Expulsion from Kinnar Akhara : किन्नर अखाड़े से डॉ लक्ष्मी त्रिपाठी और ममता कुलकर्णी निष्कासित, अखाड़ा संस्थापक का आदेश!

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Expulsion from Kinnar Akhara : किन्नर अखाड़े से डॉ लक्ष्मी त्रिपाठी और ममता कुलकर्णी निष्कासित, अखाड़ा संस्थापक का आदेश!

लक्ष्मी नारायण ने भी अजय दास पर कई आरोप लगाए, अखाड़े में कलह!

Prayagraj : प्रयागराज महाकुंभ में किन्नर अखाड़ा फिर सुर्खियों में है। इस बार वजह बनी अभिनेत्री ममता कुलकर्णी। उन्हें किन्नर अखाड़े ने महामंडलेश्वर की उपाधि दी। फिल्मी दुनिया छोड़कर आध्यात्म का मार्ग अपनाने वाली ममता कुलकर्णी का पट्टाभिषेक किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर डॉ लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने किया था। ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने के साथ ही लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का नाम भी चर्चा में आ गया है।

लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी किन्नर अखाड़े की पहली महामंडलेश्वर हैं, जिन्होंने समाज में ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। किन्नर अखाड़ा के संस्थापक ऋषि अजय दास ने ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर और डॉ त्रिपाठी का आचार्य महामंडलेश्वर पद से हटा दिया। उन्होंने ममता कुलकर्णी को भी महामंडलेश्वर पद से निष्कासित कर दिया। इस पर लक्ष्मी नारायण ने भी अपना पक्ष रखा और ऋषि अजय दास पर कई आरोप लगाए।

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किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास ने आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को अखाड़े से निष्कासित करने का आदेश दिया। यह पूरा मामला असंवैधानिक ही नहीं, बल्कि सनातन धर्म और देश हित को छोड़कर ममता कुलकर्णी जैसे देशद्रोह के मामले में लिप्त महिला फिल्मी ग्लैमर से जुड़ी हुई है। उसे बिना किसी धार्मिक और अखाड़े की परंपरा को मानते हुए वैराग्य की दिशा से सीधे महामंडलेश्वर की उपाधि दे दी।

ऋषि अजय ने कहा कि ममता कुलकर्णी का पट्‌टाभिषेक कर दिया। इस कारण देश, सनातन और समाज हित में उन्हें पद मुक्त कर दिया गया है। ममता कुलकर्णी को लेकर उन्होंने कहा कि बिना मुंडन उनका पट्‌टाभिषेक किया गया। इसे उन्होंने सनातन धर्म प्रेमी और समाज के लिए छलावा करार दिया।

अखाड़े से बाहर किए जाने पर लक्ष्मी का पक्ष

किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास ने अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को उनके पद से हटा दिया। उन्हें अखाड़े से भी बाहर कर दिया गया। किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास के आरोपों पर भी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने जवाब दिया है। वहीं बॉलीवुड एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी जिन्हें महामंडलेश्वर बनाने के कारण विवाद शुरू हुआ था, उन पर भी उन्होंने जवाब दिया।

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आचार्य महामंडलेश्वर डॉ लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने बताया कि मेरा पद किसी एक व्यक्ति की नियुक्ति या सहमति पर आधारित नहीं था। 2015-16 उज्जैन कुंभ में 22 प्रदेशों से किन्नरों को बुलाकर अखाड़ा बनाया था। मुझे आचार्य महामंडलेश्वर चुना गया। उस वक्त ऋषि अजय दास हमारे साथ थे। 2017 में वे शादी कर उज्जैन आश्रम बेचकर, पैसा लेकर मुंबई चले गए। उनके कर्मों की वजह से उन्हें बर्खास्त कर दिया था। अगर वह संस्थापक रहते, तो किन्नर अखाड़े में रहते। कंप्यूटर बाबा के आश्रम में क्या कर रहे हैं। अब ऋषि अजय दास से हमारे वकील बात करेंगे। उन पर कानूनी कार्रवाई भी करेंगे।

चरित्र को कलंकित करने की कोशिश

ममता कुलकर्णी से जुड़े आरोपों के संदर्भ में, मैं स्पष्ट रूप से इनकार करती हूँ कि मैंने किसी भी धार्मिक उपाधि या सम्मान को बिना उचित परंपराओं का पालन किए प्रदान किया हो। किन्नर अखाड़े की कोई भी वैध परंपरा बिना उचित प्रक्रिया के किसी को राष्ट्र-विरोधी ठहराने या केवल पृष्ठभूमि के आधार पर बाहर करने का समर्थन नहीं करती। सनातन धर्म करुणा, परिष्कार और आध्यात्मिक एकीकरण को महत्व देता है। यह कहना कि मैंने देशहित के विपरीत काम किया या किन्नर अखाड़े के सिद्धांतों से भटककर अनुचित व्यक्तियों को उपाधियाँ दीं, नितांत भ्रामक है और मेरे चरित्र को कलंकित करने का प्रयास मात्र है।

कौन है लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी

किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को उनके पद से हटा दिया गया। अब इस मामले की चर्चा है। उनका जन्म 13 दिसंबर 1980 को महाराष्ट्र के ठाणे में हुआ था। उन्होंने मुंबई के मीठीबाई कॉलेज से स्नातक और भरतनाट्यम में स्नातकोत्तर किया। वर्ष 2002 में उन्होंने ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिए एक गैर-लाभकारी संगठन शुरू किया। लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की कोशिशों के चलते सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर को ‘तीसरे लिंग’ के रूप में मान्यता दी। वर्ष 2015 में उन्हें किन्नर अखाड़े की पहली महामंडलेश्वर बनाया गया।

ममता को लेकर उठा सवाल

ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने के बाद काफी सवाल उठ रहे हैं। ममता को लेकर संत समाज की ओर से कई प्रकार के सवाल उठाए जा रहे थे। किन्नर अखाड़े में इस फैसले को लेकर भीतरखाने विरोध की भी खबरें आने लगी थी। लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी वर्ष 2008 में संयुक्त राष्ट्र में एशिया प्रशांत का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली ट्रांसजेंडर हैं।