Flashback: रूस की रोमांचक यात्रा

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रूस की रोमांचक यात्रा

चीन की यात्रा से लौट कर तीन सप्ताह बाद ही 11 सितंबर, 2015 को मैं रूस की यात्रा पर रवाना हो गया। इस बार मेरे साथ लक्ष्मी भी थी। हम लोग दिल्ली से सीधे रूस के सबसे बड़े शहर और एतिहासिक राजधानी मॉस्को पहुँचे। शहर में प्रवेश करते ही यह स्पष्ट हो गया कि यह एक आश्चर्यजनक संसार है जिसमें यूरोप और एशिया के स्थापत्य कला का अद्भूत सम्मिश्रण है। रूस सोवियत संघ के विघटन के बावजूद विश्व का विशालतम देश है और पूरी पृथ्वी का आठवाँ भाग है।इसकी विशालता ने नेपोलियन और हिटलर जैसे आक्रमणकारियों के हौसले पस्त कर दिये थे।

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सर्वप्रथम हम शहर के हृदय में स्थित विश्व विख्यात क्रेमलिन घूमने गए। तेरहवीं शताब्दी से रूस के इतिहास का यह साक्षी रहा है। बाद में इसमें अनेक निर्माण किये गये। यह एक मज़बूत किलेबंदी के बीच अनेक भवनों का संकुल है। इसमें अनेक टावर, चारदीवारियों से घिरे अनेक महल तथा गुम्बदों वाले कैथेड्रल चर्च है।कुल मिलाकर इसमें 20 टावर तथा 15 अन्य भवन हैं। डेढ़ मील की इसकी क़िलेबंदी की दिवारें 21 फीट मोटाई तक की है। क्रेमलिन को देखना मेरे लिये एक सपना था।क्रेमलिन से लगा हुआ प्रसिद्ध रेड स्क्वायर का बड़ा मैदान है।यहाँ पर मिलिट्री परेड, नेताओं के भाषण तथा रूस की सैन्य शक्ति का प्रदर्शन होता है। यहाँ पर आकर रूस के एक महाशक्ति होने का आभास होता है।रेड स्क्वायर पंद्रहवीं शताब्दी में लाल ईंटों से बनाया गया था।

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जो लोग रूस नहीं गए हैं वे भी इसके प्रतीक चिन्ह सेंट बेसिल कैथेड्रल को अवश्य पहचानते हैं। अजीबो ग़रीब तरीक़े से निकली हुई इसकी अनेक रंग बिरंगी गुम्बदों ने इसे रूस की स्थापत्य कला का मानक बना दिया है। सोलहवीं शताब्दी में रूस के सम्राट ईवान द टेरिबल ( ईवान भयानक) ने इसे अपनी कज़ान के ऊपर विजय के उपलक्ष्य में बनवाया था। इसकी हर गुंबद की पृथक बनावट है।हम लोग बोलशोई थियेटर देखने गए। यह मॉस्को का बहुत पुराना बैले और ऑपेरा का थियेटर है तथा इसमें दो सौ से अधिक नृत्य कलाकार हैं। यहाँ हमें अत्यंत कलात्मक बैले नृत्य देखने का अवसर प्राप्त हुआ। मॉस्को का एक और गौरव गोर्की पार्क सोवियत काल में बना था। रूसी भाषा के महान कहानीकार मैक्सिम गोर्की की स्मृति में यह भव्य और दर्शनीय पार्क बनाया गया है।यह रूसी लोगों के साहित्य के प्रति प्रेम को दर्शाता है। हम लोग मॉस्को के प्रसिद्ध ऑल रशिया एग्जीबिशन सेंटर देखने गए। यह तीन वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ सेंटर है तथा इसमें हर समय प्रदर्शनियां चलती रहती है। इस खुले हुए सेंटर में कई भवन हैं। अनेक मनोरंजक स्थल बने होने के कारण इसे रूस का डिज़्नीलैंड भी कहा जाता है। जब हम इसमें गए तब वहाँ पर एक बड़ी प्रदर्शनी चल रही थी जिसमें सभी प्रकार की वस्तुओं का प्रदर्शन किया जा रहा था। मॉस्को की स्पैरो हिल एक पहाड़ी है जहाँ से पूरे मॉस्को का विहंगम दृश्य दिखाई पड़ता है। इस पहाड़ी के ऊपर अनेक खेलों के प्रांगण बने हुए हैं।हमें पहाड़ी की ऑब्जर्वेशन डैक पर खड़े होकर बहुत ही मनोरम दृश्य देखने का अवसर मिला। मास्को की नेवोस्पास्की मोनेस्ट्री यहाँ की सबसे प्राचीन मोनेस्ट्री है तथा एक सुंदर दर्शनीय स्थल है। आर्कएंजल कैथेड्रल बीच मॉस्को में रेनेसाँ शैली में बना हुआ है और अपनी सुंदर स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। इसको आराम से देखने में बहुत आनंद आया।

