France Violence: प्रधानमंत्री है या कामवाली बाई?- एक साल में चार चार!

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France Violence: प्रधानमंत्री है या कामवाली बाई?- एक साल में चार चार!

डॉ. प्रकाश हिंदुस्तानी
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हमारे यहाँ तो कामवाली को भी ऐसे नहीं बदला जाता? जैसा फ़्रांस में चल रहा है। हद ही हो गई ! एक साल में चार-चार प्रधानमंत्री !
नेपाल के बाद अब फ़्रांस सुलग रहा है। फ़्रांस में राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक असंतोष चरम पर है। जनता आर्थिक संकट, भ्रष्टाचार और सरकार की नीतियों के खिलाफ सड़कों पर उतर रही है।
नेपाल में भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शन सोशल मीडिया पर वायरल हुए, और फ्रांस में ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ आंदोलन टिकटॉक और X जैसे प्लेटफॉर्म्स पर शुरू हुआ। फ्रांस के प्रदर्शनकारियों ने नेपाल के आंदोलनों से प्रेरणा लेने की बात कही है, खासकर भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुटता दिखाने के लिए।
फ़्रांस में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों द्वारा सेबास्टियन लेकोर्नू को नया प्रधानमंत्री नियुक्त करने के बाद लोगों ने आग उगली। सोशल मीडिया में लिखा जा रहा कि हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशनों, मॉल्स आदि को आग में झोंक दो।
यह नियुक्ति पूर्व प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरो के इस्तीफे के बाद हुई, जिन्हें संसद में बहुमत न मिलने और £35 अरब की बजट कटौती के प्रस्ताव के कारण हटना पड़ा।
प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर आगजनी कर ट्रैफिक को रोकने की कोशिश की, जिसे पुलिस और दमकलकर्मियों ने हटाया।
सरकार द्वारा प्रस्तावित बजट कटौती, विशेष रूप से आर्थिक घाटे को कम करने के लिए उठाए गए सख्त कदम, जनता को मंजूर नहीं हैं। इन नीतियों का असर गरीबों पर पड़ने की आशंका ने असंतोष को और भड़का दिया है।
‘ब्लॉक एवरीथिंग’ आंदोलन का उद्देश्य सड़कों, रेलवे स्टेशनों और चौराहों को जाम कर सब कुछ बंद करना है। इस आंदोलन ने देशभर में परिवहन व्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया और हिंसा को बढ़ावा दिया। आगजनी, लूटपाट सामान्य बात हो गई है। करीब 80,000 सुरक्षाबल तैनात हैं, आंसूगैस छोड़ी जा रही है। त्राहिमाम त्राहिमाम हो रहा है।