय पकड़ इतनी मजबूत है कि सरकारें बदलने के बावजूद भी इनका तबादला नहीं होता। जब कभी तबादला होता भी है, तो कुछ महीनों में बाद ये वापस इंदौर में ही पदस्थ हो जाते हैं। सामान्य प्रशासन विभाग के नियमों के अनुसार, चुनावों के दौरान 3 साल में तबादले का नियम लागू किया जाता है। लेकिन, जैसे ही चुनाव खत्म होते हैं, ये अधिकारी फिर अपनी जगह पर लौट आते हैं। इस बात से आबकारी कार्यालय से भोपाल में बैठे अफसर भी अंजान नहीं है। पर, इनकी जुगाड़ और ‘व्यवस्था’ ऐसी है कि कोई इन्हें इंदौर आने से कोई रोक नहीं पाता!