Film Review -राम सेतु : कहाँ मिया खलीफा और कहाँ बुर्ज खलीफा?

इस फिल्म का असल के राम सेतु से वैसा ही नाता है जैसा कि मिया खलीफा का बुर्ज खलीफा से होगा। फिल्म में यूपीए सरकार द्वारा प्रस्तावित सेतु समुद्रम परियोजना की तुलना तालिबान द्वारा बामियान में बुद्ध प्रतिमाओं को उड़ा देने से की गई है। दीपावली पर यह अक्षय कुमार एंड कंपनी का ताजा फ़िल्मी शाहकार है! इसी साल उनकी बच्चन पांडे, सम्राट पृथ्वीराज और रक्षा बंधन आई थी, जो नहीं चली। एक साल में चार-चार फ़िल्में देना कोई आसान काम नहीं है!

अक्षय कुमार एक पुरातत्ववेत्ता हैं। जो भगवान को नहीं मानता. भगवान को नहीं मानने के कारण उसे निजी जीवन में भी बहुत परेशानी होती है। उसके लिए राम सेतु महज एक प्रोजेक्ट है और रामायण एक महान साहित्यिक कृति। पहले दिखाई गई अपनी बहादुरी के कारण उसे राम सेतु परियोजना की जिम्मेदारी मिलती है। यहां ववह भगवान राम के अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा कर देता है। अब अक्षय कुमार ठहरा हीरो और उसे जीतना है भारत के फिल्मी दर्शकों का दिल! और कमाना है अरबों रुपए, इसलिए उसका हृदय परिवर्तन हो जाता है. उसे समझ में आता है कि भगवान श्री राम तो भारत की आस्था के केंद्र हैं. सांस्कृतिक विरासत हैं। इसी बात को फिल्म में भी स्थापित करने की कोशिश की गई है !

 

अक्षय कुमार भगवान राम द्वारा बनाए गए राम सेतु के पक्ष में पुरातत्ववेत्ता के हिसाब से सबूत इकट्ठे करने लगता है. वह पुरातत्ववेत्ता है, रिसर्चर है, फाइट मास्टर है, इसके अलावा बहुत गहरे समुद्र तट में जाकर खोज करने, श्रीलंका में घुसकर नई-नई जगहों पर जाकर राम और रावण के होने के सबूत इकट्ठे करने में भी महारत रखता है और साथ में सुप्रीम कोर्ट में जाकर अपना मत रखते हुए भाषण देने में भी सक्षम है। ऐसे राम भक्त की मदद करने के लिए स्वयं एके यानी पवन पुत्र श्री हनुमान आ जाते हैं।

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फिल्म में अक्षय कुमार ही अक्षय कुमार हैं। नुसरत भरुचा और जैकलीन फर्नांडीज़ आदि-इत्यादि केवल खाना पूरी के लिए हैं। गाने नहीं हैं। अंत में श्रीराम का भजन बैकग्राउंड में बजता है। फिल्म में समुद्र के भीतर के दृश्य नयनाभिराम हैं। श्रीलंका का कैंडी और नुवारा एलिया सुन्दर तरीके से फिल्माया गया है। बाकी तो जो है सो है !

यह फिल्म दर्शकों की बौद्धिकता की परीक्षा है ! पैसे देकर परीक्षा देना चाहो तो दो! जय श्री राम ! नोट : अगर मौका मिले तो डिस्कवरी चैनल पर राम सेतु की डाक्यूमेंट्री देख लीजिए।

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डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी जाने-माने पत्रकार और ब्लॉगर हैं। वे हिन्दी में सोशल मीडिया के पहले और महत्वपूर्ण विश्लेषक हैं। जब लोग सोशल मीडिया से परिचित भी नहीं थे, तब से वे इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। पत्रकार के रूप में वे 30 से अधिक वर्ष तक नईदुनिया, धर्मयुग, नवभारत टाइम्स, दैनिक भास्कर आदि पत्र-पत्रिकाओं में कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा वे हिन्दी के पहले वेब पोर्टल के संस्थापक संपादक भी हैं। टीवी चैनल पर भी उन्हें कार्य का अनुभव हैं। कह सकते है कि वे एक ऐसे पत्रकार है, जिन्हें प्रिंट, टेलीविजन और वेब मीडिया में कार्य करने का अनुभव हैं। हिन्दी को इंटरनेट पर स्थापित करने में उनकी प्रमुख भूमिका रही हैं। वे जाने-माने ब्लॉगर भी हैं और एबीपी न्यूज चैनल द्वारा उन्हें देश के टॉप-10 ब्लॉगर्स में शामिल कर सम्मानित किया जा चुका हैं। इसके अलावा वे एक ब्लॉगर के रूप में देश के अलावा भूटान और श्रीलंका में भी सम्मानित हो चुके हैं। अमेरिका के रटगर्स विश्वविद्यालय में उन्होंने हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर अपना शोध पत्र भी पढ़ा था। हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर पीएच-डी करने वाले वे पहले शोधार्थी हैं। अपनी निजी वेबसाइट्स शुरू करने वाले भी वे भारत के पहले पत्रकार हैं, जिनकी वेबसाइट 1999 में शुरू हो चुकी थी। पहले यह वेबसाइट अंग्रेजी में थी और अब हिन्दी में है।

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी ने नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर एक किताब भी लिखी, जो केवल चार दिन में लिखी गई और दो दिन में मुद्रित हुई। इस किताब का विमोचन श्री नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के एक दिन पहले 25 मई 2014 को इंदौर प्रेस क्लब में हुआ था। इसके अलावा उन्होंने सोशल मीडिया पर ही डॉ. अमित नागपाल के साथ मिलकर अंग्रेजी में एक किताब पर्सनल ब्रांडिंग, स्टोरी टेलिंग एंड बियांड भी लिखी है, जो केवल छह माह में ही अमेजॉन द्वारा बेस्ट सेलर घोषित की जा चुकी है। अब इस किताब का दूसरा संस्करण भी आ चुका है।