‘संगठन सृजन अभियान’ का पहला सबक…रहो सभी ‘लक्ष्मण रेखा’ के भीतर तक…

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‘संगठन सृजन अभियान’ का पहला सबक…रहो सभी ‘लक्ष्मण रेखा’ के भीतर तक…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

हाल ही में 3 जून 2025 को संगठन सृजन अभियान को शुरू करने के लिए भोपाल आए लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल गांधी ने साफ कर दिया है कि अपने बयानों से पार्टी को विसर्जन की तरफ ले जाने की कोशिश करने वाले नेताओं को कतई बर्दाश्त नहीं जाएगा। राहुल के मध्यप्रदेश आने के ठीक 7 दिन बाद मध्य प्रदेश में संगठन सृजन का असर दिखाई दे गया। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने बयानवीर लक्ष्मण सिंह को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। हालांकि लक्ष्मण सिंह यह चुनौती पहले ही दे चुके थे। इसलिए उनके ऊपर ऐसी किसी कार्रवाई का शायद ही कोई फर्क पड़े। और कल के दिन यदि वह भाजपा में शामिल होते हैं तब भी कोई आश्चर्य नहीं होगा क्योंकि पहले भी वह मध्य प्रदेश में भाई दिग्विजय की सरकार की विदाई के बाद भाजपा का दामन थाम चुके थे। और उन्होंने 2004 में भाजपा से ही लोकसभा सांसद का चुनाव राजगढ़ संसदीय क्षेत्र से जीता था। हालांकि 2013 में एक बार फिर उनका मन बदला और तब कांग्रेस का दामन फिर से थाम लिया था। 2018 में चाचौड़ा विधानसभा सीट से वह विधानसभा का चुनाव जीते थे लेकिन 15 माह की कमलनाथ कांग्रेस सरकार में उन्हें मंत्री बनाने की जरूरत भी पार्टी ने नहीं समझी थी। और 2023 विधानसभा चुनाव में लक्ष्मण सिंह चुनाव भी हार गए थे। पांच बार सांसद और तीन बार विधायक रह चुके 70 वर्षीय लक्ष्मण सिंह के पास अब खोने को कुछ भी नहीं है। और पहलगाम आतंकी हमले के बाद राहुल गांधी यानी कांग्रेस का शीर्ष चेहरा, रॉबर्ट वाड्रा यानी कांग्रेस पार्टी के बेहद सम्माननीय व्यक्तित्व और उमर अब्दुल्ला यानी जम्मू कश्मीर में कांग्रेस की गठबंधन सरकार के नायक पर बेहद तीखी और सच के करीब टिप्पणी कर लक्ष्मण सिंह ने जो सार्वजनिक आईना कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को दिखाया था, उसकी प्रतिक्रिया आना भी तय था। सो जो होना था वही हुआ, उससे ज्यादा और कम कुछ भी नहीं। लक्ष्मण सिंह के बहाने ही सही कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान का पहला सबक कार्यकर्ताओं को मिल गया है कि अनुशासन की लक्ष्मण रेखा के भीतर तक रहने में ही सबकी भलाई है। और जो भी नेता इसका उल्लंघन करता है उसको परिणाम का आभास भी पहले से ही कर लेना चाहिए। संगठन का सृजन ऐसे नेताओं का विसर्जन करने पर ही संभव है, जिसकी शुरुआत मध्य प्रदेश में हो चुकी है। 3 जून को राहुल गांधी मध्य प्रदेश आए और 11 जून 2025 को लक्ष्मण सिंह को कांग्रेस से बाहर कर सार्वजनिक आईना दिखा दिया गया है। यह बात और है कि पार्टी के अनुशासन के मायने अलग-अलग निकल जाएंगे। और चर्चा कृष्ण बिहारी नूर की इन पंक्तियों पर भी होगी कि ‘सच घटे या बढ़े तो सच न रहे, झूठ की कोई इंतिहा ही नहीं।’ और कांग्रेस में शायद कृष्ण बिहारी नूर के चाहने वालों की कमी नहीं है। कांग्रेस में एक तबका, उम्रदराज और मन की बात कहने वाले नेताओं का भी है। यह बड़ा तबका अब अनुशासन को लेकर चर्चा जरूर करता रहेगा। और रही बात बयानवीरों की तो यदि देखा जाए तो इनकी कमी किसी भी दल में नहीं है। यह बात और है कि कब किसके खिलाफ कार्रवाई अनुशासनहीनता के दायरे में आती है।

 

