
BCCI Lifetime Achievement Award : बीसीसीआई शनिवार को सचिन तेंदुलकर को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित करेगी!
तेंदुलकर ने अपने करियर में 200 टेस्ट और 463 वनडे मैच खेले, सबसे ज्यादा रन और शतक बनाए!
Mumbai : टीम इंडिया के बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को शनिवार को बीसीसीआई के वार्षिक समारोह में बोर्ड के ‘लाइफटाइम अचीवमेंट’ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। तेंदुलकर इस पुरस्कार को जीतने वाले 31वें खिलाड़ी होंगे। बीसीसीआई ने भारत के पहले कप्तान कर्नल सीके नायडू के सम्मान में 1994 में इस पुरस्कार को शुरू किया था। तेंदुलकर के 200 टेस्ट और 463 वनडे मैच इस खेल के इतिहास में किसी भी खिलाड़ी द्वारा सर्वाधिक हैं। उन्होंने वनडे में 18,426 रनों के अलावा 15,921 टेस्ट रन बनाए हैं। उन्होंने अपने शानदार करियर में केवल एक टी20 अंतरराष्ट्रीय खेला है।
अपने युग के महानतम बल्लेबाज माने जाने वाले तेंदुलकर को हर परिस्थिति में सहजता से रन बनाने के लिए जाना जाता था। उन्होंने 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ 16 साल की उम्र में टेस्ट पदार्पण किया और अगले दो दशक में दुनिया भर के गेंदबाजों के खिलाफ रन बनाये। उनके नाम टेस्ट और वनडे प्रारूप को मिलाकर 100 शतक लगाने का रिकॉर्ड भी है। बल्लेबाजी के कई रिकॉर्ड अपने नाम करने वाले तेंदुलकर भारत की 2011 विश्व कप विजेता टीम के एक प्रमुख सदस्य भी थे। यह उनका रिकॉर्ड छठा और आखिरी विश्व कप था।
जब सचिन अपने खेल के अपने चरम पर थे तब उनकी बल्लेबाजी को देखने के लिए देश की एक बड़ी आबादी जैसे थम जाती थी। प्रतिद्वंद्वी टीमों के गेंदबाजों में उनका सबसे ज्यादा खौफ रहता था। दुनिया भर के कई पूर्व दिग्गज गेंदबाज यह कह चुके हैं भारतीय बल्लेबाजों में उन्हें सिर्फ तेंदुलकर से परेशानी होती है। भारतीय क्रिकेट परिदृश्य में तेंदुलकर का उदय उसी समय हुआ जब भारत में आर्थिक उदारीकरण शुरू हुआ था।
घुंघराले बालों इस प्रतिशाली क्रिकेटर से कश्मीर से कन्याकुमारी तक लोगों का भावनात्मक जुड़ाव हो गया। वह इस दौरान कॉर्पोरेट भारत के भी पसंदीदा सितारे बनकर उभरे। जब 17 वर्षीय तेंदुलकर ने पर्थ के बेहद उछाल वाली वाका पिच पर शतक बनाया तो कई युवा को उनके नायक मिल गये। उन्होंने 1998 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शारजाह में ‘डेजर्ट स्टॉर्म शतक’ बनाया तो मध्यम आयु वर्ग के लोगों ने उनमें अपने बेटे की झलक देखी।
सचिन ने नवंबर 2013 में संन्यास लिया
1999 में चेन्नई टेस्ट में पाकिस्तान के खिलाफ भारत को जीत के मुहाने पर ले जाकर जब आउट हुए तो करोड़ों दिल टुकड़े-टुकड़े हो गए। दो अप्रैल 2011 को जब उन्होंने एक दिवसीय विश्व कप जीतने के बाद महेंद्र सिंह धोनी को गले लगाते हुए खुशी के आंसू बहाए तो पूरे देश ने उनकी खुशी साझा की। उन्होंने नवंबर 2013 में मुंबई में मांसपेशियों में खिंचाव के दर्द को सहते हुए अपने अंतरराष्ट्रीय करियर को अलविदा कहा तो लाखों लोगों की आंखें नम थी।