Flashback: ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण-पूर्व की अनूठी यात्रा
अपनी पहली विदेश यात्रा में मैं अकेले इंग्लैंड और यूरोप के भ्रमण पर गया था।अपनी दूसरी विदेश यात्रा में मैं लक्ष्मी को साथ ले जाने के लिए बहुत उत्सुक था।पहले अमेरिका जाने का विचार किया परन्तु फिर कुछ सोचकर ऑस्ट्रेलिया की अनूठी यात्रा का कार्यक्रम बनाया। लक्ष्मी के साथ मैं 8 सितंबर, 2004 को मुंबई से सिंगापुर पहुँचा जहाँ मेरे इकलौते भांजे शोभित दुबे रहते हैं।सिंगापुर एयरपोर्ट पर वह हमें लेने आया। वह हमें लेकर पॉश क्षेत्र की कॉन्डोमिनियम में बने अपने अपार्टमेंट में ले गया। सिंगापुर में सेंटोसा आइलैंड में प्रसिद्ध लेज़र शो देखा। बोटेनिकल गार्डन, चाइनाटाउन, ऑर्चर्ड रोड तथा मुस्तफ़ा मॉल आदि दर्शनीय स्थलों को देखा। कुछ ही दशकों में सिंगापुर की ऐसी प्रगति देखकर मैं हतप्रभ रह गया। सिंगापुर से हम मलेशिया रवाना हो गये।मलेशिया में क्वालालंपुर के पास स्थित नई राजधानी पुत्रजया और प्रसिद्ध बाटू गुफा का दक्षिण भारतीय हिंदू मंदिर देखा।एक रात जेंटिंग हाइट के पर्वत पर रुक कर वहाँ का कैसिनो देखकर मैं वापस सिंगापुर आया। सिंगापुर से रवाना होकर ऑस्ट्रेलिया के डार्विन एयरपोर्ट पर पहुँचा और वहाँ पर मैंने अपनी घड़ी मिलाई।
ऑस्ट्रेलिया पृथ्वी का सबसे छोटा महाद्वीप अथवा सबसे बड़ा द्वीप है। भारत के दुगने से बड़ा यह देश बहुत समतल है तथा चारों ओर समुद्री किनारों को छोड़कर पूरा रेगिस्तान है। डार्विन से मैं क्वींसलैंड के पूर्वोत्तर में स्थित कैर्न्स शहर पहुँचा। सर्वप्रथम हम कुरान्डा के रेनफॉरेस्ट देखने गए। इतने घने और लंबे पेड़ों का जंगल इसके पहले मैंने कभी नहीं देखा था। जंगल के पेड़ों के ऊपर रोप वे पर केबल कार में चलना एक अद्भुत अनुभव था। हम ज़मीन से 125 फ़ीट ऊपर चल रहे थे।केबल कार हमें समुद्र सतह से 5 सौ मीटर से अधिक की ऊँचाई तक ले गई।एक स्थान पर हम घने जंगल के बीच बहुत कम प्रकाश में नीचे उतरे और वहाँ हमें घूमने का अवसर प्राप्त हुआ। जंगल से वापस लौटकर मैं बस स्टैंड के पास पार्क में घूमता रहा और मेरी आख़िरी बस छूट गई क्योंकि डार्विन की मिलाई गई घड़ी यहाँ से आधा घंटा पीछे थी। बस स्टॉप पूर्ण निर्जन हो गया।अंधेरा होने ही वाला था कि मेरी दृष्टि एक हेल्प बूथ पर पड़ी। मैं वहाँ गया और वहाँ पर लगे निर्देश पढ़ कर फ़ोन की सहायता से टैक्सी बुलायी।
कैर्न्स के समुद्री तट से कुछ दूर समुद्र के अंदर विश्व की भौगोलिक धरोहर ग्रेट बैरियर रीफ़ है। समुद्र के नीचे ये छोटे पहाड़ों की चोटी के समान है जिसे प्रकृति ने समुद्री जीव कोरल के शरीरों को कैल्शियम कार्बोनेट से जोड़कर बनाया है। समुद्री तट से हम लोग ऐसी नाव से गए जो पनडुब्बी की तरह समुद्र के नीचे भी जा सकती थी। पानी के अंदर से कोरल रीफ़ की सुंदरता देखते ही बनती थी। इस रीफ़ पर अनेक प्रकार की आकृतियाँ और रंग बिखरे हुए थे।इसी कोरल रीफ़ पर एक छोटा सा द्वीप ग्रीन आइलैंड समुद्र की सतह से ऊपर आ गया है। कोरल की रेत से बने इस द्वीप पर हम लोग गए।वहाँ पर स्नॉर्कलिंग के समुद्री स्पोर्ट्स का आनंद भी लिया। इस द्वीप के बीच में आश्चर्यजनक ढंग से घने बड़े पेड़ भी लगे हुए थे। कैर्न्स से एक दिन मैं और लक्ष्मी हॉट एयर बैलूनिंग के लिए भी गये। ग़ुब्बारे से लटकी हुई एक बड़ी टोकरी में बैठकर हम लोग 5 सौ फ़ीट ऊपर जाकर हवा में तैरते रहे।