यह आश्चर्यजनक है कि मॉस्को की अंडरग्राउंड मेट्रो में बने हुए स्टेशन कला के केंद्र है तथा ये पूरे विश्व में अनूठे हैं।हम दोनों ने मेट्रो में यात्रा की और कई प्रसिद्ध स्टेशनों पर उतर कर उसका भ्रमण किया। किसी स्टेशन पर सुंदर चित्रकला थी, किसी में सुंदर मूर्तियों का प्रदर्शन था। ऐसे स्टेशन देख कर मैं आश्चर्यचकित रह गया। ये स्टेशन विश्व हेरिटेज की श्रेणी में आते हैं। मॉस्क्वा नदी का क्रूज सबसे अधिक अविस्मरणीय अनुभव रहा। क्रूज़ पर लंच के साथ नदी के किनारों से मॉस्को शहर का वैभवशाली दृश्य बहुत मनोहर दिखाई देता है। क्रूज़ की खिड़की से अनेक सुन्दर ऐतिहासिक भवन दिखाई देते हैं जिनमें क्रेमलिन, अनेक कैथेड्रल, स्टेडियम, मास्को यूनिवर्सिटी और पीटर प्रथम की मूर्ति आदि प्रमुख हैं। मॉस्को के अधिकांश प्रसिद्ध भवन नदी से दिखाई पड़ते हैं।

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मॉस्को से हम दो सौ किमी गति वाली बुलेट ट्रेन में बैठकर सैंट पीटर्सबर्ग के लिए रवाना हुए। ट्रेन से रूस के विशाल फैले हुए क्षेत्र का आभास होता है। सेंट पीटर्सबर्ग पहुँच कर स्टेशन से निकलते ही यहाँ का निरालापन दिखने लगा। सेंट पीट्सबर्ग रूस की सांस्कृतिक राजधानी है जिसे पीटर प्रथम ने बनाना प्रारंभ किया था। रूस का यह दूसरा सबसे बड़ा शहर अनेक एतिहासिक घटनाओं का दर्शक रहा है। सर्वप्रथम मैंने यहाँ पर स्टेट हर्मिटेज म्यूज़ियम का भ्रमण किया जो एक बड़े महलनुमा भवन में स्थित है। यह म्यूज़ियम पेरिस के लूव्र म्यूज़ियम के बाद विश्व की सबसे बड़ी म्यूज़ियम है जिसमें 30 लाख वस्तुएँ प्रदर्शन के लिए रखी गई हैं। महारानी कैथरीन द्वारा स्थापित इस म्यूज़ियम के अवलोकन से यूरोप से एशिया तक फैले हुए इस विशाल देश की सांस्कृतिक विरासत का परिचय होता है। सेन्ट पीटर्सबर्ग का ऐतिहासिक पीटर और पॉल का क़िला अपना विशेष महत्व रखता है।मज़बूत किलेबंदी के बीच इसमें बड़े गार्डन और अनेक सुंदर भवन बने हुए हैं। इनमें सबसे सुंदर भवन पीटर और पॉल का कैथेड्रल चर्च है। इसमें अनेक जा़रों ( सम्राटों) का अंतिम निवास है। यह चर्च अंदर से भी काफ़ी अत्यधिक सजा हुआ है। इस क़िले के अंदर पुराना टकसाल भी बना हुआ है। इस क़िले में रूस के इतिहास का काला अध्याय भी है जो यहाँ के कारावास में दिखाई पड़ता है। इसमें बहुत कोठरियाँ है जिनमें कभी कोई प्रकाश नहीं रहता है और इसमें रखे गए बंदी को निरंतर घुप्प अंधेरे में रहते हुए जीवन त्यागना पड़ता था। कुछ मिनट में ही मुझे यहाँ घबराहट होने लगी।

