Food Science: बहुत खास हैं प्रोसेस्ड फ़ूड यानि परिवर्धित भोज्य पदार्थ: “बड़ी”

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Food Science: बहुत खास हैं प्रोसेस्ड फ़ूड यानि परिवर्धित भोज्य पदार्थ: “बड़ी”

  भोजन का विज्ञान : जिस प्रकार बेसन से अधिक सत्तू व फलों से अधिक जूस फायदेमंद होते हैं वैसे ही दालों से कहीं अधिक  गुणकारी होती है  “बड़ी”।बड़ी अर्थात मुन्गेडी!
ये बात तो सभी जानते हैं कि जब किसी भोज्य पदार्थ को कोई युक्ति बैठाकर नया रूप दे दिया जाता है तो वह स्वाद में कहीं अधिक श्रेष्ठ हो जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह गुणों में भी कई गुना श्रेष्ठ हो जाता है। वैसे मैंने बोलचाल में सुना है कि सामान्य ड्रग/दवा की तुलना में कॉम्बिनेशन ड्रग अधिक कारगर होती है, तो एक पल के लिए मुझे लगा कि इन कम्बाइंड फूड्स के साथ भी यह सिध्दांत तो लागू नही होता है। इस बात पर भरोसा और भी अधिक तब बढ़ जाता है, जब भोजन का स्वरूप परिवर्तन करने के ये फार्मूले हमारे बुजुर्गों के सैकड़ो वर्षों के अनुभव से होकर आये हों। सम्पूर्ण भारत मे अलग अलग क्षेत्रो में आवश्यकता और सुविधा के अनुसार कई प्रकार के परिवर्धित (परिवर्तित नही, क्योंकि यहाँ गुणों में वृद्धि भी हो रही है, जबकि परिवर्तित में सिर्फ भोजन का स्वरूप परिवर्तित होता। गुणो का विकास नही।) भोजन का विकास किया गया। सब अपनी अपनी जगह खास हैं। यहाँ हम चर्चा बड़ी पर करेंगे।
बड़ी को कुछ स्थानों पर कोडहरी भी कहते हैं। वैसे तो हमारे गाँव के सभी घरों में बनाया जाने वाला एक आम व्यंजन है। किंतु इसका बेहतरीन स्वाद, इसके विभिन्न औषधीय एवम पोषक गुण, उपयोग करने की सुविधा और इसे बनाने और प्रयोग करने की भारतीय परंपरा इसे खास बना देती है। क्योंकि बड़ी जब भी घर मे बनती है तो मंगोड़े, बड़े और पानी वाले बड़े, कढ़ी वाले बड़े आदि व्यंजन बोनस स्वरूप बनाये जाते हैं।
हमारे घर मे भी प्रतिवर्ष कई तरह की बड़ियाँ बनाई जाती हैं। जैसे मूंग दाल की बड़ी, उरद दाल की बड़ी, लौकी की बड़ी, मिक्स दाल की बड़ी, कुमढ़ा / सफेद कद्दू की बड़ी आदि। कुछ लोग मैथी की बड़ी, चने दाल की बड़ी आदि भी बनाते हैं। आजकल प्रोटीन रिच के नाम पर सोयाबीन की बड़ी/ सोया चुंक भी चलन में हैं। वैसे तो उत्तर के क्षेत्रों में इसे बनाने का सही समय होली के बाद होता है, किन्तु हमारे क्षेत्र में मकर संक्रांति के बाद से यह कार्य प्रारम्भ हो जाता है। क्योंकि बड़ी पापड़ आदि के कार्य मे मद्धम- मद्धम वाली धूप चाहिए होती है, लेकिन इस  वर्ष ग्रीष्मकाल ठंडा है तो यह कार्य अभी भी जारी है।
मूंग की दाल की बड़ी / मंगोड़ी - Moong Badi Recipe - Moong Dal Mangodi Recipe
फोटो -इंटरनेट से साभार
बड़ी बनाने के लिए सबसे पहले मूंगदाल (या अन्य दाल) को एक दिन भिगोकर छिलका निकाल देते हैं। फिर इस धुली हुई दाल को सिल बट्टा या उखरी – मूसर के द्वारा दरदरी पीसकर उसमे जीरे, अजवाईन, मिर्च, मसाले, नमक आदि मिलाकर हाथो से छोटी छोटी चुटकी बनाकर बड़ी बनाते हैं, जिसे बड़ी तोड़ना कहा जाता है।
