Flash Back : संस्मरणों के खजाने को अब विराम!     

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Flash Back : संस्मरणों के खजाने को अब विराम!       

‘मीडियावाला’ पर प्रति सप्ताह प्रस्तुत होने वाली अपनी संस्मरण श्रृंखला को मैं अब विराम दे रहा हूँ। 13 जुलाई 2021 से प्रारंभ यह श्रृंखला निरंतर चलते हुए 69 पड़ाव देख चुकी है। कुछ अर्थों में यह विराम इसलिए भी है, क्योंकि संभवतः कुछ अधिक कथनीय बचा नहीं।

इन संस्मरणों में मैंने बाल्यावस्था से लेकर वर्तमान सेवानिवृत्त की अवधि तक की स्वयं को स्मरणीय घटनाओं और अनुभवों को प्रस्तुत किया है। इन संस्मरणों में मैंने पूरी निष्ठा के साथ तथ्यों को रखने का पूरा प्रयास किया है। कुछ अवसरों पर अपने को दूर से एक समालोचक की दृष्टि से देखने का भी प्रयास किया है। पुरानी से पुरानी घटनाओं पर एकाग्रता से ध्यान करने पर वे जीवन्त सामने आने लगती हैं और संबंधित स्थानों और व्यक्तियों  के नाम भी मस्तिष्क में कौंध जाते हैं।

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अपने संस्मरणों में मैंने प्रारंभिक बाल काल के पारिवारिक अनुभव, शैक्षणिक जीवन, आईपीएस की सेवा में आने के पश्चात प्रारंभिक तथा सेवाकाल की कुछ प्रतिनिधि घटनाओं तथा  सेवा एवं सेवानिवृत्त के बाद की विदेश यात्राओं आदि का वर्णन किया है।

कुछ नितांत व्यक्तिगत क्षणों को भी शब्द दिए हैं जो संभवतः निजता की संकोच की सीमा में आते हैं। ऐसी तीन चार सेवाकाल की घटनाएँ भी बतायी है जब कर्तव्यनिष्ठा के नाम पर मेरी जान जाते जाते बच गई। यह वीरता का प्रदर्शन नहीं था अपितु धैर्य और दृढ़ता के साथ परिस्थिति से निपटना अधिक था।जीवन के कुछ ऐसे अनुभव और भी है जो अत्यंत रोचक तो हो सकते हैं परन्तु उनका प्रस्तुत किया जाना सुलभ गरिमा का उल्लंघन होगा।

संस्मरण लेखन को विराम देने से अब अध्ययन और विभिन्न विषयों पर लिखने के लिए अधिक समय और स्वतंत्रता मिल सकेगी। अभी मैंने क्रियाशील जीवन से पलायन नहीं किया है। अपने आगामी शेष जीवन में यदि कुछ अनुभव महत्वपूर्ण समझूंगा तो पुनः संस्मरण के रूप में प्रस्तुत करूँगा। जीवन सतत चलने का नाम है।

*’मीडियावाला’ की ओर से आभार*  

एनके त्रिपाठी ने अपने जीवन के व्यक्तिगत अनुभवों के साथ अपने सेवाकाल के बिरले अनुभवों को ‘मीडियावाला’ के साथ जिस तरह बांटा, उससे ‘मीडियावाला’ की पूरी टीम आभारी है। इन संस्मरणों को सेवानिवृत्ति के बाद फिर से लिखना आसान नहीं था, पर त्रिपाठी सर ने यह कर दिखाया। उनकी स्मृतियों का शाब्दिक खजाना ‘मीडियावाला’ की अनमोल विरासत है। हम उम्मीद करते हैं, कि वे यदा-कदा अपने अनुभवों को अपने पाठकों के साथ बांटा करेगा।

– सुरेश तिवारी- प्रधान संपादक