रोजगार और नये अवसरों के सृजन के लिए संघ की तीन वर्षीय कार्ययोजना तैयार

समाज के सहयोग से भारत को स्वावलंबी बनाने की दिशा में होंगे प्रयास कोरोनाकाल को पीछे छोड़कर बढ़ रहा है संघकार्य

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Bhopal: समूचे देश के साथ ही मध्यभारत प्रान्त में भी प्रत्येक क्षेत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रत्यक्ष कार्य विस्तार हो, इसके लिए आगामी तीन वर्ष की कार्ययोजना तैयार की गई है।10 से 12 मार्च तक कर्णावती (अहमदाबाद) में हुई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिनिधि सभा की बैठक में वर्षभर के संघकार्य का सिंहावलोकन किया गया और आगामी वर्ष के लिए कार्ययोजना बनी है। मध्यभारत प्रान्त के प्रांत संघचालक अशोक पाण्डेय जी ने उपरोक्त जानकारी विश्व संवाद केंद्र में आयोजित प्रेसवार्ता में दी।

उन्होंने बताया कि संघ का शताब्दी वर्ष समीप आ रहा है। इस दृष्टि से मध्यभारत प्रांत में संघकार्य के बहुआयामी विस्तार के साथ ही सामाजिक उत्तरदायित्व की दृष्टि से कुछ लक्ष्य लिए हैं। जिसमें समाज को साथ लेकर पर्यावरण, ग्राम विकास, सामाजिक समरसता, कुटुम्ब प्रबोधन, रोजगार और कार्य के नये अवसरों के सृजन का संकल्प लिया है। समविचारी संगठन भारतीय मजदूर संघ, विद्याभारती, आरोग्य भारती, सेवा भारती, अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत, स्वदेशी जागरण मंच, लघु उद्योग भारती एवं अन्य के सहयोग से कौशल उन्नयन और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का कार्य प्रारम्भ हुआ है। विशेष रूप से युवावर्ग को मुख्यधारा से जोड़ने के प्रयास किये जायेंगे।

इस समय मध्यभारत प्रान्त में संघ की रचना से महानगरीय एवं ग्रामीण जिलों के 1140 स्थानों पर 1698 शाखाएं चल रही हैं। जिनमें महानगर में 37 स्थानों पर 291 शाखाएं एवं ग्रामीण जिलों में 1103 स्थानों पर 1407 शाखाएं चल रही हैं। इसके साथ ही 517 स्थानों पर साप्ताहिक मिलन के रूप में संघकार्य चल रहा है। आगामी दो वर्ष में प्रान्त की प्रत्येक बस्ती और गांव तक संघ के कार्यविस्तार का लक्ष्य है। उल्लेखनीय है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 को पीछे छोड़कर अब संघकार्य पहले से भी तीव्र गति से बढ़ रहा है। कोरोना महामारी के बीच संघ के स्वयंसेवकों ने समाज के साथ मिलकर अनेक सेवाकार्य चलाये थे। समाज की चुनौतियों को पहचान कर उनके समाधान के उद्देश्य से सामाजिक अध्ययन का कार्य प्रारम्भ किया गया है। मध्यभारत प्रान्त में 148 शाखाओं ने शाखा क्षेत्र का सामाजिक अध्ययन कर चुनौतियों के समाधान के लिए समाज का सहयोग लेकर कार्य आरम्भ किया है।
 
पॉलीथिन से मुक्ति के लिए समाज के साथ कार्य प्रारंभ :
स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के 75 वर्ष पूरे होने पर 75 करोड़ सूर्य नमस्कार का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, इस महायज्ञ में भी मध्यभारत प्रान्त के स्वयंसेवकों के साथ समाज के बंधुओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। सह-सरकार्यवाह श्री रामदत्त चक्रधर के प्रवास के दौरान ग्वालियर के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शहर को पॉलीथिन मुक्त करने का संकल्प लिया गया। जिसमें सबसे पहले मंदिरों, विवाह वाटिकाएं, शैक्षणिक संस्थानों, कार्यालय व शहर के प्रमुख स्थलों को पॉलीथिन से मुक्त कराया जाएगा। यह कार्य श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती 25 दिसम्बर तक नियमित रूप से चलेगा, जिसमें सामाजिक कार्यकर्ताओं की टोलियाँ महानगर, बस्ती और मोहल्लों में पहुँचकर आमजन को पॉलीथिन का उपयोग नहीं करने के प्रति जागरूक कर रही हैं।