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एक समान आकार की बड़ी तोड़ना भी एक खास तरह का टेलेंट है। जो कार्य अक्सर बुजुर्ग महिलाओं जैसे दादी, नानी के द्वारा ही किया जाता है। बड़ी की सब्जी उस समय और भी खास हो जाती है, जब संक्रमण काल हो यानि या तो सब्जियाँ उपलब्ध न हो या बहुत महंगी हों, क्योंकि यही समय सूक्ष्मजीवों, कीट पतंगों आदि के वृद्धि तथा जनन के लिए सबसे अनुकूल होता है, अतः ये फसलों को नुकसान करते हैं, फलस्वरूप सब्जियाँ बाजार से नदारत हो जाती हैं।
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फोटो -विकास शर्मा की वाल से
बड़ी देने/ तोड़ने के लिये परले (बांस से बनी एक गोल बड़ी सी थाल जैसी संरचना जिस पर बड़ी या पापड़ सुखाये जाते हैं ) या खाट का प्रयोग किया जाता है। इन पर साफ कपड़े या तो बांध दिये जाते हैं, या फिर बिछा दिये जाते हैं। इन साफ कॉटन के कपड़े से सूखी हुई बड़ी आसानी  से निकाली जा सकती हैं। जब बड़ियाँ पूरी तरह सूख जाती हैं, तो इन्हें साफ, हवा रहित डब्बों या बरनी में भरकर भविष्य में उपयोग के लिये रख दिया जाता है। जब भी सब्जियों की कीमत ज्यादा हो, इनकी कमी हो या मुँह का स्वाद बदलना हो इन सूखी हुयी बड़ी की सीधे ही या आलू के साथ या आलू-बैगन- गोभी के साथ मिक्स भी बना सकते हैं। खिचड़ी में भी इसका स्वाद गजब लगता है।
चलिये अब बात करते हैं बड़ी के फायदों के, अगर फायदे न होते तो गांव में यह भारतीय व्यंजन इतना चलन नही होता। इसे भिगोकर रखने से इसमे थोड़ा सा अंकुरण होना प्रारम्भ  हो जाता है, जिससे इसमे कई  तरह के एंटीऑक्सीडेंट एक्टिव हो जाते हैं, जो शरीर के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और लाभप्रद होते हैं। भिगोकर रखने  से इसमे थोड़ा किण्वन (fermentation) प्रारम्भ हो जाता है, जिसके कारण इसमे विटामिन A भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। दालों से बनी होने के कारण सभी प्रकार की बड़ियाँ प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत होती हैं।और हम सभी जानते हैं कि  प्रोटीन शरीर के लिये बिल्डिंग ब्लॉक्स कहलाते हैं अर्थात इनसे ही नई कोशिकाओं का निर्माण होता है।
पारंपरिक औषधियों के जानकार कहते हैं, कि बड़ियों में मौजूद प्रोटीन की अधिक मात्रा शुक्राणुओं के निर्माण के लिये फायदेमंद होती है। यही कारण है कि आज की पिज्जा बर्गर वाली साइंटिस्ट पीढ़ी विवाहोपरांत संतानोत्पत्ति के लिए अस्पतालों के चक्कर काटते रहते हैं। इनमें कैल्शियम, पोटाशियम, आयरन, फैट, जिंक जैसे अनेक पौष्टिक तत्व हैं जो शरीर के विकास और चयापचयी क्रियाओं के लिए महत्वपूर्ण हैं। कई बाड़ियों में लेसिथिन नामक प्रोटीन पाया जाता है, जो हृदय के लिए फायदेमंद होता है। बड़ियाँ शरीर को गर्मी पहुचाने वाली, वात- पित्त का नाश करने वाला व्यंजन है। इसीलिये इनका सेवन मुख्यतः सर्दियों के मौसम में किया जाता है।
