Free Transactions from UPI are Over : अब UPI पर फ्री ट्रांजैक्शन का दौर खत्म, कुछ ट्रांजेक्शन पर चार्ज लगेगा!

सरकार सब्सिडी खत्म कर रही, कंपनियां अब ट्रांजेक्शन की फीस वसूलेगी!

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Free Transactions from UPI are Over

Free Transactions from UPI are Over : अब UPI पर फ्री ट्रांजैक्शन का दौर खत्म, कुछ ट्रांजेक्शन पर चार्ज लगेगा!

New Delhi : सालों से देश में यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) का कोई विकल्प नहीं बन पाया। छोटे वेंडर्स से लगाकर बड़े मॉल तक, सभी ने इसे अपनाया। लेकिन, अब यूपीआई के ‘फ्री’ होने का दौर खत्म हो सकता है। आने वाले दिनों में यूपीआई ऐप्स अपनी लागत का बोझ ग्राहकों पर डाल सकते हैं।

अभी तक सरकार ने ₹2000 से कम के यूपीआई ट्रांजैक्शन्स पर सब्सिडी देकर इसे फ्री बनाए रखा था। लेकिन, अब सरकार इस सब्सिडी को खत्म कर रही है। इससे कंपनियों को अपने खर्च पूरे करने के लिए नए रास्ते तलाशने होंगे। इस वजह से Google Pay, Paytm और PhonePe जैसे यूपीआई ऐप्स अब कुछ ट्रांजैक्शन्स पर चार्ज लगाने की तैयारी कर रहे हैं। Google Pay ने डेबिट और क्रेडिट कार्ड से किए गए ट्रांजैक्शन्स पर 0.5% से 1% तक चार्ज लेना भी शुरू कर दिया। इसी तरह, Paytm और PhonePe ने मोबाइल रिचार्ज जैसी सर्विसेज़ पर फीस लेना शुरू किया है। अभी फ्री रहे यूपीआई सिस्टम में ये एक बड़ा बदलाव होगा।

बढ़ता वित्तीय बोझ

यूपीआई ट्रांजैक्शन्स को फ्री बनाए रखने के लिए सरकार को हर साल भारी खर्च उठाना पड़ता था। सिर्फ पर्सन-टू-मर्चेंट (पी2एम) ट्रांजैक्शन्स पर ही सरकार करीब ₹12,000 करोड़ खर्च कर रही थी, जिसमें से ₹4,000 करोड़ केवल ₹2000 से कम के ट्रांजैक्शन्स पर खर्च हो रहे थे।

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सब्सिडी कम करने का फैसला 

– 2023: ₹2,600 करोड़

– 2024: ₹2,484 करोड़

– 2025: सिर्फ ₹477 करोड़ (सब्सिडी में कटौती)

अब जब ये सब्सिडी हट रही है, तो यूपीआई कंपनियां इसकी भरपाई ग्राहकों से वसूलने की कोशिश कर सकती हैं। यूपीआई रोजमर्रा के जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है। एक आम यूजर अपनी 60-80% पेमेंट्स यूपीआई से करता है, चाहे वो मोबाइल रिचार्ज हो, बिजली का बिल भरना हो, पेट्रोल भरवाना हो या फिर इंश्योरेंस प्रीमियम चुकाना हो।

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अगर अब इन ट्रांजैक्शन्स पर चार्ज लगने लगे, तो यह आम जनता के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। खासकर उन लोगों के लिए जो रोज़ाना छोटे-छोटे ट्रांजैक्शन्स यूपीआई से करते हैं। फ्री और आसान होने की वजह से ही लोग यूपीआई को इतना पसंद करते हैं। लेकिन, अगर इसमें फीस जुड़ गई तो लोग दूसरे विकल्प तलाशने लगेंगे।