भारतबोध के विमर्श को आमजन तक लेकर जाने का संकल्प :
जैसा कि पत्रकार बंधुओं से बात करते हुए कर्णावती में सरकार्यवाह माननीय श्री दत्तात्रेय होसबाले जी ने कहा है कि आने वाले समय में भारतबोध के विमर्श को आगे बढ़ाना है। भारत के हिन्दू समाज, संस्कृति, इतिहास, यहां की जीवन पद्धति के बारे में एक सही चित्र को समाज के सम्मुख रखना चाहिए। भारत में और विदेशों में भी भारत के बारे में अज्ञान के कारण या जानबूझकर भ्रांतियां फैलाने का षड्यंत्र लंबे समय से चल रहा है। इस वैचारिक विमर्श को बदलकर तथ्यों पर आधारित भारत बोध के सही विमर्श को समाज के बीच ले जाना है। समाज में बहुत सारे लोग इस विषय पर कार्य कर रहे हैं, शोध किया है, पुस्तकें लिखी हैं। विमर्श को आगे बढ़ाने के लिए उनके साथ भी समन्वय-सहयोग किया जाएगा। भारत स्वाधीनता का अमृत महोत्सव मना रहा है। स्वतंत्रता आंदोलन सार्वदेशिक और सर्वसमावेशी था। लेकिन कई तथ्य सामने नहीं आए, दब गए। स्वतंत्रता सेनानियों ने संगठित संपन्न भारत का स्वप्न देखा था, उसे साकार रूप देने का कार्य वर्तमान पीढ़ी को करना चाहिए। इस दृष्टि से मध्यभारत प्रान्त में महत्वपूर्ण कार्य हुआ है। पुस्तक प्रकाशन, पुस्तक चर्चा, व्याख्यानों एवं संगोष्ठियों सहित विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से भारत के स्वाधीनता आन्दोलन की जानकारी समाज के बीच पहुँचाने के प्रयास हुए हैं।

हर जिले में आदर्श ग्राम का लक्ष्य :
स्वयंसेवकों ने पहल करके समाज की सज्जनशक्ति के सहयोग से समाज परिवर्तन के कार्य को परिणामकारी ढंग से आगे बढ़ाया है। हम देश के हर जिले में एक गांव को आदर्श गांव बनाना चाहते हैं। अभी देश में लगभग 350 प्रभात गांव और 1360 उदय गांव हैं, जहां कुछ परिवर्तन दिखता है। ऐसे ही परिवार प्रबोधन, सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण और गौ सेवा-संवर्धन के क्षेत्र में स्वयंसेवक कार्य कर रहे हैं।

भारत को स्वावलंबी बनाने का प्रस्ताव :
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में ‘भारत को स्वावलम्बी बनाने हेतु कार्यों के अवसर बढ़ाना आवश्यक’ शीर्षक से एक प्रस्ताव भी पारित किया गया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता, मानवशक्ति की विपुलता और अंतर्निहित उद्यमकौशल के चलते भारत अपने कृषि, विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों को परिवर्तित करते हुए कार्य के पर्याप्त अवसर उत्पन्न कर आत्मनिर्भर बनाने की क्षमता है। इस क्षमता का सदुपयोग करने के लिए एक तरफ सरकार की योजना होनी चाहिए, साथ ही समाज की कर्मण्यता भी बढ़नी चाहिए। मध्यभारत प्रान्त में भी कौशल विकास, रोजगार एवं स्वरोजगार उपलब्ध कराने के प्रयास समाज के साथ मिलकर किये जा रहे हैं।