Kitchen Hacks Moong Dal Mangodi Ki Sabji Moong Dal Mangodi Rrecipe In Hindi | Kitchen Hacks: घर में कोई सब्जी नहीं है तो बनाएं मूंग दाल की बड़ी की सब्जी
आधुनिक समय में जिम जाने वाले, मेहनतकश लोग और वे सभी जो मजबूत मांसपेशियों की चाहत रखते हैं, उनके लिए बड़ी की सब्जी बहुत फायदेमंद है। यह दाल से बनी होने के बाबजूद भी सब्जियों की तरह बनाई जाती है और सब्जी के रूप में ही इसे पहचान प्राप्त है। इनमे पर्याप्त मात्रा में फाइबर्स पाये जाते हैं, जो भोजन को पचाने में भी मदद करते हैं। कई दालों में एमिनो एसिड्स जैसे पॉलीफेनॉल्स और ऑलिगोसेकेराइड्स आदि तत्व पाए जाते हैं जो शरीर को कैंसर जैसे गंभीर रोग से बचाने में मदद करते है।
इनमें मौजूद फ्लैवेनाइड्स शरीर को फ्री-रेडिकल्स से बचाते हैं, जिससे युवावस्था बनी रहकर, बुढापा देर से आता है। दालों से बनी होने के कारण यह पचने में आसान और ऊर्जा का भंडार होती है, तभी तो डॉक्टर्स बीमारी में भी दाल का पानी पीने की सलाह देते हैं। लम्बे उपवास करनेवाले लोग जब उपास खोलते है तो उन्हें दाल का पानी नमक डाल कर पिलाया जाता है.
खिचड़ी (khichdi recipe in Hindi) रेसिपी बनाने की विधि in Hindi by Bhumi ahuja - Cookpad
          किन्तु ग्रामीण बड़े बुजुर्ग बड़ी की सब्जी या बड़ी वाली पतली खिचड़ी खाने की सलाह देते हैं। टाइफाइड और पीलिया जैसे रोगों में भी कमजोर लिवर को दुरुस्त करने के लिये बड़ी की सब्जी थोड़ी मात्रा में अच्छी मानी जाती है। पसीने की ग्रंथियां खोलकर त्वचा को चमकदार बनाने का कार्य भी बड़ी के महत्वपूर्ण फायदों में से एक हैं। जब सब्जियों के दाम आसमान छूने लगें या कोरोना काल टाइप की कोई आपदा आ जाये जब सब्जियाँ उपलब्ध न हो या फिर सब्जियाँ मुँह के स्वाद को संतुष्ठ न कर पाएं तो फिर बड़ी सबसे अच्छा विकल्प है।
है न कमाल का औषधीय व्यंजन…!  अगर आपको इनमे से कोई भी फायदा उठाना हो तो बड़ी बनायें और सभी को  खिलायें। में तो सिर्फ इसके स्वाद का दीवाना हूँ, साथ ही इसमे माँ और परिवारजनों के हाथ की खुशबू और स्वाद भी शामिल होता है। जो पेट के साथ साथ मन को भी शांत करता है। विद्यार्थी जीवन मे घर से दूर होने पर बड़ी ही मां के हाथो वाले स्वाद का एहसास कराने का कार्य करती थी। यह सिर्फ एक व्यंजन नही है, आशीर्वाद है माँ का, और मेरे देश की मिट्टी का। स्वाद तो इसका होता ही अद्भुत है ,रखने के लिए किसी फ्रीज की जरूरत नहीं .साल साल भर के लिए स्त्रियाँ बड़ी सुखा लेती हैं ,परिवार के पोषण के लिए ,वे अपने श्रम की परवाह किये बिना .
आपकी जानकारी में भी कोई ऐसा भोज्य पदार्थ है जो प्रोसेस्ड होने के बाद मूल पदार्थ से अधिक उपयोगी हो जाता है तो उसका नाम और गुण दोनो बताएं। सिरका, अचार, बड़ी, पापड़, जेम, जेली आदि तो बस ट्रेलर ही हैं असली पिक्चर तो अभी बाकी है…
डॉ विकास कुमार शर्मा{फेसबुक वाल से साभार }
वनस्पति शास्त्र विभाग
शासकीय महाविद्यालय चौरई