Film Review: इमरजेंसी- गूंगी गुड़िया का आयरन लेडी बनना

458

Film Review: इमरजेंसी- गूंगी गुड़िया का आयरन लेडी बनना

डॉ प्रकाश हिंदुस्तानी

इमरजेंसी इंदिरा गांधी  के गूगी गुड़िया के आयरन लेडी बनने का सफर है। कंगना रनौत को इमरजेंसी फिल्म में इंदिरा गांधी की तारीफें करनी पड़ी। दर्शकों को बताना पड़ा कि इंदिरा गांधी आयरन लेडी इसलिए कहलाई कि उन्होंने साहसिक फैसले लिये थे। बांग्लादेश की आज़ादी, पोखरण में शांतिपूर्ण परमाणु परिक्षण, विपक्षी नेता के रूप में गरीबों की हमदर्द बनकर हिंसा से जूझ रहे बेलछी में हाथी पर बैठकर जाना और अंतरात्मा की आवाज़ पर इमरजेंसी हटाने और चुनाव कराने की घोषणा और फिर सत्ता में आने की कहानी कंगना को दिखानी ही पड़ी। अगर यह फिल्म लोक सभा चुनाव के पहले लग जाती तो इससे कांग्रेस के वोट बढ़ जाते।

mcms 1

फिल्म में इंदिरा कहती हैं इंदिरा इज़ इण्डिया और इण्डिया इज़ इंदिरा। लेकिन यह बात इंदिरा गाँधी ने कभी एक नहीं कही थी। उनके चमचों और मीडिया ने ज़रूर कही थी। हुसैन जैसे कलाकारों ने तो उन्हें दुर्गा के रूप में चित्रित किया था। कंगना का मन हुआ कि यह डायलॉग बोले, बोल दिया।

कंगना रनौत इमरजेंसी फिल्म में दिखाना चाहती थी कि इंदिरा गांधी बचपन से ही जिद्दी और बदमिजाज़ थीं, लेकिन उन्हें फिल्म में यह दिखाना पड़ा कि इंदिरा गांधी अपने सिद्धांतों पर कितनी अडिग थीं – जिन्होंने कहा था कि मेरे लहू का एक-एक कतरा देश के लिए है। चिंता नहीं है कि मैं जीवित रहूँ या नहीं , मेरे खून का एक-एक कतरा भारत को जीवित रखेगा।

कंगना रनौत को दिखाना पड़ा कि इंदिरा गांधी को पिता जवाहरलाल नेहरू और दादा मोतीलाल नेहरू ने कैसा इतिहास बोध कराया था। उन्हें यह दिखाना पड़ा कि भारी दबाव के बावजूद उन्होंने अंतरात्मा की आवाज पर इमरजेंसी खत्म की और साहस के साथ चुनाव की घोषणा की, जिसमें उन्हें बुरी तरह हारना ही था। इंदिरा गांधी के सत्ता में नहीं रहने के कारण विपक्ष में किस तरह जूतम पैजार हुई और बेलछी जैसे कांड हुए। नरसंहार को रोकने में जनता पार्टी की सरकार नाकाम रही और वापस इंदिरा गांधी सत्ता में आई। इंदिरा गांधी ने संजय को किस तरह एक तरफ कर दिया था और वे संजय गांधी से मिलती तक नहीं थी। यहां तक कि संजय गांधी उनके पीए से बार बार गुजारिश करते थे कि मुझे मेरी मां से मिलने दो लेकिन इंदिरा गांधी ने अपने बेटे को ज्यादा अहमियत नहीं दी थी।

फिल्म के अनुसार संजय गांधी अय्याश और आवारा युवा था। उसके साथ देने वालों में उनकी गर्ल फ्रेंड रुखसाना सुलतान भी थी जो फिल्म अभिनेत्री अमृता सिंह (सैफ अली खान की पूर्व पत्नी) मां थीं। फिल्म के अनुसार उसे लाइन पर लाने के लिए ही उसकी शादी मेनका गांधी से करा दी गई थी। लेकिन राहुल गांधी सोनिया गांधी और मेनका गांधी के बारे में उन्होंने एक सीन भी दिखाने की हिम्मत नहीं की। कंगना ने इंदिरा गाँधी के पति सांसद फ़िरोज़ गाँधी को भी वुमनाइजर दिखाने की कोशिश की और इंदिरा को स्वच्छंद विचार वाली स्त्री। वास्तव में कंगना रनौत इमरजेंसी को लेकर फिल्म बनाना चाहती थी, लेकिन उन्हें बनानी पड़ी इंदिरा गांधी के पूरे जीवन पर फिल्म, जिसमें इंदिरा गांधी के जीवन से जुड़ी घटनाएं दिखानी पड़ीं। अंत में यह तक दिखाना पड़ा कि इंदिरा गांधी पूरे देश के 60 करोड़ ( तब इतनी ही आबादी थी) लोगों को अपना परिवार मानती थीं। जब उन्हें सलाह दी गई कि वे अपने सिख सुरक्षाकर्मियों को हटा लें तो उन्होंने यह बात नहीं मानी और कहा कि यह पूरा देश मेरा है और मुझे किसी भी व्यक्ति के प्रति कोई संदेह नहीं है।

फिल्म के टाइटल में इमरजेंसी को ‘ईमरजेन्सी’ लिखा देखना अखरा। इतनी हिंदी तो आनी ही चाहिए। क्रेडिट में मनोज मुंतशिर शुक्ला का नाम भी गलत लिखा देखा। वे मनोज मुंतशिर शर्मा कब से हो गये? कंगना की प्रोस्थेटिक नाक देखकर अटपटा लगा। इस फिल्म पर कंगना को कोई न कोई राष्ट्रीय पुरस्कार मिलना तय है।

इंदौर के C 21 मॉल के पीवीआर में पहले दिन का पहला शो बहुत ही शान से देखा। हॉल में मेरे अलावा एक शख्स और था। तयशुदा वक्त बीतने के 25 मिनट बाद भी फिल्म शुरू नहीं हुई तो पड़ताल की। बताया गया कि मशीन में खराबी है, उसे सुधार रहे हैं। कुछ देर बाद दो जोड़े तोता-मैना ने हॉल में आकर और टॉप रो के दोनों कोनों को संभाला। तब जाकर फिल्म शुरू हुई। हॉल खाली हो तो तोता मैना को ओयो की क्या ज़रूरत?

देखनीय फिल्म ।