First in MP: औद्योगिक जमीन पर अब आवासीय निर्माण की भी रहेगी अनुमति, 7 गुना FAR भी

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First in MP: औद्योगिक जमीन पर अब आवासीय निर्माण की भी रहेगी अनुमति, 7 गुना FAR भी

भोपाल: मध्यप्रदेश में अब पहली बार राज्य सरकार औद्योगिक क्षेत्रों के लिए आरक्षित जमीन पर आवासीय निर्माण की अनुमति भी देने की तैयारी में है। वहीं केन्द्र सरकार ने प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए राज्यों से चार तरह की रियायतें देने के लिए राज्यों से प्रस्ताव मांगे है। इसके तहत मास्टर प्लान में जहां जमीन औद्योगिक उपयोग के लिए तय है वहां आवास निर्माण की अनुमति दी जा सकेगी। लेकिन ये आवास लक्जरी टाउनशिप नहीं होंगे बल्कि उद्योगों में कार्यरत श्रमिकों के लिए अफोर्डेबल हाउसिंग की अनुमति दी जाएगी।

मध्यप्रदेश सरकार के नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने इसके लिए ड्रॉफ्ट तैयार कर लिया है। इसके लिए भूमि और भवन विकास नियमों में संशोधन किया जाएगा। अभी तक प्रदेश में औद्योगिक क्षेत्रों में किसी भी प्रकार के आवास निर्माण की अनुमति नहीं है। प्रदेश में उद्योगों की स्थापना करने वाले निवेशकों को अपने कर्मचारियों, अधिकारियों और श्रमिकों के लिए औद्योगिक क्षेत्र से अलग कॉलोनी विकसित कर उनके आवास की व्यवस्था करना होता है। इस पर भारी-भरकम राशि खर्च हो जाती है और उद्योग और कारखाने में आने-जाने में समय भी लगता है। यदि औद्योगिक क्षेत्र में जहां कंपनी का कारखाना है, प्रॉडक्शन इकाई है यदि वहीं यहां काम करने वाले कर्मचारियों के आवास बनाने की अनुमति मिल जाती है तो इससे लीज पर मिलने वाली जमीन पर उद्योगपति कर्मचारियों और श्रमिकों के लिए कारखाने के पास ही आवास बना सकेंगे। इससे उनके परिवहन पर होंने वाले खर्च भी कम होंगे और कर्मचारियो को आने-जाने में कम समय लगेगा। आपातकालीन स्थिति में पास से ही श्रमिकों और कर्मचारियों को बुलाया जा सकेगा। रात्रिकालीन पारी में भी श्रमिक आसानी से काम करने को तैयार हो जाएंगे क्योंकि उनका घर पास में ही होगा। इसमें डोरमेट्री, हास्टल, वर्किंग वुमेन हास्टल, श्रमिक आवास, ईडब्ल्यूएस निर्माण करने की अनुमति दी जाएगी। इससे बाहर के क्षेत्रों से माइग्रेट होकर काम की तलाश में शहरों में आने वाले श्रमिकों को आवास मुहैया कराए जा सकेंगे।

श्रमिकों के लिए मल्टीस्टोरी, हास्टल का निर्माण भी औद्योगिक क्षेत्र में इसके तहत किया जा सकेगा। भारत सरकार के रिफार्म एजेंडा में ये विषय शामिल है, केन्द्र सरकार ने इसे करने को कहा है। नगरीय विकास विभाग इसका परीक्षण कर रहा है। इस संबंध में पहली बैठक भी हो चुकी है। टाउन एंड कंट्री विभाग ने इसके गुण-दोष और लाभ हानि को लेकर अपना परामर्श दे दिया है विभागीय मंत्री के सामने अगले सप्ताह इसका प्रस्तुतिकरण किया जाएगा। विभाग का मत फाइनल होंने के बाद वित्त विभाग के जरिए इसे लागू करने का निर्णय लिया जाएगा। प्रत्येक रिफार्म के लिए केन्द्र सरकार दो सौ करोड़ रुपए की मदद भी राज्य को देगी।

इसमें रोड साइड और जहां संभव होगा उद्योगों को पांच से सात प्रतिशत FAR मिलेगा याने पंद्रह से सोलह मंजिला भवन बनाए जा सकेंगे। ग्राउंड कवरेज भी बढ़ाया जा सकेगा। अभी औद्योगिक क्षेत्र में तीस प्रतिशत पर ही पक्के निर्माण की अनुमति है अब इसें पचास से साठ प्रतिशत तक बढ़ाया जाएगा।