Film Review: एक्शन के लिए ही बनी है फिल्म वेदा

Film Review: एक्शन के लिए ही बनी है फिल्म वेदा

जॉन अब्राहम यानी एक्शन ! वेदा फिल्म बनाई ही गई है जॉन अब्राहम के एक्शन दिखाने के लिए।  एक्शन दिखाने के लिए कहानी है जिसमें जातिवाद और ऑनर किलिंग जैसे विषय जोड़े गए हैं।

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निर्देशक निखिल आडवाणी की वेदा फिल्म जातिवाद और ऑनर किलिंग को एक्शन और ड्रामा के मिश्रण से पेश करती है। फिल्म अवास्तविक चरित्र चित्रण, धीमी गति तथा हिंसा के अतिरेक कारण लड़खड़ा गई है। यह स्त्री प्रधान फिल्म होते हुए भी हिंसा प्रधान फिल्म हो गई है।

 

शुरुआत होती है पीओके से, जहां मेजर अभिमन्यु कंवर (जॉन अब्राहम) एक मिशन पर हैं। अफसर के ऑर्डर न मानने की वजह से  कोर्ट मार्शल हो जाता है।  नौकरी चली जाती है।  वह आतंकवादियों के हाथों अपनी बीवी को खो चुका है। उसी बीवी से किया वादा निभाने बाड़मेर जाता है, जो उसका नैटिव है। वहां उसे नौकरी मिलती है कॉलेज में बॉक्सिंग कोच की। वहां वह भयंकर जातिवाद और गुंडागर्दी देखता है। दलित होने की वजह से वेदा नामक उसकी छात्रा को वाटर कूलर से पानी पीने की इजाजत नहीं है।   हर रोज जाति के कारण अपमानित किया जाता है। वेदा  रोजमर्रा की जिंदगी में अपने समाज के लोगों को  जान गंवाते देखती है। लोगों को मारकर उनके घर की लड़कियों को उठा लिया जाता है।  उसे अपनी नजरें ऊंची करने की भी इजाजत नहीं है।  वेदा बॉक्सिंग सीखना चाहती है, लेकिन गांव के प्रधान का भाई  उसकी इस इच्छा को भी बहुत  दर्दनाक तरीके से कुचल देता है।  इलाके का स्वयंभू प्रधान दरिंदा है।   फिल्म में दो कहानियां हैं।  वेदा की और अभिमन्यु की।  वेदा की कहानी पीछे रह जाती है। न्याय दिलाने के नाम पर हिंसा ही हिंसा है।

यह शुद्ध एक्शन फिल्म है।  एक ख़ास वर्ग को पसंद आएगी।

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डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी जाने-माने पत्रकार और ब्लॉगर हैं। वे हिन्दी में सोशल मीडिया के पहले और महत्वपूर्ण विश्लेषक हैं। जब लोग सोशल मीडिया से परिचित भी नहीं थे, तब से वे इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। पत्रकार के रूप में वे 30 से अधिक वर्ष तक नईदुनिया, धर्मयुग, नवभारत टाइम्स, दैनिक भास्कर आदि पत्र-पत्रिकाओं में कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा वे हिन्दी के पहले वेब पोर्टल के संस्थापक संपादक भी हैं। टीवी चैनल पर भी उन्हें कार्य का अनुभव हैं। कह सकते है कि वे एक ऐसे पत्रकार है, जिन्हें प्रिंट, टेलीविजन और वेब मीडिया में कार्य करने का अनुभव हैं। हिन्दी को इंटरनेट पर स्थापित करने में उनकी प्रमुख भूमिका रही हैं। वे जाने-माने ब्लॉगर भी हैं और एबीपी न्यूज चैनल द्वारा उन्हें देश के टॉप-10 ब्लॉगर्स में शामिल कर सम्मानित किया जा चुका हैं। इसके अलावा वे एक ब्लॉगर के रूप में देश के अलावा भूटान और श्रीलंका में भी सम्मानित हो चुके हैं। अमेरिका के रटगर्स विश्वविद्यालय में उन्होंने हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर अपना शोध पत्र भी पढ़ा था। हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर पीएच-डी करने वाले वे पहले शोधार्थी हैं। अपनी निजी वेबसाइट्स शुरू करने वाले भी वे भारत के पहले पत्रकार हैं, जिनकी वेबसाइट 1999 में शुरू हो चुकी थी। पहले यह वेबसाइट अंग्रेजी में थी और अब हिन्दी में है।

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी ने नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर एक किताब भी लिखी, जो केवल चार दिन में लिखी गई और दो दिन में मुद्रित हुई। इस किताब का विमोचन श्री नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के एक दिन पहले 25 मई 2014 को इंदौर प्रेस क्लब में हुआ था। इसके अलावा उन्होंने सोशल मीडिया पर ही डॉ. अमित नागपाल के साथ मिलकर अंग्रेजी में एक किताब पर्सनल ब्रांडिंग, स्टोरी टेलिंग एंड बियांड भी लिखी है, जो केवल छह माह में ही अमेजॉन द्वारा बेस्ट सेलर घोषित की जा चुकी है। अब इस किताब का दूसरा संस्करण भी आ चुका है।