मध्य प्रदेश वेतन पुनरीक्षण नियम-2009 के नियम 10 में सुधार करना भूला वित्त विभाग,पेंशनर्स एवं शासकीय सेवकों को लगी लाखों की चपत
भोपाल: पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन के संरक्षक गणेश दत्त जोशी एवं प्रांताध्यक्ष आमोद सक्सेना ने बताया कि मुख्य सचिव एवं वित्त सचिव को ज्ञापन देकर अनुरोध किया है कि मध्यप्रदेश वेतन पुनरीक्षण नियम 2009 के नियम 10 में सुधार कर पुनः वेतन निर्धारण कर भुगतान करने के आदेश जारी किए जाएं । भारत सरकार ने इस संबंध में परिपत्र दिनांक 19 मार्च 2012 एवं 22 मई 2013 जारी कर अपने वेतन पुनरीक्षण नियम 2008 के नियम 10 में संशोधन किया है एवं उत्तर प्रदेश व छत्तीसगढ़ सरकार ने भी अपने-अपने वेतन पुनरीक्षण नियम में संशोधन कर जिन शासकीय सेवकों की वेतन वृद्धि अपुनिरीक्षित वेतनमान में 1 जनवरी के बाद किंतु 1 जुलाई के पहले होती थी, उन्हें 1 जनवरी 2006 को एक वेतन वृद्धि देकर छठवें वेतन आयोग के पुनरीक्षण नियम में वेतन निर्धारण किया गया है तत्पश्चात 1 जुलाई 2006 को एक वेतन वृद्धि का लाभ दिया गया ।
गणेश दत्त जोशी ने आरोप लगाया है कि भारत सरकार द्वारा 19 मार्च 2012 को जारी किए गए परिपत्र के संदर्भ में मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव एवं सचिव वित्त विभाग को मध्यप्रदेश पुनरीक्षण नियम 2009 के नियम 10 में संशोधन कर वेतन निर्धारण करने का अनुरोध किया था किंतु वित्त विभाग द्वारा आज दिनांक तक कोई कार्रवाई नहीं करने के कारण प्रदेश के पेंशनर्स एवं सेवारत शासकीय सेवकों को भारी आर्थिक हानि हुई है ।
आमोद सक्सेना ने बताया कि मध्यप्रदेश वेतन पुनरीक्षण नियम 2009 के नियम 10 में सुधार नहीं करने के कारण प्रदेश के पेंशनर्स एवं सेवारत शासकीय सेवकों को 13 से 18 माह बाद वेतन वृद्धि मिली है, जो संवैधानिक नहीं है । मध्यप्रदेश को छोड़कर सभी राज्यों ने भारत सरकार के परिपत्र 19 मार्च 2012 के अनुसार वेतन निर्धारण किया है । इसी तरह उत्तर प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ सरकार ने भी जिन शासकीय सेवकों की वेतन वृद्धि 1 जनवरी के बाद किंतु 1 जुलाई के पहले होती थी, उन्हें 1 जनवरी 2006 को अपुनरीक्षित वेतनमान में एक वेतन वृद्धि का लाभ देकर छठवें वेतन पुनिरीक्षण नियम के अंतर्गत वेतन संरचना में वेतन निर्धारण कर 1 जुलाई 2006 को एक वेतन वृद्धि का लाभ दिया है ।
सक्सेना ने इस विषय में शीघ्र आदेश जारी करने का शासन से अनुरोध किया है ।