Fight Against Majority: 6 बार टेंडर-री टेंडर और दरें हो गई 22 से 2 रुपए!

46

Fight Against Majority: 6 बार टेंडर-री टेंडर और दरें हो गई 22 से 2 रुपए!

राजनीति शास्त्र पढ़ते हुए पढ़ा कि Majority consist of fools याने बहुमत मूर्खों का होता है। इसी आधार पर राजतंत्र के समर्थक दार्शनिक और विचारक प्रजातंत्र को मूर्खों का शासन कहते आये हैं .यह बात अलग है कि राजतंत्र और कुलीन तंत्र की मूर्खताओं के क़िस्से भी कम नहीं हैं .

हुआ यों था कि भीषण सड़क दुर्घटना में आहत होने के बाद मैंने बड़वानी से भोपाल स्थानांतरण माँगा क्योंकि मेरी चोटों में असहनीय दर्द था और मैं मैदानी पद स्थापना के योग्य नहीं था किंतु मंत्रालय में बैठी महान मूर्तियों को मेरी पीड़ा न सुनाई दी न दिखाई दी .तभी एक दिन मेरे पास तत्कालीन मंत्री श्री अजय विश्नोई जी का फ़ोन आया .उन्हें जबलपुर में सीईओ ज़िला पंचायत के लिये किसी ने मेरा नाम सुझाया था .मैंने उन्हें अपनी चोटों के बारे में बताया और क्षमा माँग ली तब मुझे पता नहीं था कि सरकार मुझे सीईओ ज़िला पंचायत बनाकर बालाघाट भेज देगी जहाँ मुझे अपनी दुखती चोटों के साथ घाटों और पहाड़ियों का आनंद लेना है जो ख़राब सड़कों पर दोगुना मज़ा देगा .

जल्दी ही बालाघाट मेरी नियति बन गया .भोपाल से दूर बालाघाट ज़िला पंचायत अनियमितताओं का गढ़ थी .अपने कष्ट भूलकर मैं जनता का कष्ट दूर करने में लग गया .मेरी कार्य पद्धति से ज़िला पंचायत सदस्यों का आक्रोश बढ़ने लगा .

पंचायत प्रतिनिधि लाखों रुपये खर्च कर एक कठिन चुनाव जीतकर आते हैं .उनकी पहली चिंता चुनाव का कर्ज़ उतारने की होती है .मैं इस पवित्र और आवश्यक कार्य में रोड़ा बना हुआ था सो उनका ग़ुस्सा और आक्रोश सहज था .जब वे हर प्रकार से दुखी और परास्त हो गए तो दलीय सीमायें और आपसी शत्रुता भुलाकर एक हो गए .ज़िले के जॉब कार्ड छपाने मैंने टेंडर जारी किये .22 रुपये प्रति जॉब कार्ड की दर मुझे ऊँची लगी .मैंने निरस्त कर पुनः टेंडर बुलाये .इस बार 18 की दर आई। साथ में सदस्यों का संधि प्रस्ताव कि यदि आप यह टेंडर मंज़ूर कर दें तो युद्ध विराम हो सकता है .कई ज़िलों ने इसी दर पर जॉब कार्ड छपाये हैं.मैंने छह बार रिटेंडर किया और दो रुपये की दर से छपाई मंज़ूर की .हमारे जन प्रतिनिधियों का क्रोध और दुःख आप समझ सकते हैं .ज़िला पंचायत ने सीईओ की मनमानी और तानाशाही के खिलाफ़ बहुमत से नहीं बल्कि एकमत से निंदा प्रस्ताव पास कर शासन को भेजा .तत्काल स्थानांतरण की उनकी माँग से मैं पूरी तरह सहमत था पर सरकार कब किसकी सुनती है ?प्रजातंत्र के साथ मेरा मल्लयुद्ध अभी कुछ दिन और चलना था .

Author profile
IMG 20240120 WA0022
राजीव शर्मा

चर्चित प्रशासक ,प्रखर वक्ता ,वन्य जीव छायाकार ,पुरातत्व प्रेमी ,लोकप्रिय कवि और अब बेस्ट सेलर उपन्यासकार राजीव शर्मा बहुआयामी व्यक्तित्व के लिये जाने जाते हैं.भारतीय प्रशासनिक सेवा से स्वैच्छिक सेवा निवृति लेकर वे मप्र की प्रतिभाओं को फुटबॉल क्रांति और प्रणाम मप्र के माध्यम से निखारने में लगे है .मालवा ,महाकौशल,विंध्य ,निमाड़ ,मध्य भारत ,बुंदेलखंड में एसडीएम ,एडीएम ,सीईओ जिला पंचायत ,कलेक्टर ,आयुक्त आदि पदों पर कार्य करते हुए जनमानस से उनका गहरा जुड़ाव रहा है .ग्रामीण विकास मंत्रालय के रिसोर्स पर्सन के रूप में NIRD हैदराबाद ,labasnaa मसूरी ,SIRD जबलपुर ,नरोन्हा अकादमी भोपाल में व्याख्यान .

आदि शंकराचार्य पर आधारित उनका उपन्यास दो केंद्रीय विश्व विद्यालयों सहित कुल पाँच विश्व विद्यालयों के पाठ्यक्रम में सम्मिलित है .विद्रोही संन्यासी और अद्भुत संन्यासी मराठी अंग्रेजी सहित अन्य भारतीय भाषाओं में अनूदित .आजकल सम्राट सहस्त्रबाहु पर उपन्यास को अंतिम रूप देने में लगे हैं.

१८५७ की क्रांति पर उनके दो उपन्यास स्वाहा और रामगढ़ की वीराँगना शीघ्र प्रकाश्य .उनकी The SDM प्रशासनिक अधिकारियों का मैन्युअल है .

उनके प्रयासों से बान्धवगढ़ के वनों में छिपे पुरातत्व का स्वतंत्र भारत में पहली बार सर्वे हुआ .