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने ट्वीट किया है कि कांग्रेस की पार्टी लाइन उर्फ़ परिवार लाइन-जो देश लाइन के विरुद्ध है। जो देश के साथ खड़ा हो, वो कांग्रेस में खड़ा नही रह सकता! जो राहुल गांधी और जीतू पटवारी की नेतृत्वहीनता को उजागर करे–दंड का पात्र बनता है! क्योंकि कांग्रेस में नेतृत्व पर सवाल उठाना, विचारधारा पर प्रश्न करना–सबसे बड़ा अपराध बन चुका है। जो राम मंदिर का समर्थन करे, सेना का सम्मान करे–वो पार्टी से बाहर!कांग्रेस अब उस राह पर है जहाँ राष्ट्रवाद ‘अयोग्य आचरण’ माना जाता है। टुकड़े-टुकड़े गैंग से सहानुभूति, लेकिन राष्ट्रवादियों पर कड़ी कार्रवाई! जिन्हें निष्कासित करना चाहिए था, वे आज कांग्रेस के विचार मंच पर विराजमान हैं।

कांग्रेस संगठन नहीं बना रही, संगठन तोड़ रही है—आस्था को अपराध और राष्ट्रवाद को विद्रोह मानकर। लक्ष्मण सिंह को निकालकर राहुल गांधी ने साबित कर दिया, कि वे सृजन करने नही विध्वंस करने आये थे। यह बात फिर साबित हो गई है, कि जीतू पटवारी के नेतृत्व में दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और अन्य गुटों को निपटाने की मुहीम चल रही है।

वहीं कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक का मानना है कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने लक्ष्मण सिंह को 6 वर्ष के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। उनकी प्राथमिक सदस्यता भी निरस्त कर दी गई है। नायक ने कहा कि यह संदेश है कि अनुशासन सबके लिए है। अनेक बार लक्ष्मण सिंह ने पार्टी को असहज कर देने वाले बयान दिए थे। पिछला बयान था कि राहुल गांधी,सोनिया गांधी आतंकवादियों के साथ खड़े हैं। इस बयान को बर्दाश्त नहीं किया गया और उनको निष्कासित कर दिया गया है। नायक ने कहा कि कांग्रेस भाजपा की तरह नहीं है। जहां मंत्री विजय शाह इस तरह के बयान के बाद भी बैठे हैं। लक्ष्मण सिंह को उसी दल में भाजपा डालेगी जिसमें सुरेश पचौरी पड़े हुए हैं। कांग्रेस में अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कोई भी हो, अनुशासनहीनता करने पर पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा।

हालांकि अनुशासनहीनता पर कार्रवाई पार्टी का आंतरिक मामला है लेकिन एक बार उनके बयान पर जरूर गौर करना चाहिए। लक्ष्मण सिंह ने 25 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर भी निशाना साधते हुए कहा था कि उनकी आतंकवादियों के साथ मिलीभगत हो सकती है। सिंह ने कहा था, रॉबर्ट वाड्रा का यह बयान कि मुस्लिमों को सड़क पर नमाज अदा नहीं करने देने के कारण आतंकवादियों ने हमला किया, न सिर्फ गैर जिम्मेदाराना है बल्कि ऐसा बयान भी है जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करता है। मैं यह सब कैमरे के सामने कह रहा हूं, ताकि कोई भी भ्रमित न हो। कांग्रेस बोलने से पहले 10 बार सोचे, नहीं तो चुनाव में जनता जवाब दे देगी। लक्ष्मणसिंह ने राहुल गांधी और रॉबर्ट वाड्रा को लेकर कहा था कि इन दोनों का ये बचपना हम कब तक झेलेंगे? राहुल गांधी भी थोड़ा सोच समझकर बात करें। इनकी नादानियों की वजह से इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। उन्होंने कहा था कि अगर पार्टी को मुझे निकालना है तो आज ही निकाल दे। हमारे नेताओं को सोच-समझकर बोलना चाहिए, वरना इसका खामियाजा चुनाव में भुगतना पड़ेगा।

तो लक्ष्मण सिंह ने मार्गदर्शक बनकर अपना काम किया और कांग्रेस पार्टी ने अपना फैसला लेकर लक्ष्मण को मार्ग दिखाकर यह जता दिया है कि संगठन के सृजन के लिए कितनों का भी विसर्जन करना पड़े, पर अब सृजन तो होकर रहेगा। और संगठन सृजन अभियान का पहला सबक…कि सभी रहो लक्ष्मण रेखा के भीतर तक… वरना गेंद राहुल गांधी के पाले में चली जाएगी…।