Female Chess Champion : ‘महिला चेस वर्ल्ड कप 2025’ चैंपियन बनी भारत की दिव्या देशमुख, फाइनल में भारत की कोनेरू हंपी को हराया!

यह खिताब जीतने वाली वे पहली भारतीय महिला, सिर्फ 19 साल की उम्र में ये कारनामा किया!

348

Female Chess Champion : ‘महिला चेस वर्ल्ड कप 2025’ चैंपियन बनी भारत की दिव्या देशमुख, फाइनल में भारत की कोनेरू हंपी को हराया!

Batumi (Georgia) : भारत की युवा चेस प्लेयर दिव्या देशमुख ने ‘महिला चेस वर्ल्ड कप 2025’ का खिताब जीत लिया। सिर्फ 19 साल की दिव्या ने जॉर्जिया में हुए इस वर्ल्ड कप के फाइनल में भारत की ही दिग्गज खिलाड़ी कोनेरू हंपी को शिकस्त देते हुए ये खिताब जीता। इसके साथ ही वो वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला चेस स्टार बन गईं। उन्हें ये उपलब्धि भारत की पहली महिला ग्रैंडमास्टर को हराकर ही हासिल की। पिछले साल नागपुर की दिव्या ने जूनियर वर्ल्ड चैंपियन का खिताब जीता था और अब वो महिला चेस वर्ल्ड कप की चैंपियन भी बन गईं। इस खिताबी जीत के साथ ही वो अब भारत की चौथी महिला ग्रैंडमास्टर भी बन गई हैं।

जॉर्जिया के बाटुमी में पिछले करीब 3 हफ्तों से महिला चेस वर्ल्ड कप का आयोजन हो रहा था, जहां दिव्या देशमुख ने फाइनल में पहुंचकर इतिहास रचा था। उसके बाद भारत की पहली महिला ग्रैंडमास्टर कोनेरू हंपी ने भी फाइनल में पहुंचकर इस खिताबी मुकाबले को खास बना दिया था। इससे इतना तय हो गया था कि जीत चाहे जिसकी भी हो, खिताब भारत के हिस्से में ही आएगा और पहली बार कोई भारतीय महिला चेस वर्ल्ड कप चैंपियन बनेगी। मगर इस बार युवा जोश के आगे अनुभव को शिकस्त मिली।

IMG 20250729 WA0011

दिव्या और कोनेरू के बीच शनिवार 26 जुलाई को फाइनल में पहली टक्कर हुई थी, जहां 19 साल की इंटरनेशनल मास्टर खिताब जीतने के करीब नजर आ रही थी। मगर आखिरी मौके पर उन्होंने एक गलती की और यहां से कोनेरू ने वापसी करते हुए मैच को ड्रॉ करवा दिया। फिर रविवार को दोबारा दोनों की टक्कर हुई और इस बार भी मैच ड्रॉ पर खत्म हुआ। ऐसे में चैंपियन का फैसला करने के लिए टाईब्रेक की नौबत आई।

फाइनल के शुरुआती दोनों मैच क्लासिकल फॉर्मेट में खेले गए, लेकिन टाईब्रेक रैपिड फॉर्मेट में खेला जाना था और यहां 38 साल की कोनेरू अपनी जूनियर के मुकाबले ज्यादा मजबूत थीं। क्योंकि, इस फॉर्मेट में वो दिव्या की तुलना में ज्यादा बेहतर खिलाड़ी हैं। मगर सोमवार 28 जुलाई को हुए टाईब्रेक मुकाबले में कहानी एकदल पलट गई। दिव्या ने अपनी दोगुनी उम्र की कोनेरू को उनके ही गेम में फंसाया और गलती के लिए मजबूर कर दिया। आखिरकार दिव्या ने टाईब्रेक में जीत दर्ज करते हुए खिताब अपने नाम कर लिया। सिर्फ 19 साल की उम्र में वो ये खिताब जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं। इतना ही नहीं, अब वो भारत की चौथी महिला ग्रैंडमास्टर भी बन जाएंगी।

दिव्या की ये खिताबी जीत उनके पिछले डेढ़ साल के सफलता के सिलसिले में एक और नया अध्याय है। इससे पहले पिछले साल ही दिव्या ने जूनियर चेस वर्ल्ड चैंपियनशिप में गर्ल्स कैटेगरी का खिताब जीता था। फिर बुडापेस्ट में उन्होंने भारतीय महिला टीम को चेस ओलंपियाड का चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। इस दौरान उन्होंने इंडिविजुअल कैटेगरी का गोल्ड मेडल भी जीता। अब चेस वर्ल्ड कप जीतकर उन्होंने अपना नाम भारतीय चेस के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज करवा लिया।