किसानों ने किया नारकोटिक्स विभाग का घेराव, अफ़ीम उत्पादकों ने ज्ञापन में मांगें उठाई

231

किसानों ने किया नारकोटिक्स विभाग का घेराव, अफ़ीम उत्पादकों ने ज्ञापन में मांगें उठाई

जिला पंचायत सदस्य एवं सैंकड़ों किसानों ने किया प्रदर्शन

मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

मंदसौर। विलंब से घोषित की गई अफ़ीम नीति एवं विसंगतियों के साथ भाव वृद्धि, परंपरागत एवं सी पी एस पध्दति बारे में किसान नेता एवं जिला पंचायत सदस्य दीपक सिंह गुर्जर के नेतृत्व में सैकड़ों किसानों ने नारकोटिक्स कार्यालय का घेराव कर किसानों के साथ हो रही विभाग की ज्यादतियों का विरोध दर्ज कराया।

गुरुवार दोपहर को एकत्र होकर प्रदर्शन और नारेबाजी करते हुए जिला अफ़ीम कार्यालय पहुंचे अंचल के किसानों ने मांग रखी कि नवीन सीपीएस के जो पट्टे जारी किए जा रहे हैं उनमें प्रत्येक लाइसेंसधारी से 80000 रु से लेकर दो लाख रु तक की अवैध मांग नाकोटिक्स विभाग के कुछ अधिकारियों की मदद से बिचौलियों द्वारा मांगे जा रहे, चूंकि अभी जारी किए जा रहे नवीन पट्टे जो कि लगभग 30 साल पुराने हैं उनमें 90% से अधिक लाइसेंसधारी की मृत्यु हो चुकी है और उसी वजह से मृतक नामांतरण के नाम पर लाइसेंसधारी के परिवार के वारिस का नाम जोड़ने के लिए 1 लाख रु तक की अवैध मांग की जा रही है और न देने पर नवीन पट्टे को काट दिए जाने तक की धमकी दी जा रही है।

साथ ही सीपीएस पद्धति वाले वे किसान जिन्होंने बीते वर्ष 23-24 में अफीम की बुवाई की थी और विभाग को डोडा दिया था उसकी कितनी मात्रा दी जानी चाहिए थी उसे विभाग द्वारा ठीक से प्रचारित नहीं किया गया और अब जाकर साल भर बाद विभाग द्वारा बताया गया कि किसानों को उन्हें 67.50 किलो डोडा दिया जाना चाहिए था। जिससे कई हजार किसानों के पट्टे रोक दिए गए जो कि सरासर गलत है और विभाग को उन रोके गए पट्टों को तुरंत जारी करना चाहिए।

WhatsApp Image 2024 11 21 at 17.53.55

किसानों ने बताया कि सीपीएस वाले अफीम उत्पादक किसान से जब शासन डोडा लेता है तो उसका शासकीय मूल्य 200 रु /किलो और अफीम को मार्फिन के आधार पर 1800रु/किलो के मान से लेता है जबकि वहीं डोडाचूरा जब कही अवैध परिवहन या तस्करी में बरामद होता है तब उसका अंतरराष्ट्रीय मूल्य 1 लाख रु/किलो बताया जाता है और अफीम की तस्करी में जप्त हुई अफीम की अंतरराष्ट्रीय मूल्य 3 से 5 लाख रु तक की कीमत के बताए जाते है, ऐसे में विभाग को डोडाचूरा और अफीम के दामों की पुनः समीक्षा करनी चाहिए और 200रु से बढ़ाकर 2000रु/किलो और अफीम के शासकीय दाम 1800रु/किलो से बढ़ाकर 10000रु/किलो किया जाना चाहिए। इससे न सिर्फ किसानों को लाभ होगा अपितु तस्करी और अवैध परिवहन भी समाप्त होने की संभावना बढ़ेगी।

साथ ही जब अफीम उत्पादक किसान अपनी फसल तैयार कर शासन को दे चुका होता है तब उस समय भी डोडा उखड़वाने के नाम पर किसानों से लाखों रुपए की अवैध वसूली होती है उसे भी बंद किया जाना चाहिए और किसानों को स्वतः ही डोडा उखड़वाने की अनुमति दी जानी चाहिए।

डोडाचूरा को एनडीपीएस एक्ट से बाहर किये जाने की मांग भी ज्ञापन के माध्यम से की गई।

नारकोटिक्स आयुक्त ग्वालियर के नाम दिए ज्ञापन को नारकोटिक्स अधिकारी श्री आर सिंह ने प्राप्त किया। जिला अफ़ीम अधिकारी खंड एक एवं खंड द्वितीय के एवं नारकोटिक्स विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।

इस अवसर पर मंदसौर दलौदा पिपलियामंडी मल्हारगढ़ सीतामऊ शामगढ़ सहित ग्रामीण क्षेत्रों के अफ़ीम काश्तकारों के साथ किसान नेता गोविन्द सिंह पंवार, जगदीश धनगर फौजी, रूपल संचेती, संदीप सलोद, राकेश कुमावत, अजहर हयात मेव, नानालाल धामनिया, सुरेश पाटीदार, रंगलाल धनगर, सुरेश टेलर, बद्रीलाल धनगर, किशोर गोयल, पंकज कटारिया, जनपद सदस्यगण लालचंद गुर्जर, रामप्रसाद वर्मा, अर्जुन गुर्जर, मुकेश बामनिया, पद्मेश सोलंकी, अनिल धनगर नयाखेड़ा, सुखदेव कुमावत, मोहन खारोल, वर्षा सांखला, अनिल राठौर एडवोकेट, पीयूष जैन, विनय राजोरिया एडवोकेट, वसीम खान, विजय सिंह सोलंकी, संजय सिंह सोलंकी, फिरोज खान, अब्बास भाई भरड़ावद, विष्णु चंद्रवंशी, मनसब अली, कपिल सुरावत, बंटी जैन, शीतल सिंह बोराना, सत्यनारायण पाटीदार बूढ़ा, मोहनलाल राठौर, अशोक गुर्जर नागदा, ईश्वर सूर्यवंशी, नेहा जैन, कारुलाल पाटीदार, कोमलराम वाघेरिया, राजू पाटीदार, नीलम वीरवाल, युनुस मेव, प्रहलाद शर्मा, मोहन खारोल, अजय सोनी, शुभम कुमावत, विजय जैन, नितेश सतिदासानी, अकरम खान, गोविन्द सिंह डोराना, पद्मेश सोलंकी, बालाराम पाटीदार पिपलिया कराड़िया, बापूसिंह सिसोदिया, अजीज लाला , डॉ फरीद तुमड़वाड़ा, घनश्याम चौहान, शम्सू भाई मंसूरी कचनारा, हेमंत शर्मा, प्रकाश कुमावत, शंकर धनगर, विशाल अहिरवार आदि सैकड़ों किसान विरोध प्रदर्शन में उपस्थित रहे।

नगर और जिले के अन्य किसान नेताओं ने भी संबोधित किया। ज्ञापन का वाचन किसान नेता और जिला पंचायत सदस्य दीपक सिंह गुर्जर ने किया।