
नाबालिग सौतेली बेटी से दुष्कर्म करने वाले बाप को 20 साल की सजा!
Ratlam : षष्ठम अपर सत्र न्यायाधीश (लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012) ने घर में नाबालिग सौतेली बेटी के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी को धारा 5(एल)/6, 5(एन)/6 पॉक्सो एक्ट में 20 वर्ष का सश्रम कारवास एवं 1-1 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाते हुए आरोपी को जेल भेजने के आदेश दिए। प्रभारी उप-निदेशक अभियोजन श्रीमती आशा शाक्यवार ने बताया कि 6 जुलाई 2021 को 16 वर्षीय नाबालिग ने दीनदयाल नगर थाने पर रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि मैं कक्षा 8वीं तक पढ़ी लिखी हुं। मेरी मां ने 7 वर्ष पहले एक व्यक्ति से शादी की थी। उसके बाद हम सोतेले पिता हमारे साथ रहने लगे थे। मेरे सोतेले पिता की मुझ पर गंदी नजर रहती थी।
29 मई 2021 को मेरे सोतेले पिता ने मेरी मां को मारपीट कर घर से भगा दिया था और मुझे मेरी मेरी मां के साथ नही जाने दिया था। उसके बाद उसने मेरे साथ रात में गलत काम किया था और मुझे धमकी दी थी कि किसी को बताना मत उसके बाद मैंने मेरे सोतेले पिता से कहा की मुझे मेरी नानी के घर छोड दो तो वो मुझे नानी के घर छोडकर आ गया। 8 जून 2021 को मेरे सोतेले पिता मुझे वापस रतलाम लेकर आ गए। मेरी मां भी आ गई थी। मेरी मां रोज की तरह कचरा बिनने चली गई थी तब मेरे सोतेले पिता ने मेरा मुंह दबाकर मुझे कमरे से उठाकर आगे वाले कमरे में ले गए और मुझे कहा कि चिल्लाना मत और मेरे मुंह पर कपडा बांध दिया था और मेरे हाथ दुपट्टे से बांध दिए थे और मेरे सारे कपडे उतारकर मेरे साथ दुष्कर्म किया था। उसके बाद उसने मुझे धमकी दी थी कि किसी को बोलना मत मैने डर के कारण यह बात किसी को यह बात नही बताई। 13 जून 2021 को मेरी मां रोज की तरह कचरा बिनने के लिए निकल गई थी और उसने मेरे साथ फिर दुष्कर्म किया। जिससे मुझे तकलीफ होने लगी थी तो मैंने मेरी मां के आने पर सारी घटना बताई और फिर मैं अपनी मां के साथ थाने पर रिपोर्ट करने आई हुं।
फरियादी की रिपोर्ट पर थाना दीनदयाल नगर के अपराध क्रमांक 356/2021, धारा 376 (2)(एन), 376(2) (च), 3/4, 5एल/5एन पास्को एक्ट एवं धारा 3 (2)(v), 3(1)(i), 3(w) (i) अजा./अजजा. अत्याचार निवारण अधिनियम पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। अनुसंधान के उपरांत अभियुक्त के विरूद्ध 376 (2)(एन), 376(2) (च), 3/4, 5एल/5एन पास्को एक्ट एवं धारा 3 (2)(v), 3(1)(i), 3(1)(w)(i) अजा./अजजा. अत्याचार निवारण अधिनियम अभियोग पत्र तैयार कर विशेष न्यायालय पॉक्सो एक्ट में प्रस्तुत किया गया।
मामले में विशेष न्यायालय द्वारा अभियोजन की और से दस्तावेजी, मौखिक साक्ष्य एवं वैज्ञानिक साक्ष्य को प्रमाणित मानते हुए आरोपी को सजा सुनाई। बता दें कि विचारण के दौरान विशेष पॉक्सो न्यायालय में नाबालिग को उसके घर वालों के दबाव एवं समाज में बदनामी के दबाव बनाया जा रहा था।विशेष न्यायालय पॉक्सो एक्ट ने अपने निर्णय में नाबालिग के कथन पर विश्वास करते हुए एवं डीएनए रिपोर्ट पॉजिटीव होने के आधार पर अभियुक्त को दोषी करार दिया विशेष लोक अभियोजक व मीडिया सेल प्रभारी कृष्णकांत चौहान ने बताया कि शासन की और से पैरवी विशेष लोक अभियोजक पॉक्सो एक्ट गौतम परमार ने की!





