अखिल भारतीय सेवाओं अर्थात IAS और IPS के अधिकारी किसी राज्य विशेष के साथ-साथ केंद्र में भी कार्य करते हैं।इन सेवाओं के अधिकारियों से यह अपेक्षा की जाती है कि, यदि केंद्र के निर्धारित मापदंड के अनुसार उनका नाम पैनल में आता है तो, उन्हें केंद्र में प्रतिनियुक्त पर जाकर अपनी सेवाएँ देनी चाहिए। अपनी व्यक्तिगत परिस्थितियों को देखते हुए विभिन्न स्तरों के पैनलों में आए हुए अधिकारी अपनी इच्छानुसार प्रतिनियुक्त पर जाते हैं।
अप्रैल 2009 के अंत तक यह स्पष्ट हो गया था कि मध्य प्रदेश सरकार मुझे DGP नहीं बनाएगी। मैं DG रैंक में ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के पद पर और अधिक समय तक नहीं रहना चाहता था और ना ही किसी समकक्ष पदों पर कार्य करना चाहता था। मुझे DGP न बनने देने के लिए कुछ लोगों ने अफ़वाहों को हवा देकर उसे एक षड्यंत्र का रूप दे दिया।
बाद में अफ़वाहें पूरी तरह निराधार होने के कारण उन्हें शर्मसार होना पड़ा परंतु वे अपने उद्देश्य में सफल हो गए। सौभाग्यवश केंद्र के DG पैनल में मेरा नाम आ चुका था और मैंने प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए आवेदन दे दिया जो केंद्र को अग्रेषित कर दिया गया।
केन्द्र में प्रतिनियुक्ति के लिए एक अनपेक्षित बाधा आ गई। बाधा यह आई कि केंद्र में किसी भी कनिष्ठ पद पर कार्य करने का मुझे अनुभव नहीं था। IAS अधिकारियों के लिए 2007 में यह नियम बनाया गया कि यदि कोई अधिकारी कनिष्ठ पद पर प्रतिनियुक्ति पर नहीं रहा है तो वह सेवा के अंतिम समय में सीधे सचिव, भारत सरकार के पद पर नहीं आ सकता है।
इसी तरह का आदेश IPS अधिकारियों के लिए जारी होने वाला था जिससे वे सेवा के अंतिम समय बिना पूर्व अनुभव के DG के समकक्ष पदों पर नहीं आ सकें। यह केवल प्रस्तावित था तथा ऐसा नियम नहीं बना था परन्तु वातावरण बन चुका था। मेरा एक मात्र उस समय ऐसा प्रकरण था।
मैंने अपने बैचमैट श्री उत्थान कुमार बंसल, विशेष सचिव गृह मंत्रालय, भारत सरकार से संपर्क किया तो उन्होंने सुझाव दिया कि मैं सीधे गृह मंत्री श्री पी चिदंबरम से समय लेकर मिल लूँ। मैंने मंत्री जी के निजी सचिव से मंत्री जी से मिलने का समय माँगा और कुछ दिनों बाद मुझे समय मिल गया। 24-8-2009 को सायं चार बजे उनसे मेरी मुलाक़ात उनके नार्थ ब्लॉक के कक्ष में निर्धारित की गई।
मैं श्री चिदंबरम के संभावित प्रश्नों के उत्तर सोचने की उधेड़बुन लिए नार्थ ब्लॉक पहुँचा। वहाँ अपने बैचमेट श्री बंसल, विशेष सचिव गृह मंत्रालय तथा अपने मित्र श्री विश्वपति त्रिवेदी, अतिरिक्त सचिव गृह मंत्रालय से मिलने के बाद समय से 15 मिनट पूर्व मंत्री जी के PS के कक्ष में बैठ गया। मंत्री के PS श्री यादव ने बताया कि उन्होंने मेरा फोल्डर मंत्री जी की टेबल पर रख दिया है क्योंकि वे कोई भी काम बिना तैयारी के नहीं करते हैं। ठीक चार बजे मेरा बुलावा आया और मैंने जाकर श्री चिदंबरम को सैल्यूट किया और उन्होंने मुझे बैठने के लिए कहा। कुछ क्षणों के बाद सीधे मेरी आँखों में देखते हुए उन्होंने अंग्रेज़ी मे कहा आपको तो प्रतिनियुक्ति का कोई अनुभव है ही नहीं।
मैंने उत्तर दिया, “मुझे प्रतिनियुक्ति का अनुभव तो नहीं है लेकिन मुझे पुलिसिंग का बहुत अच्छा अनुभव है तथा मैं यह समझता हूँ कि केंद्र में भी अच्छी पुलिसिंग के अनुभव की आवश्यकता है।” यह सुनकर श्री चिदंबरम ने अपनी कुर्सी में अपनी मुद्रा थोड़ी सी बदली और मुझे घूरते हुए फिर पूछा कि क्या आप केवल दिल्ली में रहने के लिए प्रतिनियुक्ति पर आना चाहते हैं। मैंने उन्हें उत्तर दिया कि पूरे भारत में मुझे कहीं भी पदस्थ किया जा सकता है। इसके बाद दो-एक प्रश्न और पूछें और फिर कहा आप जा सकते हैं।
इस छोटी सी मीटिंग के बाद मै आशान्वित हो गया कि मुझे प्रतिनियुक्ति मिल जाएगी। कुछ ही दिनों बाद लिखित में केंद्र की सहमति प्राप्त हो गई। मेरी प्रतिनियुक्त के आदेश के काफ़ी दिनों बाद मध्य प्रदेश काडर के मुझसे स्नेह रखने वाले श्री सत्यानंद मिश्रा, सचिव DOPT, जिसके कार्यक्षेत्र में प्रतिनियुक्ति आती है, ने मुझे बताया कि पैनल के लिए अधिकारियों के 14 वर्षों का रिकॉर्ड देखा गया था और मेरा रिकार्ड बहुत ही अच्छा था।मंत्री जी ने उस पर भी ध्यान दिया था।
3-11-2009 को मैंने स्पेशल DG CRPF का चार्ज लिया और मुझे जम्मू कश्मीर ज़ोन की ज़िम्मेदारी दी गई। कश्मीर के सबसे हिंसक दौर में मुझे CRPF का नेतृत्व करने तथा मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, राज्य शासन, आर्मी तथा अनेक एजेंसियों के साथ काम करने का अवसर मिला। जम्मू कश्मीर के चप्पे चप्पे को कार, हेलीकॉप्टर और पैदल देखने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ।
इसके पश्चात DG नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो, गृह मंत्रालय,भारत सरकार, नई दिल्ली में पदस्थ हुआ। यहाँ पर मुझे 2 हज़ार करोड़ के CCTNS के प्रोजेक्ट को लागू करने तथा इसके लिए भारत के अनेक स्थानों में जाने का अवसर मिला। केंद्र सरकार और संसद की कार्यप्रणाली को बहुत निकट से देखने का अवसर मिला।
अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ़ होमलैंड सिक्योरिटी (गृह मंत्रालय) के निमंत्रण पर भारत के एक डेलिगेशन का नेतृत्व करने का अवसर प्राप्त हुआ।श्री चिदंबरम द्वारा बिना माँगें सेवा वृद्धि भी दी गई। परिस्थितियों को अनुकूल बनाया जा सकता है।