फ्लाईओवर ने रचा इतिहास, जुड़ गए अंबेडकर,सावरकर और सुभाष..

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फ्लाईओवर ने रचा इतिहास, जुड़ गए अंबेडकर,सावरकर और सुभाष..

कौशल किशोर चतुर्वेदी

कुछ-कुछ संयोग इतिहास रच देते हैं। ऐसा ही इतिहास मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 23 जनवरी को लोकार्पित होने वाले फ्लाईओवर ने रच दिया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर इसका लोकार्पण हुआ। भीमराव अंबेडकर के नाम से भोपाल का यह नव निर्मित फ्लाई-ओवर जाना जायेगा। तो यह पुल एक ओर नेताजी सुभाष चंद्र सेतु और दूसरी ओर वीर सावरकर सेतु को मिलाएगा। है न कमाल की बात। तीन अलग-अलग विचारधारा वाले राष्ट्रभक्तों को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में तीन किलोमीटर लंबे नवनिर्मित फ्लाईओवर ने कितनी खुबसूरती से मिला दिया। वैसे बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर पर हक जमाने की राष्ट्रव्यापी राजनैतिक कोशिश जारी है। तो सुभाष चंद्र बोस को कमल दल ने दिल में ही बसा लिया है और कांग्रेस को कोई आपत्ति भी नहीं है। पर सावरकर तो केवल भाजपा के ही हैं, विपक्षी दल इसके लिए यदाकदा भाजपा और संघ पर निशाना साधते ही रहते हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने खुद भी कहा कि आज हमारे महान देशभक्त नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती है, उन्हें हम हृदय से नमन करते हैं। उनका जीवन हम सबके लिए प्रेरणादायी है। उन्होंने अंग्रेजों को चुनौती दी और स्वतंत्रता संग्राम को नई राह दिखाई। वर्ष 1923 में उन्होंने अंग्रेजों की आईसीएस परीक्षा प्रवीण्य सूची में उत्तीर्ण की, परंतु उन्होंने अंग्रेजों की गुलामी करने के स्थान पर देशभक्ति का मार्ग चुना। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव सर्वाधिक मतों से जीता। और जो वह नहीं कह पाए, वह यह कि उन्होंने क्रांति का मार्ग चुना और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से मतभिन्नता के बावजूद अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई।

वहीं बाबा साहेब अंबेडकर को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि बाबा साहेब ने समानता की लड़ाई लड़ी। संविधान निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है, उन्होंने धारा 370 का विरोध किया था। हम उनकी स्मृति में पंच तीर्थ उनके जन्म स्थान, दीक्षा स्थल, कर्मभूमि, शिक्षा स्थल और जहां उन्होंने शरीर त्याग किया वहां तीर्थ स्थल विकसित कर रहे हैं। और जो मुख्यमंत्री ने नहीं कहा वह यह है कि हाल ही में बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर पर एक बयान को लेकर संसद ने संविधान और अंबेडकर पर पक्ष और विपक्ष को आमने-सामने आर-पार की लड़ाई लड़ते देखा है। और इस लड़ाई का मूल भी यही है कि अंबेडकर वास्तव में किसके हैं? और अंबेडकर के पंचतीर्थ बनवाने वाली केंद्र की मोदी सरकार की लकीर को डॉ. मोहन यादव ने एक कदम आगे बढा दिया है। सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर इस फ्लाईओवर को लोकार्पित कर मोहन यादव ने इसका नामकरण अंबेडकर के नाम पर कर यह काम किया है।

 

वहीं सावरकर को 20वीं शताब्दी का सबसे बड़ा हिन्दूवादी विचारक माना जाता है। विनायक दामोदर सावरकर को बचपन से ही हिन्दू शब्द से बेहद लगाव था। सावरकर ने जीवन भर हिन्दू, हिन्दी और हिन्दुस्तान के लिए ही काम किया।सावरकर को 6 बार अखिल भारतीय हिन्दू महासभा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। 1937 में उन्हें हिन्दू महासभा का अध्यक्ष चुना गया, जिसके बाद 1938 में हिन्दू महासभा को राजनीतिक दल घोषित कर दिया गया। हिन्दू राष्ट्र की राजनीतिक विचारधारा को विकसित करने का बहुत बड़ा श्रेय सावरकर को जाता है। उनकी इस विचारधारा के कारण आजादी के बाद की सरकारों ने उन्हें वह महत्त्व नहीं दिया जिसके वे वास्तविक हकदार थे।पर संघ, जनसंघ और भाजपा, सावरकर और उनकी विचारधारा से शुरु से जुड़ी रही।

 

तो गायत्री मंदिर से गणेश मंदिर तक नव निर्मित फ्लाई-ओवर ब्रिज एवं एलिवेटेड कॉरीडोर भोपाल और मध्यप्रदेश के नागरिकों को बड़ी सौगात है। निश्चित तौर पर भोपाल को मिली 154 करोड़ रूपये की लागत के फ्लाई-ओवर की सौगात नगर के विकास को गति देगी। इस पुल के बन जाने से ओबेदुल्लागंज, नर्मदापुरम, बैतूल, खंडवा और जबलपुर मार्ग पर यातायात सुगम होगा। और निश्चित तौर पर फ्लाई-ओवर ने अंबेडकर, सावरकर और सुभाष के नामों के मेल का इतिहास रचा है.

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