चित्रा और स्वाति नक्षत्र के साथ इन्द्रयोग में मनेगा व्रत – ज्योतिर्विद पं राघवेंद्र रविशराय गौड़

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पर्व अवसर पर विशेष –

*🚩हरतालिका व्रत 18 सितम्बर 🚩
चित्रा और स्वाति नक्षत्र के साथ इन्द्रयोग में मनेगा व्रत –
ज्योतिर्विद पं राघवेंद्र रविशराय गौड़

मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की प्रस्तुति

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श्रावण भादवा माह में चल रहे पर्व और त्यौहार वातावरण को धर्म और आस्था मय बनाये हुए हैं । श्रावणी रक्षा बंधन जन्माष्टमी के बाद अब धर्मावलंबियों के साथ समाज जन हरितालिका तीज , गणेश चतुर्थी , रामदेव मेला , जल झुलनी एकादशी , अनंत चतुर्दशी के साथ श्वेताम्बर दिगम्बर जैन समाज पर्युषण पर्व आराधना कर रहे हैं ।

सनातन धर्म व्यवस्था में हरितालिका तीज व्रत का विधान है और इसके महत्व को शास्त्रों , पुराणों और ग्रंथों में बताया गया है । मंदसौर के ज्योतिर्विद पंडित राघवेंद्र रविशराय गौड़ ने इस पर्व विशेष पर जानकारी देते हुए बताया कि विधि पूर्वक व्रत लाभकारी सिद्ध होगा पंडित श्री राघवेंद्र ने कहा संकल्प शक्ति का प्रतीक और अखंड सौभाग्य की कामना का यह पावन व्रत हरतालिका तीज पंचांगानुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को किया जाता है। इस वर्ष यह व्रत 18 सितम्बर सोमवार को है।

पंडित श्री राघवेंद्र के अनुसार इस वर्ष हरतालिका तीज पर इंद्र योग और रवि योग बना है. रवि योग दोपहर 12:08 से अगले दिन 19 सितंबर को सुबह 06:08 तक है. हरतालिका तीज वाले दिन चित्रा और स्वाती नक्षत्र का संयोग बना है. इंद्र योग सुबह से लेकर अगले दिन प्रात:काल तक है. चित्रा नक्षत्र दोपहर 12:08 तक है. उसके बाद से स्वाती नक्षत्र है. हरतालिका तीज की पूजा स्वाती नक्षत्र में प्रदोष काल में होगी. जब सूर्य अस्त हो रहा होगा तो उस समय से हरतालिका तीज की पूजा प्रारंभ होगी. इस साल हरतालिका तीज की पूजा शाम 06:23 से प्रारंभ होगी. स्वाती नक्षत्र में माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है ।
पंडित श्री राघवेंद्र पूजन विधि पूजन सामग्री , तीज व्रत कथा आदि का विवरण देते हुए मातृशक्ति , महिलाओं और व्रत करने वाले सभी के लिए
सरल जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं ।

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🚩पूजन सामग्री🚩

हरतालिका तीज की पूजन सामग्री
हरतालिका पूजन के लिए – गीली काली मिट्टी या बालू रेत। बेलपत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल एवं फूल, , मंजरी, जनैव,वस्त्र, सभी प्रकार के फल एवं फूल पत्ते, फुलमाला
पार्वती मां के लिए सुहाग सामग्री- मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, आदि।
श्रीफल, कलश, अबीर, चन्दन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम, दीपक, घी, दही, शक्कर, दूध, शहद ।।

🚩 पूजन विधि 🚩

इस व्रत पर सौभाग्यवती स्त्रियां नए लाल वस्त्र पहनकर, मेंहदी लगाकर, सोलह शृंगार करती है और शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और मां पार्वती जी की पूजा आरम्भ करती है। इस पूजा में शिव-पार्वती की मूर्तियों का विधिवत पूजन किया जाता है और फिर हरितालिका तीज की कथा को सुना जाता है। माता पार्वती पर सुहाग का सारा सामान चढ़ाया जाता है। भक्तों में मान्यता है कि जो सभी पापों और सांसारिक तापों को हरने वाले हरितालिका व्रत को विधि पूर्वक करता है, उसके सौभाग्य की रक्षा स्वयं भगवान शिव करते हैं।

🚩🚩शिव पुराण की कथा 🚩🚩

शिव पुराण की एक कथानुसार इस पावन व्रत को सबसे पहले राजा हिमवान की पुत्री माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए किया था और उनके तप और आराधना से खुश होकर भगवान शिव ने माता को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।

🚩लिंग पुराण मे तीज व्रत कथा🚩

लिंग पुराण के अनुसार एक कथा – मां पार्वती ने अपने पूर्व जन्म में भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए हिमालय पर गंगा के तट पर अपनी बाल्यावस्था में अधोमुखी होकर घोर तप किया। इस दौरान उन्होंने अन्न का सेवन नहीं किया। काफी समय सूखे पत्ते चबाकर काटी और फिर कई वर्षों तक उन्होंने केवल हवा पीकर ही व्यतीत किया। माता पार्वती की यह स्थिति देखकर उनके पिता अत्यंत दुखी थे।।

इसी दौरान एक दिन महर्षि नारद भगवान विष्णु की ओर से पार्वती जी के विवाह का प्रस्ताव लेकर मां पार्वती के पिता के पास पहुंचे, जिसे उन्होंने सहर्ष ही स्वीकार कर लिया। पिता ने जब मां पार्वती को उनके विवाह की बात बतलाई तो वह बहुत दुखी हो गई और जोर-जोर से विलाप करने लगी। फिर एक सखी के पूछने पर माता ने उसे बताया कि वह यह कठोर व्रत भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कर रही हैं जबकि उनके पिता उनका विवाह विष्णु से कराना चाहते हैं। तब सहेली की सलाह पर माता पार्वती घने वन में चली गई और वहां एक गुफा में जाकर भगवान शिव की आराधना में लीन हो गई।

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भाद्रपद तृतीया शुक्ल के दिन हस्त नक्षत्र को माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और भोलेनाथ की स्तुति में लीन होकर रात्रि जागरण किया। तब माता के इस कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और इच्छानुसार उनको अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया।

मान्यता है कि इस दिन जो महिलाएं विधि-विधानपूर्वक और पूर्ण निष्ठा से इस व्रत को करती हैं, वह अपने मन के अनुरूप पति को प्राप्त करती हैं। साथ ही यह् व्रत पर्व दाम्पत्य जीवन में आनन्द व उमंग बनाये रखने के उद्देश्य से भी मनाया जाता है ।

विधान पूर्वक और श्रद्धा से की गई पूजा आराधना फलदायक होती है माता पार्वती की आराधना सफल रही और देवाधिदेव महादेव को परमेश्वर स्वरूप में प्राप्त किया ।
हरितालिका तीज पर्व की मंगल कामना ।