Expensive Mobile Recharge : कांग्रेस ने महंगे हुए मोबाइल रिचार्ज पर मोदी सरकार को घेरा, ट्राई के नियमों का हवाला दिया!

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Expensive Mobile Recharge : कांग्रेस ने महंगे हुए मोबाइल रिचार्ज पर मोदी सरकार को घेरा, ट्राई के नियमों का हवाला दिया!

New Delhi : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव रणदीपसिंह सुरजेवाला का कहना है कि देश की निजी मोबाइल कंपनियों रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने एक साथ अपना टैरिफ औसत 15% बढ़ाकर जनता पर 34 हजार 824 करोड़ रुपए का बोझ डाला है। यह एक तरह से मोदी 3.0 सरकार में 109 करोड़ मोबाइल उपभोक्ताओं से लूट की नई पारी है।

कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि तीनों मोबाइल कंपनियों का मार्केट शेयर 91.6% है और ऐसे में कुल 119 करोड़ मोबाइल उपभोक्ताओं में से 109 करोड़ उपभोक्ता इन्हीं तीन कंपनियों के हैं। इन तीन कंपनियों की सेवा का इस्तेमाल करने वाले देश के आम मोबाइल उपभोक्ताओं को अपनी जेब से 34 हजार 824 करोड़ सालाना का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि भारत का मोबाइल बाजार इन तीन कंपनियों की मलकियत है। रिलायंस जियो के 48 करोड़ मोबाइल उपभोक्ता, एयरटेल के 39 करोड़ एवं वोडाफोन आइडिया के 22 करोड़ 37 लाख उपभोक्ता हैं।

एक सरकारी रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कंपनियों को मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वाले प्रति ग्राहक से प्रतिमाह 152.55 रुपए की कमाई होती है। उन्होंने कहा कि 3 जुलाई को रिलायंस जियो ने अपने मोबाइल उपभोक्ता के लिए शुल्क 12% से 27% तक बढ़ा दिया। जियो का सबसे लोकप्रिय और किफायती प्लान 155 रुपए प्रतिमाह से बढक़र 189 रुपए कर दिया है। इसी तरह से एयरटेल ने अपने मोबाइल उपभोक्ता के लिए शुल्क 11 से 21 प्रतिशत बढ़ाया है तो वोडाफोन आइडिया ने भी शुल्क 10 से 24 प्रतिशत तक बढ़ाया है।

तीनों कंपनियों पर आरोप लगाए

रणदीप सिंह सुरजेवाला ने तीनों ही कंपनियों पर आरोपों की झड़ी लगाते हुए कहा कि इस घटनाक्रम में दो बातें बिल्कुल साफ हैं। पहली टैरिफ बढ़ाने की घोषणा की तारीख तीनों ही कंपनियों ने आपस में मिलकर तय की और दूसरी बढ़ा हुआ टैरिफ लागू करने की तारीख भी एक समान हैं। इस सेल फोन रेट वृद्धि से इन तीन कंपनियों के 109 करोड़ मोबाइल उपभोक्ताओं को प्रति वर्ष 34 हजार 824 करोड़ रुपए अतिरिक्त देने पड़ेंगे। रिलायंस जियो ने अपना औसत टैरिफ 20 प्रतिशत यानी 30.51 रुपए प्रति माह बढ़ाया है। प्रति ग्राहक मासिक औसत राजस्व यानी 152.55 रुपए का कुल 20 प्रतिशत बढ़ाया है। ऐसे में 48 करोड़ जियो उपभोक्ताओं के लिए यह वृद्धि 1464 करोड़ प्रति माह बनती है। इसी तरह से एयरटेल ने अपना औसत टैरिफ 15 प्रतिशत यानी 22.88 रुपए प्रति माह बढ़ाया है। ऐसे में 39 करोड़ एयरटेल ग्राहकों के लिए यह वृद्धि 892 करोड़ रुपए प्रति माह बनती है।

वोडाफोन आइडिया ने अपना टैरिफ 16% यानी 24.40 रुपए तक बढ़ाया है और 22 करोड़ 37 लाख वोडाफोन आइडिया उपभोक्ताओं के लिए यह वृद्धि 546 करोड़ प्रति माह बनती है। सुरजेवाला ने कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि सभी निजी कंपनियां अपना औसत टैरिफ समान रूप से 15 से 16 प्रतिशत बढ़ाएं, जबकि उनकी प्रॉफिटेबिलिटी, निवेश और कैपेक्स की जरूरतें बिल्कुल अलग हैं? फिर भी मोदी सरकार ने इस पर अपनी आंखें क्यों मूंद रखी हैं।

मोदी सरकार पर तथ्यों के साथ सवाल

कांग्रेस महासचिव ने मोदी सरकार से तथ्यों के साथ सवाल करते हुए कहा कि सरकार ने किसी भी नियम या निगरानी के बिना निजी मोबाइल कंपनियों को एकतरफा मर्जी व मनमानी से मोबाइल टैरिफ 34 हजार 824 करोड़ सालाना बढ़ाने की अनुमति क्यों दी? सरकार और भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ने 109 करोड़ मोबाइल उपभोक्ताओं के प्रति अपने कत्र्तव्य से मुंह क्यों मोड़ लिया और जिम्मेदारी से कन्नी क्यों काट ली?

 

कांग्रेस नेता ने कहा कि क्या मोदी सरकार ने मोबाइल की कीमतों में होने वाली वृद्धि को संसदीय चुनाव पूरा होने तक रोक कर नहीं रखा था, ताकि उनसे 109 करोड़ मोबाइल उपभोक्ताओं पर डाले गए बोझ और 34 हजार 824 करोड़ रुपए की अतिरिक्त वसूली करने के लिए जवाब ना मांगा जाए? क्या मोदी सरकार या भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ने 109 करोड़ मोबाइल उपभोक्ताओं पर 34 हजार 824 करोड़ रुपए अतिरिक्त भार डालने से पहले कोई अध्ययन या जांच की? क्या मोदी सरकार ने नीलामी के माध्यम से स्पैक्ट्रम की खरीद से होने वाले असर या कैपेक्स की जरूरत का कोई अध्ययन किया? क्या मोदी सरकार ने ए.जी.आर. पर दी गई पिछली रियायतों या नवंबर 2019 को मोदी 2.0 सरकार द्वारा स्पैक्ट्रम नीलामी की किश्तों को स्थगित करने के निर्णय या अन्य संबंधित बातों के प्रभाव का अध्ययन किया या फिर मनचाहे व मनमाने तरीके से कंपनियों को सेल फोन चार्ज बढ़ाने की बेलगाम छूट दे डाली?

सुरजेवाला ने एक और सवाल करते हुए कहा कि क्या यह सच नहीं है कि भारत के सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली साइंस फोरम बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में स्पष्ट कहा था कि केंद्र सरकार और भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण को निष्किय ट्रस्टी की तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए, बल्कि जनता के कल्याण के लिए सक्रिय ट्रस्ट के रूप में काम करना चाहिए। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 109 करोड़ प्रभावित उपभोक्ताओं और भारत के सभी नागरिकों को इसका जवाब देना चाहिए।