Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: पहले आदिवासी, अब कर्मचारियों को साधने में लगे शिवराज

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Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: पहले आदिवासी, अब कर्मचारियों को साधने में लगे शिवराज

पहले आदिवासी, अब कर्मचारियों को साधने में लगे शिवराज

मध्यप्रदेश में भाजपा अगला विधानसभा चुनाव जीतने के लिए हर तरफ से जोर लगा रही है। पिछले चुनाव में आदिवासी इलाकों से भाजपा को बढ़त नहीं मिली थी, इसलिए आदिवासियों को जितना साधना था साध लिया। भगोरिया पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह उनके बीच रंगीन छतरी लेकर खूब नाच लिए! अचानक उन्हें ध्यान आया कि सिर्फ इतने से बात नहीं बनेगी, तो अब राज्य सरकार के कर्मचारियों को साधने की कोशिश शुरू होने लगी।

Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: पहले आदिवासी, अब कर्मचारियों को साधने में लगे शिवराज

सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट की आयु से लेकर डीए बढ़ाने तक के मामले पर पहल होने लगी। रिटायरमेंट की आयु 62 से बढ़ाकर 65 किए जाने की कोशिशें शुरू हो गई है। इस संबंध में राज्य कर्मचारी संगठन के पदाधिकारियों से प्राप्त प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार शुरू हो चुका है कोई भरोसा नहीं किसी भी दिन कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 62 से 65 वर्ष की घोषणा सुनने को मिल जाए।

डीए को लेकर पहले ही मुख्यमंत्री आश्वासन दे चुके हैं। लेकिन, तीन साल रिटायरमेंट की आयु बढ़ाने से बेरोजगारों की संख्या भी तो बढ़ेगी, फिलहाल इस बात को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा! तय है कि किसी को साधने की कोशिश होगी तो कोई तो हाथ से दरकेगा ही!

इस दोस्ती को क्या नाम दिया जाए!

इन दिनों ज्योतिरादित्य सिंधिया और कैलाश विजयवर्गीय में नजदीकियां कुछ ज्यादा ही बढ़ रही है। एक सप्ताह में दो ऐसे मौके आए जब ये चिर-प्रतिद्वंदी कुछ ज्यादा नजदीक आए! ये भी दिखाई दिया कि जुगलबंदी की पहल सिंधिया की ही तरफ से ज्यादा हुई, न कि कैलाश विजयवर्गीय की तरफ से! पहले ज्योतिरादित्य अपने बेटे महाआर्यमन को लेकर कैलाश विजयवर्गीय के घर आए, उनके यहां आतिथ्य का आनंद लिया और जाते-जाते कुछ ऐसा राजनीतिक इशारा कर गए, जिसका मतलब आज तक खोजा जा रहा है।

Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: पहले आदिवासी, अब कर्मचारियों को साधने में लगे शिवराज

दूसरी बार MPCA के सालाना कार्यक्रम में जब उन्होंने कैलाश विजयवर्गीय को नीचे बैठे देखा तो सिंधिया उतरकर नीचे आए और जबरन उनका हाथ पकड़कर मंच पर लाए! ये राजनीतिक जुगलबंदी सिर्फ सामंजस्य तक सीमित नहीं है, इसके पीछे कोई ऐसा गूढ़ रहस्य जरूर है जो अभी समझ से बाहर है! क्या सिंधिया को दिल्ली से ऐसा कोई इशारा मिला है, जो अचानक उन्हें इंदौर का नंदा नगर रास आने लगा! कारण चाहे जो भी हो, इस एकतरफा दोस्ती का हाथ इतना ज्यादा आगे बढ़ता लग रहा है कि शंका के नए सवाल जन्म लेने लगे।

क्या कोई जानता है शिवराज के इस विकल्प को!

किसी से अचानक पूछा जाए कि सुमेरसिंह सोलंकी को जानते हो क्या, तो निश्चित रूप से सामने वाला व्यक्ति कुछ देर सोचगा जरूर! जरुरी नहीं कि उसे याद आ जाए कि ये मध्यप्रदेश से राज्यसभा सदस्य हैं! ये मूलतः बड़वानी हैं, कॉलेज में पढ़ाते थे और संघ की पसंद से राज्यसभा में पहुंच गए। ताजा खबर है कि इस अनजाने से नेता का नाम पढ़ा-लिखा आदिवासी होने की वजह से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का विकल्प के रूप में चर्चा में है। ये बात जो भी समझेगा, वो इस राजनीतिक कयास पर आश्चर्य ही करेगा, क्योंकि चुनावी साल में ऐसा कोई प्रयोग नासमझी ही माना जाएगा।

Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: पहले आदिवासी, अब कर्मचारियों को साधने में लगे शिवराज

जिस नेता को बड़वानी में कोई जानता नहीं, उसका नाम किस फॉर्मूले से चलाया जा रहा है, ये समझ से नहीं आ रहा! शिवराज सिंह चुनाव तक रहेंगे या नहीं, ये अलग मुद्दा है! पर, उनका विकल्प कोई उनके ही कद का नेता हो सकता है! कम से कम सुमेरसिंह सोलंकी तो कतई नहीं! ये सच है कि भाजपा आदिवासी इलाकों को साध रही है, लेकिन साधने की कोशिश में सुमेरसिंह जैसे नेता को कोई चांस देना इसका गणित तो मोदी और शाह ही जानते हैं।

