Father saved by Daughter : पहली बार नाबालिग बेटी ने पिता को अंगदान किया, 12 घंटे का ऑपरेशन सफल!

सिस्टम से लड़ी, हाईकोर्ट की अनुमति के बाद लिवर ट्रांसप्लांट हुआ!

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Father saved by Daughter : पहली बार नाबालिग बेटी ने पिता को अंगदान किया, 12 घंटे का ऑपरेशन सफल!

Indore : अखाड़े में कुश्तियां जीतने वाले पहलवान शिवनारायण बाथम के लिए जीवन की जंग बहुत मुश्किल रही। लेकिन, नाबालिग बेटी प्रीति आगे आई और उसने यह जंग जीत ली। कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद शिवनारायण को बेटी प्रीति ने अपना लिवर दिया। शहर के निजी अस्पताल में ट्रांसप्लांट प्रक्रिया सफल रही। देर रात तक सर्जरी चलती रही, जिसमें पांच डॉक्टरों की टीम शामिल थी। डॉक्टरों ने बताया कि इसमें करीब 12 घंटे का समय लगा।

बेटमा के शिवनारायण बाथम को बेटी प्रीति अपने बीमार पिता को लिवर डोनेट करना चाहती थी। लेकिन, नाबालिग होने की वजह से उसे प्रशासन ने इसकी इजाजत नहीं दी। शिवनारायण नामी पहलवान रहे हैं। कई राष्ट्रीय कुश्तियां जीत चुके हैं, लेकिन लिवर ने जो मुसीबतें खड़ी की, जो ब्रेन तक जा पहुंची। इसके बाद लिवर न मिलने से बेटी ने ट्रांसप्लांट की इच्छा जताई, मगर कई परेशानियां आईं। आखिरकार अदालत का दखल काम आया और यह ऑपरेशन कामयाब रहा।

प्रदेश का पहला मामला है, जिसमें नाबालिग बेटी अपने पिता को लिवर डोनेट किया। डॉ अमित बरफा ने सर्जरी की। अभी दोनों को आईसीयू में रखा गया है। पिता और बेटी दोनों स्वस्थ हैं। ट्रांसप्लांट के दौरान कोई परेशानी नहीं आई। सात दिन तक पिता को आईसीयू में रखा जाएगा और तीन दिन तक बेटी को। सर्जरी में डॉ अभिषेक यादव, डॉ सुदेश शारदा, डॉ अक्षय शर्मा, डॉ गौरव और डॉ अंकुश शामिल थे।

जिद के आगे सिस्टम से लड़ी

सर्जरी के पहले शिवनारायण बताते हैं कि जब पहलवानी किया करता था, तो लोगों को अच्छे खाने और ठीक ढंग से रहने की सीख दिया करता था। लेकिन, जिंदगी आगे बढ़ी और खुद की लाइफ स्टाइल खराब कर ली। यूनिवर्सिटी का चैंपियन रहा हूं। जब धार संभाग केसरी का टूर्नामेंट जीता, तब मेरे अखाड़े में करीब 50 लड़के ट्रेनिंग ले रहे थे। लेकिन, जब से बीमारी हुई, एक भी पहलवान तैयार नहीं कर पाया। जब मुझे कोई डोनर नहीं मिल रहा था, तब बेटी ने मां से कहा। मेरे घर के बड़े राजी नहीं हुए। डॉक्टरों ने कह दिया कि तुम नाबालिग हो, डोनेट नहीं कर सकती। ये अपने आपमें पहला केस है, जब किसी नाबालिग बेटी ने पिता को लिवर देकर उनकी जान बचाई।

शिवनारायण ने बेटी का त्याग बताया

शिवनारायण बताया कि मेरी बेटी ने ही हाईकोर्ट में याचिका लगाई, मुझे पता नहीं था। डॉक्टर पहले ही चेतावनी दे चुके थे कि महीने-डेढ़ महीने के भीतर डोनर नहीं मिला तो हालत खराब हो जाएगी। मेरी पांच बेटियां हैं और सबसे बड़ी प्रीति है, जो देखभाल कर रही है। मेरी पत्नी भी लिवर देने को तैयार हो गई, लेकिन उसे शुगर है तो डॉक्टरों ने मना कर दिया।

बेटी अपनी जिद पर अड़ी रही

पूरे परिवारवालों ने बेटी को समझाया कि ऐसा न करें, लेकिन वह नहीं मानी। अगर बीमारी से ठीक हुआ तो जल्द ही मैदान में आऊंगा। मैं चाहता हूं कि ठीक होकर गांव और कुश्ती के लिए नजीर बनूं। फिर से कुश्ती की कोचिंग शुरू करूंगा। बेटी ने अपनी जिद के आगे किसी की नहीं मानी। सिस्टम से लड़कर बेटी ने वो जंग जीत ली जो मैं अपनी कुश्ती से भी कभी नहीं जीत सका।