Gadkari’s Views About Muslims : नितिन गडकरी ने कहा ‘मुस्लिम समुदाय से ज्यादा IAS और IPS निकलेंगे तभी समाज का भला!’

'मैं अपने तरीकों से काम करूंगा और यह नहीं सोचूंगा कि मुझे कौन वोट देगा और कौन नहीं!'

364
Gadkari's Views About Muslims

Gadkari’s Views About Muslims : नितिन गडकरी ने कहा ‘मुस्लिम समुदाय से ज्यादा IAS और IPS निकलेंगे तभी समाज का भला!’

Nagpur : पार्टी विचारधारा से अलग अपने विचारों को लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी हमेशा चर्चा में रहते हैं। शनिवार को उन्होंने कहा कि वे सार्वजनिक चर्चाओं में जाति और धर्म को नहीं लाते। उन्होंने कहा कि मैं ऐसा इसलिए करता हूं, क्योंकि मुझे विश्वास है कि लोग समाज की सेवा को सबसे ऊपर मानते हैं। मुस्लिम समाज को पढ़ाई की अहमियत बताते हुए गडकरी ने कहा कि अगर मुस्लिम समुदाय से ज्यादा इंजीनियर, आईपीएस और आईएएस निकलते हैं तो समाज का भला होगा।

नागपुर में ननमुदा संस्थान के दीक्षांत समारोह में बोलते हुए गडकरी ने कहा कि हम कभी धर्म और राजनीति को लेकर भेदभाव नहीं करते। मैं राजनीति में हूं और यहां बहुत कुछ कहा जाता है। लेकिन, मैंने तय किया मैं अपने तरीकों से काम करूंगा और यह नहीं सोचूंगा कि मुझे कौन वोट देगा और कौन नहीं। जाति को लेकर गडकरी ने अपना एक पुराना नारा भी बताया उन्होंने कहा कि मैं शुरू से ही कहता रहा हूं ‘जो करेगा जाति की बात, उसको मारूंगा लात।’ उन्होंने कहा कि मैंने चुनाव हारने या मंत्री पद जाने की कीमत पर भी ये रुख जारी रखा।

Also Read: Fraud: क्रिस गेल के नाम पर महिला से उसके भाई ने 2.8 करोड़ रुपये ठगे

मंत्री पद नहीं मिला तो मर नहीं जाऊंगा

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मेरे दोस्तों ने कहा कि आपको ऐसा नहीं कहना चाहिए था, लेकिन मैंने जीवन में इस सिद्धांत के साथ जीने का फैसला किया। अगर मैं चुनाव हार गया या मुझे मंत्री पद नहीं मिला तो मैं मर नहीं जाऊंगा।

Also Read: Hyderabad GAR Tower’s Fire: 6 IT कर्मचारी झुलसे, कुछ की हालत गंभीर

पुराने दिनों को याद किया 

इस दौरान गडकरी ने याद किया कि जब वह एमएलसी थे तो उन्होंने अंजुमन-ए-इस्लाम संस्थान (नागपुर) इंजीनियरिंग कॉलेज की अनुमति दी। उन्होंने कहा कि मुझे महसूस हुआ कि मुस्लिम समाज को इसकी जरूरत थी. केंद्रीय मंत्री न कहा कि अगर मुस्लिम समुदाय से ज्यादा से ज्यादा इंजीनियर, आईपीएस, आईएएस अधिकारी निकलते हैं तो सभी का विकास होगा। हमारे पास पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का उदाहरण है। आज हजारों छात्र अंजुमन-ए-इस्लाम के बैनर तले इंजीनियर बन चुके हैं। अगर उन्हें पढ़ने का अवसर नहीं मिलता तो कुछ भी नहीं होता। शिक्षा की यही शक्ति है। यह जीवन और समुदायों को बदल सकती है।