इंदौर को मिला नया फीता काटने वाला नेता

इंदौर वालों की एक आदत है कि शहर में जब भी किसी नए नेता का उदय होता है उसे फीता काटने बुलाने वालों की लाइन लग जाती है। कभी ये स्थिति कैलाश विजयवर्गीय की थी, फिर विधायक के बाद निगम अध्यक्ष बनी मालिनी गौड़ की और उसके बाद पहली बार सांसद बने शंकर लालवानी ने खूब फीते काटे। लालवानी के बारे में तो यह कहा जाने लगा था कि जब कोई नेता नहीं मिले, तो शंकर लालवानी को बुलवा लो, वो हमेशा तैयार मिलेंगे! इस बात में कुछ गलत भी नहीं है! सुमित्रा महाजन 8 बार सांसद रही, पर वे हर कार्यक्रम के फोटो में नजर नहीं आई!

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उन्होंने पद की गरिमा का बहुत ध्यान रखा! अब सांसद शंकर लालवानी की जगह नए निगम महापौर पुष्यमित्र भार्गव लेते नजर आ रहे हैं। किसी दिवंगत नेता की पुण्यतिथि हो, जयंती हो या किसी कार्यक्रम का उद्घाटन हो, पुष्यमित्र भार्गव सबके लिए आसानी से उपलब्ध होने लगे! इसका नुकसान शंकर लालवानी को होता दिखाई देने लगा है। उनकी नए बने नेता पुष्यमित्र भार्गव से कुछ खुन्नस भी है। उनकी नाराजगी यह है, कि उनके समर्थक किसी पार्षद को MIC में जगह नहीं मिली। एक महिला पार्षद के लिए उन्होंने एड़ी-चोटी का जोर लगाया, पर बात नहीं बनी! यानी, इंदौर में एक नए नेता का उदय और दूसरे का…


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IAS अधिकारियों की कमी से जूझ रही केंद्र सरकार

केंद्र सरकार लगता है इन दिनों IAS अधिकारियों की कमी से जूझ रही है। वर्तमान में केंद्र में सचिव के दस पद खाली है। उर्वरक, सहकारिता, कार्पोरेट मामले, रक्षा उत्पादन, पूर्व – सैन्य कल्याण, अल्पसंख्यक मामले, सामाजिक न्याय और अधिकारिता, मत्स्य, पेंशन तथा पेंशन कल्याण और स्वास्थ्य अनुसंधान। इनमें से स्वास्थ्य अनुसंधान को छोड़कर अन्य सभी विभागों में IAS अधिकारी सचिव नियुक्त होते हैं।

डा मनौहर अगनानी
डा मनौहर अगनानी

आखिर अगनानी की अपने कैडर में लौटने की इच्छा कब पूरी होगी

डा मनौहर अगनानी अपने गृह काडर जाना चाहतै है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय मै तैनात अपर सचिव डा अगनानी ने केंद्र से वापसी का आवेदन किया है। वै मध्य प्रदेश काडर के आईएएस अधिकारी है। अब देखना होगा कि दोनों सरकारें उनकी इच्छा पूरी करती है या नहीं।

ED में कुछ अधिकारियों को लेकर उहापोह की स्थिति

केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी मे कुछ अधिकारियों को लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई है। केंद्रीय कस्टम और अप्रत्यक्ष कर बोर्ड ने पांच अधिकारियों की डेपुटेशन अवधि बढ़ाने से इंकार कर दिया है। इनमे ईडी मे अपर निदेशक सत्येंद्र कुमार भी है। उन्हें ईडी नहीं छोडना चाहता।

आकाशवाणी समाचार को नया मुखिया मिला 

आकाशवाणी समाचार को नया मुखिया मिल गया है। श्रीमती वसुधा गुप्ता ने महानिदेशक, आकाशवाणी समाचार का पदभार ग्रहण कर लिया है। वे 1989 बैच की भारतीय सूचना सेवा की अधिकारी हैं।

ITPO के अध्यक्ष बन सकते है

सुब्रह्मण्यम

इंडियन ट्रेड फेयर आर्गनाइजेशन, आई टी पी ओ के मुखिया एल सी गोयल का कार्यकाल अगस्त में पूरा हो गया। वे केरल काडर के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं। वाणिज्य सचिव बी वी वी सुब्रह्मण्यम को अतिरिक्त प्रभार सौंपा है, जो इसी महीने रिटायर हो रहे हैं। वे छत्तीसगढ़ काडर के आईएएस अधिकारी है। गोयल पांच साल से अधिक समय तक आई टी पी ओ के अध्यक्ष रहे। सूत्रों का मानना है कि सुब्रह्मण्यम को रिटायर्मेंट के बाद आई टी पी ओ का अध्यक्ष बनाया जा सकता है।