

Kissa-A-IAS: IAS Anju Sharma: 10वीं और 12वीं में फेल होने के बाद लिखी कामयाबी की कहानी
सुरेश तिवारी
असफलता ही सफलता की पहली सीढ़ी है, ये कोई मुहावरा नहीं सच्चाई है। कम से कम IAS Anju Sharma के मामले में तो इसे गलत नहीं कहा सकता। 10वीं और 12वीं में फेल होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने सपनों को पंख लगा दिए। अभिनेता विक्रांत मैसी की फिल्म ’12वीं फेल’ भले आईपीएस मनोज कुमार शर्मा की सच्ची कहानी पर बनी फिल्म थी। लेकिन, वे असफलता के बाद सफलता पाने वाले अकेले अफसर नहीं हैं। ऐसे कई अफसर हैं, जिन्होंने कई असफलताओं के बाद भी हार नहीं मानी और अपनी कोशिशों से सफलता की मिसाल पेश की। इनमें एक नाम IAS Anju Sharma का भी है। उनकी मां ने उनकी हिम्मत बढ़ाई और अंजू ने कॉलेज में स्वर्ण पदक हासिल किया। कहते हैं कि मुश्किल समय में माता-पिता कभी अपने बच्चों का साथ नहीं छोड़ते और अंजू के साथ भी उनकी मां डट कर खड़ी रहीं। इस कठिन समय के दौरान, उसकी मां ने उन्हें सांत्वना दी और प्रेरित भी किया।
चमत्कार तो तब हुआ, जब 22 साल की उम्र में अंजू ने अपने पहली बार में ही UPSC परीक्षा क्रेक की और गुजरात कैडर की IAS अधिकारी बन गईं। उन्होंने राजकोट में असिस्टेंट कलेक्टर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और गांधीनगर में कलेक्टर भी रही। अंजू की कहानी एक प्रेरणा है, जो असफलताओं से हार मान बैठता है। उन्होंने साबित किया कि मेहनत और दृढ़ संकल्प से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। उन्होंने अपनी सफलता की कहानी खुद गढ़ी। असफलता और नाकामी जैसे शब्दों को मिटाकर सफलता और कामयाबी में बदलने वाली अंजू शर्मा ने करियर में उन ऊंचाइयों को छू लिया जो अपने आप को साधारण सा मानने वालों के लिए बहुत मुश्किल काम लगता है।
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देश की सबसे कठिन परीक्षा यूपीएससी को माना जाता है। इस एग्जाम को क्रैक करना आसान नहीं है। कई बार बड़ी- बड़ी प्रतियोगी परीक्षा में सफलता पाने वाले भी इस परीक्षा में शामिल होते हैं, तो उन्हें सफलता हाथ नहीं लग पाती। लेकिन, अंजू शर्मा ने इस मिथक को तोड़ा और IAS बन गई।
सुनकर यह बात थोड़ी हैरान करने वाली लगती होगी, लेकिन हकीकत यही है। अंजू शर्मा ने महज 22 साल की उम्र में यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा पास की थी। अंजू शर्मा जब स्कूल में थीं, उस वक्त वे 10वीं कक्षा के प्री बोर्ड एग्जाम में केमिस्ट्री के पेपर में फेल हो गई थीं।
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इसके बाद उन्होंने खुद को संभाला और मेहतन की। इसके बाद वे जब 12वीं कक्षा में पहुंची तो यहां भी 12वीं कक्षा के इकोनॉमिक्स के पेपर में फेल हो गई। कमाल की बात तो यह कि इकोनॉमिक्स में फेल होने वाली अंजू ने बाकी विषयों में डिस्टिंक्शन हासिल किया। सुनने में बड़ा अटपटा सा लग सकता है लेकिन यह सच है। इसके बाद तो वे हताश हो गई। पर, उन्होंने हार नहीं मानीं और वे डटी रहीं। अपनी कमियों पर काम रहीं और उन्होंने जयपुर से बीएससी के बाद एमबीए किया।
अंजू ने एमबीए करने के बाद यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की। अपनी कमजोरियों पर काम करके अपनी तैयारी को इतना मजबूत कर लिया कि पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल कर ली। जब अंजू शर्मा ने यह परीक्षा क्रैक की, उस वक्त वे केवल 22 साल की थी।
भारतीय प्रशासनिक सेवा में 1991 बैच की इस अफसर ने राजकोट में असिस्टेंट कलेक्टर के पद से अपने करियर की शुरुआत की। आईएएस अंजू शर्मा का जन्म 1969 में राजस्थान में हुआ। उनके पति का नाम धर्मेंद्र शर्मा है। फिलहाल अंजू शर्मा गुजरात सरकार में अपर मुख्य सचिव लेबर, स्किल डेवलपमेंट और एम्प्लॉयमेंट के पद पर पदस्थ हैं। इससे पहले वे गांधीनगर में शिक्षा विभाग की प्रिंसिपल सेक्रेटरी के पद पर कार्यरत थी।
अंजू शर्मा गुजरात राज्य में कई जिलों की कलेक्टर और संभागीय कमिश्नर रही है। इसी के साथ वे राज्य सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों का दायित्व भी निभा चुकी है।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि आने वाले समय में अंजू कभी भी प्रदेश के सबसे बड़े प्रशासनिक पद मुख्य सचिव की कुर्सी पर बैठेगी।