कैर्न्स से हम हवाई जहाज़ द्वारा ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट के मध्य में स्थित ब्रिस्बेन पहुँचे। ब्रिस्बेन के पास विश्व विख्यात समुद्री तट गोल्ड कोस्ट है जो सफ़ेद रेत का 70 किलोमीटर लंबा समुद्री बीच है।यहाँ पर यात्रियों के लिए बड़ी संख्या में होटल उपलब्ध है। मनोरंजन के लिए भी बड़े-बड़े थीम पार्क बने हैं। मूवी वर्ल्ड पार्क में हमें हॉलीवुड के तरह तरह के स्टंट देखने का अवसर मिला। यहाँ पर बहुत तेज गति का बहुत लंबा रोलर कोस्टर भी उपलब्ध है।यहाँ ऐसी सड़कें बनी है जिनके किनारे पुराने इंग्लैंड और अमेरिका के जैसे शहर बसे हैं।यहाँ की लूनी ट्यूंस बहुत ही आकर्षक है। ड्रीम वर्ल्ड थीम पार्क यहाँ का एक और लोकप्रिय पार्क है जिसमें अनेक प्रकार की राइड लगी हैं। यहाँ पर ऑस्ट्रेलिया के ग्रामीण भेड़ पालकों का सजीव प्रदर्शन भी है। मुझे व्यक्तिगत रूप से सबसे अच्छा पार्क सी वर्ल्ड थीम पार्क लगा। यहाँ पर डाल्फिन, सील, पोलर बियर और पेंगुइन को ज़मीन और समुद्र की सतह से नीचे भी जाकर देखा जा सकता है। हमने यहाँ सील और डॉल्फिन के शो भी देखे जिनमें इनके नृत्य का अद्भुत प्रदर्शन किया जाता है।
गोल्ड कोस्ट में एक सुबह मैं चार बजे बीच पर घूमने गया। वहाँ मैंने देखा कि पूरे बीच की सफ़ाई मशीनों द्वारा की जा रही थी। भारत में दुर्भाग्यवश हमारे अनेक बीच अब घूमने लायक भी नहीं बचे हैं।गोल्ड कोस्ट में मैंने शाम को देखा कि बीच पर बहुत से स्थानीय बच्चे और कुछ साहसी यात्री दीवारों पर साइकिल पर बैठे चढ़ रहे थे। ये दीवारें उर्दू के अक्षर लाम की तरह वक्र बनी थी जिन पर तेज गति से युवक साइकिल चलाकर दीवार के ऊपर तक पहुँचते थे और फिर साइकिल मोड़कर नीचे आ जाते थे। ऑस्ट्रेलिया के लोग खेल बहुत पसंद करते हैं। बहुत कम जनसंख्या होते हुए भी आस्ट्रेलिया सभी खेलों में विश्व स्तर के खिलाड़ी उत्पन्न करता है।
ब्रिस्बेन एयरपोर्ट से रवाना होकर हम पूर्वी तट के ही दक्षिण में स्थित ऑस्ट्रेलिया के सबसे बड़े शहर सिडनी पहुँचे। यह महानगर अत्यधिक सुंदर बसाहट का उदाहरण प्रस्तुत करता है। सिडनी एक बंदरगाह है जिसमें समुद्र अंदर तक प्रवेश कर गया है। सिडनी का हार्बर ब्रिज शहर की मुख्य निशानी के रूप में बना हुआ है। यह सिडनी के हार्बर को मुख्य शहर से जोड़ता है। इस पुल पर से मैं कई बार गुज़रा। यहाँ से पूरे सिडनी का विहंगम दृष्य दिखाई पड़ता है। मैं ब्रिज के किनारे झाड़ियों के बीच में भी गया जहाँ से मैंने इस पुल की फ़ोटो ली। ब्रिज के पूर्वी दिशा में पानी के बीच में बना हुआ विश्व प्रसिद्ध ऑपेरा हाउस दिखाई पड़ता है। यहाँ ऑपेरा का संगीत सुनने का मुझे सुनहरा अवसर भी प्राप्त हुआ। इस शहर के डार्लिंग हार्बर और सर्कुलर ‘की’ घूमने भी मैं गया। यहाँ मालवाहक जहाज़ों से सामान उतारा जाता है। मेरे आस्ट्रेलिया पहुँचने से चार वर्षों पूर्व 2000 में सिडनी में ओलंपिक गेम्स हुए थे।
मैं खेल गाँव और स्टेडियम आदि देखने के लिए बहुत उत्सुक था। मैं और लक्ष्मी मेट्रो ट्रेन में बैठकर ओलंपिक स्थल पर पहुँचे। हम बहुत देर तक इस क्षेत्र के स्टेडियम और अन्य सुविधाओं को देखते रहे। मेरी तरह कुछ और यात्री भी मुझे यहाँ दिखाई दिए।सिडनी शहर में हम लोग बाज़ारों में भी घूमे। हम रात्रि में एक इंडियन रेस्टोरेंट में स्वादिष्ट भारतीय डिनर करते थे। मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि इस इंडियन रेस्टोरेंट के मालिक बांग्लादेश के रहने वाले रहमान थे। सारे कर्मचारी भी बांग्लादेशी थे। मेरे पहुँचते ही रहमान मेरे पास आकर बैठ जाते थे और हिंदी में बातें करते थे। सिडनी के आस पास छोटी सुरम्य पहाड़ियाँ हैं जिनके टूर पर भी हम लोग गए और वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य का पूरा आनंद उठाया।
हम सिडनी से मुम्बई की सीधी फ़्लाइट से ऑस्ट्रेलिया का भ्रमण समाप्त कर रवाना हुए। अनेक घंटों तक हम ऑस्ट्रेलिया के ऊपर पूर्व से पश्चिम की ओर बढ़ रहे थे। नीचे रेगिस्तान स्पष्ट दिख रहा था क्योंकि बादल या धुँध नहीं थी।फिर नीचे हिन्द महासागर आ गया। लक्ष्मी अपनी पहली और मैं अपनी दूसरी विदेश यात्रा समाप्त कर स्वदेश लौटते हुए बहुत संतुष्ट थे।