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चर्च ऑफ द सेवियर ऑन स्पिल्ड ब्लड यहाँ का एक अन्य आकर्षण है। रंग बिरंगे गुम्बदों से बना यह चर्च बहुत सुंदर भवन है तथा फ़ोटो खिंचवाने के लिए बहुत उपयुक्त है। इसे जा़र एलेक्जेंडर तृतीय द्वारा उस स्थान पर बनाया गया था जहाँ उसके पिता की हत्या की गई थी। सेंट पीटर्सबर्ग के विंटर पैलेस के सामने स्थित विशाल पैलेस स्क्वायर एक दर्शनीय स्थल है। इसके बीच में लाल ग्रेनाइट के एक ही पत्थर से बना एलेक्जेंडर स्तंभ विशेष आकर्षण का स्थान है।

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मुझे व्यक्तिगत रूप से पूरे रूस में सबसे अधिक सुंदर स्थान पीटरहॉफ का महल कॉम्प्लेक्स लगा। सेंट पीटर्सबर्ग से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित यह महल फ़्रांस के वर्साई महल की अनुकृति के रूप में बनाया गया था। इसमें अनेक भवन, सुंदर गार्डन और फ़व्वारे हैं। यहाँ के झरनों के बीच चलते फ़व्वारे बहुत ही मनोरम है।सीढ़ीदार झरनों के बीच चलते फ़व्वारे यहाँ की विशेषता है। महल के अंदर के कक्षों में सोने का रंग लगाया गया है। महल में बड़े बड़े शीशे, संगमरमर की वस्तुए और बोरोक शैली के फ़ायर प्लेस बने हुए है। बाल्टिक सागर के तट पर बना हुआ यह सुंदर महल और पूरा स्थान अविस्मरणीय है।

एक विशाल और शक्तिशाली देश रूस के सुन्दर दर्शनीय दृश्यों को आत्मसात् करके हम दोनों वापस दिल्ली आ गये।

Author profile
n k tripathi
एन. के. त्रिपाठी

एन के त्रिपाठी आई पी एस सेवा के मप्र काडर के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। उन्होंने प्रदेश मे फ़ील्ड और मुख्यालय दोनों स्थानों मे महत्वपूर्ण पदों पर सफलतापूर्वक कार्य किया। प्रदेश मे उनकी अन्तिम पदस्थापना परिवहन आयुक्त के रूप मे थी और उसके पश्चात वे प्रतिनियुक्ति पर केंद्र मे गये। वहाँ पर वे स्पेशल डीजी, सी आर पी एफ और डीजीपी, एन सी आर बी के पद पर रहे।

वर्तमान मे वे मालवांचल विश्वविद्यालय, इंदौर के कुलपति हैं। वे अभी अनेक गतिविधियों से जुड़े हुए है जिनमें खेल, साहित्यएवं एन जी ओ आदि है। पठन पाठन और देशा टन में उनकी विशेष रुचि है।