कर्नाटक से मध्यप्रदेश तक, बजरंगबली की आहट…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बजरंगबली की एंट्री के साथ ही यह साफ हो गया है कि बजरंगबली अब बहुत जल्दी मतदाताओं का साथ छोड़ने वाले नहीं हैं। कर्नाटक का फैसला तो मई के दूसरे सप्ताह में आ जाएगा, लेकिन पांच माह बाद मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव तक बजरंगबली मतदाताओं के मन में हलचल पैदा करते रहेंगे। इसकी शुरूआत मध्यप्रदेश के जबलपुर से हो भी गई है। जबलपुर में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने 4 मई 2023 को कथित तौर पर कांग्रेस दफ्तर पर हमला किया और जमकर तोड़फोड़ की। बजरंग दल के कार्यकर्ताओं का यह उग्र विरोध कांग्रेस द्वारा कर्नाटक चुनाव के घोषणा पत्र में बजरंग दल को बैन किये जाने की घोषणा को लेकर है। बताया जा रहा है कि उग्र प्रदर्शनकारी हाथों में भगवा झंडा लहराते हुए कांग्रेस कार्यालय में घुसे और वहां पर तोड़फोड़ करने लगे। इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है। वहीं हमले के इस वीडियो को नकारते हुए बजरंग दल के एक नेता ने कहा कि संगठन के कार्यकर्ताओं ने बलदेव बाग इलाके में कांग्रेस कार्यालय के सामने शांतिपूर्ण विरोध किया। जिन लोगों ने कार्यालय में तोड़फोड़ की, वे हमारे संगठन के नहीं बल्कि कांग्रेस के कार्यकर्ता थे और अपने चेहरे को ढंके हुए थे।
विवाद का मूल कर्नाटक कांग्रेस द्वारा अगले चुनाव के लिए जारी किया गया घोषणा पत्र है। कांग्रेस द्वारा जारी घोषणापत्र में बजरंग दल और पीएफआई जैसे संगठनों को ‘नफरत फैलाने वाले’ बताया गया है और दोनों संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई है। विवाद की वजह कर्नाटक में कांग्रेस द्वारा सरकार बनने पर बजरंग दल पर बैन लगाना कदापि नहीं है। विरोध का कारण बजरंग दल की तुलना पीएफआई जैसे संगठन से करने को लेकर है। बजरंग दल कार्यकर्ताओं का मानना है कि बजरंग दल सामाजिक कल्याण, हिंदुओं की सुरक्षा और हिंदू संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए काम करता है और कांग्रेस ने उसकी तुलना पीएफआई से करके संगठन का अपमान किया है। अगर कांग्रेस मध्य प्रदेश की राजनीति में इसी मुद्दे को घसीटना चाहती है तो हम उसे उसी तरह जवाब देंगे।
पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएफआई) भारत का एक चरमपंथी इस्लामी गठबन्धन था। यह मुस्लिम अल्पसंख्यक राजनीति की एक चरमपंथी और विशिष्ट शैली में संलग्न था। हिंदुत्व समूहों से लड़ने के लिए गठित इस संगठन को भारतीय गृह मंत्रालय द्वारा गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत 28 सितंबर, 2022 को पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है। इससे पहले 22 सितंबर 2022 को एनआईए, ईडी और राज्यों की पुलिस ने कुल 15 राज्यों में रेड मारी और पीएफआई से जुड़े 106 लोगों को अलग-अलग मामलों में गिरफ्तार किया। टेरर फंडिंग और कैंप चलाने के मामले में जांच एजेंसी ने कार्रवाई की। दिल्ली में एनआईए ने पीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओएमएस सलाम और दिल्ली अध्यक्ष परवेज अहमद को गिरफ्तार कर किया है।
वहीं बजरंग दल एक महत्वपूर्ण हिन्दुत्व संगठन है। जो विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) की युवा शाखा है। यह आरएसएस के संगठनों के परिवार का सदस्य है। संगठन की विचारधारा हिन्दुत्व (हिन्दू राष्ट्रवाद) पर आधारित है। 8 अक्टूबर 1984 को उत्तर प्रदेश में स्थापित, यह तब से पूरे भारत में फैल गया है। हालाँकि इसका सबसे महत्वपूर्ण आधार देश का उत्तरी और मध्य भाग है। यह समूह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं के समान लगभग 2,500 अखाड़े चलाता है। “बजरंग” नाम हिन्दू राम भक्त हनुमान पर आधारित है। बजरंग दल का नारा है, सेवा, सुरक्षा और संस्कृति। दल का एक मुख्य लक्ष्य अयोध्या में भगवान श्रीरामजन्मभूमि मन्दिर, मथुरा में भगवान श्री कृष्णजन्मभूमि मन्दिर और वाराणसी में काशी विश्वनाथ मन्दिर का निर्माण करना है, जो वर्तमान में पूजा स्थल हैं। अन्य लक्ष्यों में साम्यवाद, मुस्लिम जनसांख्यिकीय विकास और ईसाई पन्थ परिवर्तन के साथ-साथ गाय के वध को रोकने के लिए भारत के “हिन्दू” पहचान की रक्षा करना शामिल है।
कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बजरंग दल को छेड़कर आफत ही मोल ली है। प्रतिक्रिया मध्यप्रदेश से आना शुरू हो गई है। वैसे भी कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम तो जल्दी आ जाएंगे। लेकिन बजरंग दल पर बैन घोषणा पत्र में शामिल करने के बाद कर्नाटक की यह सुनामी कर्नाटक में कितना असर दिखाती है, वह अलग बात है। पर इसका सही फैसला तो नवंबर-दिसंबर में ही होकर रहेगा। फिलहाल कर्नाटक से मध्यप्रदेश तक, बजरंगबली की आहट लगातार बनी रहेगी… जबलपुर में हुई घटना ने यही प्रमाण देने की कोशिश है।