Excise Tenders: 7 जिलों की सभी शराब दुकानें उठी,35 फीसदी दुकानों के लिए अब टेंडर का सहारा

65 फीसदी दुकानों से पिछले साल से 11.6 फीसदी ज्यादा राजस्व मिला

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Excise Tenders: 7 जिलों की सभी शराब दुकानें उठी,35 फीसदी दुकानों के लिए अब टेंडर का सहारा

भोपाल
मध्यप्रदेश में सात जिलों की सभी शराब दुकाने उठ गई है। शेष 45 जिलों में 295 समूहों के शराब ठेके के लिए अब टेंडर का सहारा है। जो 65 फीसदी शराब दुकानों के ठेके हो चुके है उनमें पिछले बार से 11.6 फीसदी ज्यादा राजस्व मिला है।अभी तक राज्य सरकार को शराब दुकानों से 8 हजार 499 करोड़ का राजस्व मिलना तय हो गया है।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक प्रदेश के छह जिलों अशोकनगर, श्योपुर, राजगढ़, डिंडौरी, नीमच, आगर मालवा में शत प्रतिशत शराब दुकाने नवीनीकरण में दस प्रतिशत ठेका मूल्य बढ़ाकर ठेकेदारों ने ले ली है। निवाड़ी जिले में एक समूह के टेंडर करने पड़े थे। वहां की भी शत प्रतिशत दुकानों के ठेके हो चुके है। अशोकनगर में 9, श्योपुर में 13, राजगढ़ में 43, डिंडौरी में 3, नीमच में 17 और आगर में दस तथा निवाड़ी में 11 शराब दुकान समूहों के ठेके हो चुके है।

प्रदेश के 45 जिलों की 295 दुकानों के टेंडर जारी किए गए है। 31 मार्च तक आबकारी विभाग बची हुई दुकानों के बार-बार टेंडर करता रहेगा जब तक की सभी दुकानों के ठेके फाइनल नहीं हो जाएं।

अगले वर्ष के लिए शराब दुकानों से 11.6 फीसदी ज्यादा राजस्व-
प्रदेश में 1135 समूहों में कुल 3 हजार 695 शराब दुकाने है। इनसे इस साल 11 हजार 840 करोड़ का राजस्व मिल रहा है। इस साल दस प्रतिशत कीमत बढ़ाकर 13 हजार 95 करोड़ इन शराब दुकानों का ठेका मूल्य तय किया गया है। अब तक 64.9 प्रतिशत दुकाने उठ चुकी है। शेष पैतीस फीसदी उठना बाकी है। अब तक उठी शराब दुकानों से राज्य सरकार को 8499 करोड़ रुपए का राजस्व मिलना तय हो गया है। यह पिछले साल के मुकाबले 11.6 फीसदी अधिक है। इन दुकानों से 8 हजार 378 करोड़ रुपए मिलना था जबकि अब इनसे 8 हजार 499 करोड़ रुपए मिले है। इस साल के लिए आरक्षित मूल्य से आबकारी विभाग को अब तक 1.4 प्रतिशत राशि ज्यादा प्राप्त हुई है। मौजूदा साल में जो दुकाने चल रही है उनसे इन्हीं दुकानों के 7 हजार 616 करोड़ रुपए राजस्व मिला था।

पैतीस फीसदी राजस्व में बड़े समूह-
भोपाल में आठ सौ करोड़, इंदौर में 450 करोड़, जबलपुर में 300 करोड़ इस तरह अब शेष जिलों में बड़े समूह शामिल है। इनमें अब आरक्षित मूल्य से कम पर भी टेंडर आने की उम्मीद है।