

Excise Policy: धार्मिक शहरों में बंद होने वाली दुकानों का बोझ आसपास की दुकानों पर डालने की तैयारी,ठेकेदार कर रहे विरोध, पॉलिसी अब तक जारी नहीं
भोपाल. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने प्रदेश के 19 शहरी और ग्रामीण धार्मिक स्थलों की 47 शराब दुकाने बंद करने की घोषणा की है। इन दुकानों के बंद होंने से राज्य सरकार को 395 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। नई आबकारी नीति को कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है लेकिन अब तक सरकार ने नई पॉलिसी का नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है और शराब दुकानों के लिए टेंडर भी जारी नहीं हुए है। दरअसल मामला इस 395 करोड़ के राजस्व घाटे को लेकर अटक गया है आबकारी विभाग के आला अफसर चाहते है कि इन दुकानों को बंद करने से जो राजस्व आय कम होगी उसे आसपास की दुकानों में शिफ्ट कर दिया जाए लेकिन शराब ठेकेदार इसके विरोध में आ गए है।
आबकारी विभाग का सोचना है कि धार्मिक स्थलों में दुकाने भले ही बंद हो ही है लेकिन पीने वाले आसपास से खरीदकर शराब का सेवन करेंगे। क्योंकि जो आबकारी नीति कैबिनेट से मंजूर की गई है उनमें इन धार्मिक स्थलों पर केवल शराब की बिक्री बंद की जाएगी। तय लिमिट में शराब रखने और इसके सेवन पर कोई प्रतिबंध नहीं है। इसलिए आबकारी विभाग 47 दुकानों को बंद करने से होंने वाले घाटे को वेव आॅफ करने के पक्ष में नहीं है। लेकिन जिन आसपास के शराब दुकानों के ठेकों में इन्हें विभाजित किया जाएगा वे इसका विरोध कर रहे है क्योंकि इन दुकानों पर इतनी आमदनी नहीं बढ़ना है।
नई नीति में सरकार ने भले ही नई शराब की दुकाने खोलने की कोई अनुमति नहीं दी है लेकिन ऐसे नए बार खोलने की सहमति दी है जिन पर कम एल्कोहल की मात्रा वाली मदिरा परोसी जाएगी। तो पिछले दरवाजे से नए बार खोलकर भी नशे के कारोबार को बढ़ावा देगी। इस कम एल्कोहल वाली शराब के सेवन से प्रदेश के युवा मदिरा सेवन की ओर आकर्षित होंगे। इन बारों के माध्यम से शराब ज्यादा बड़े समूह तक उपलब्ध होगी। नई आबकारी नीति के कारण खुदरा ब्यापार पर भी असर पड़ने की आशंका है। कुछ डिस्टिलर्स जो पहले से ही खुदरा कारोबार में सक्रिय है वे ऐसे बार के लाइसेंस छद्य नामों से लेक र अपने प्रतिस्पर्धियों पर दबाव बना सकते है। इससे छोटे व्यापारियों के लिए संकट खड़ा हो सकता है और बड़ी कंपनियों को अपना हित साधना आसान हो जाएगा।
उज्जैन पर असमंजस
उज्जैन में जो शराब की दुकाने बंद होंगी वहां उससे होंने वाला राजस्व माफ करने की योजना पर भी विभाग काम कर रहा है ताकि कुछ खास लोगों को इसका लाभ मिल जाए। यही कारण है कि कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद भी अब तक नई आबकारी पॉलिसी का गजट नोटिफिकेशन नहीं किया गया है।
नवीनीकरण के लिए बीस फीसदी वृद्धि का होगा असर
नई आबकारी नीति में बीस फीसदी ठेका कीमत बढ़ा कर ठेको के नवीनीकरण का प्रावधान किया गया है लेकिन कई स्थानों पर इतनी आय नहीं है इसलिए हो सकता है कि कई स्थानों पर बीस फीसदी कीमत बढ़ाकर नवीनीकरण कराने ठेकेदार सामने ही नहीं आए। ऐसे में आबकारी विभाग को इन दुकानों के ठेके देने टेंडर जारी करना पड़ेगा या नीलामी करना होगा।