गांधी तुम्हें समर्पित सेवन स्टार, फाइव स्टार और स्वच्छतम राज्य मध्यप्रदेश का उपहार …

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गांधी तुम्हें समर्पित सेवन स्टार, फाइव स्टार और स्वच्छतम राज्य मध्यप्रदेश का उपहार ...
बात तो इंदौर शहर से ही शुरू होगी, क्योंकि इंदौर ने साबित कर दिया है कि स्वच्छता के मामले में वह देश में नंबर वन के ताज का स्थायी हकदार है। स्वच्छता का सिक्सर मारकर पहला सेवन स्टार तमगा हासिल करने वाले पहले शहर इंदौर तुम पर प्रदेश की साढ़े आठ करोड़ आबादी को गर्व है। इससे बढ़कर कुछ नहीं हो सकता है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पूरे देश में स्वच्छता के इंदौर मॉडल को लागू करने का सुझाव दे दिया है। राष्ट्रपति की ऐसी सेवन स्टार प्रशंसा हासिल करना यानि सब कुछ हासिल करने जैसा ही है। जिसके सही हकदार वह हजारों सफाई मित्र हैं, जिन्होंने साबित कर दिया है कि वह अस्वच्छता के स्थायी शत्रु हैं। तो वह लाखों नागरिक हैं, जिन्होंने ठान लिया है कि सफाई के मामले में कोई समझौता नहीं करेंगे। इसी जिद संग जिन्होंने राष्ट्रपिता के उस सपने को साकार कर दिया है, जो शहरों और देश की स्वच्छता के लिए उन्होंने 20वीं सदी में देखा था और उनका यह सपना 21 वीं सदी में पूरा हो रहा है।
गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 में पैदा हुए गांधी का यह सपना साकार करने का असली हकदार कोई है, तो वह मोदी है…हां वही गुजरात का नरेंद्र दामोदरदास मोदी जो प्रधानमंत्री बनने के बाद ऐनक के एक पलड़े पर स्वच्छ और दूसरे पर भारत लिखकर हाथ में झाड़ू थामकर बोला था कि शहर-शहर और गांव-गांव को स्वच्छ बनाकर गांधी के सपने में रंग भरना है। और उस समय बहुतों के मन में आया होगा कि नौटंकी करने में नंबर वन है देश का यह मोदी। पर उसी समय मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज ने भी गांठ बांध ली थी कि गांधी-मोदी के इस सपने को साकार करने में दिल से कोई कसर नहीं छोड़ेगा यह ह्रदय प्रदेश। वैसे बहुतेरे लोग शिवराज को भी नौटंकीबाज़ कहने से बाज नहीं आए होंगे। पर मोदी-शिव की उम्मीदों पर मध्यप्रदेश का इंदौर शहर नंबर वन का स्थायी तमगा हासिल कर सिक्सर मार चुका है तो पहला सेवन स्टार शहर बनकर पूरे देश में धूम मचा रहा है। वहीं राजधानी भोपाल भी स्वच्छता में छठे नंबर पर विराजकर प्रदेश की शान बढ़ा रही है। कचरामुक्त शहर की श्रेणी में फाइव स्टार शहर का तमगा राजधानी भोपाल के गले में भी चमचमा रहा है। तो देश में स्वच्छता की स्व-संवहनीय राजधानी का गौरव हासिल कर मध्यप्रदेश के नाम में चार चांद लगा रहा है। और टॉप 100 में मध्यप्रदेश के 30 शहरों का शामिल होना यह जता रहा है कि हम जो काम करते हैं, वह दिल से ही करते हैं। और इस मामले में मध्यप्रदेश वास्तव में अजब है गजब है…प्रदेश की स्वच्छता की उपलब्धियां यह चीख-चीखकर कर चिल्ला रही हैं कि हां हम स्वच्छता में नंबर वन प्रदेश हैं। और चाहकर भी कोई हमारे पीछे मुढ़ने की चाह मन में न पाले, क्योंकि हम हारी बाजी जीतने का हुनर रखते हैं और जीत का हार गले से कभी उतारते नहीं हैं।
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हमारे मध्यप्रदेश के शहरों की खास बात यही है कि इंदौर की चकाचौंध में प्रदेश के दूसरे शहरों की आंखें बंद नहीं हुई, बल्कि बड़े मियां तो बड़े मियां और छोटे मियां सुभान अल्लाह… की तर्ज पर अपना फर्ज पूरी शिद्दत से अदा कर रहे हैं। इसी का नतीजा है कि स्वच्छतम सौ शहरों में प्रदेश के शहरों का बोलबाला है। सौ स्वच्छ शहरों में तीस फीसदी पर मध्यप्रदेश ने कब्जा जमा लिया है और उसकी खुशी प्रदेश को बड़े राज्यों की श्रेणी में अव्वल लाने में बदल गई। इंदौर में महापौर पुष्यमित्र भार्गव के हिस्से में विरासत को यथावत बनाए रखने और उसमें चार चांद लगाने की है। जिस पर वह खरे उतरेंगे, यह तय है। लालने के पांव पालने में जो दिखाई पड़ जाते हैं। नवाचारों का सिलसिला जारी है। प्राथमिकताएं देखो तो लगता है कि पांच साल में जैसे चांद को ही शहर में लाने की तैयारी है। तो भोपाल महापौर मालती राय के सामने चुनौती है कि इंदौर को नंबर वन पर काबिज रहने भी दें, तब भी दूसरा नंबर तो किसी सूरत में अपने पास से दूर न जा पाए। तो चुनौती दो कदम बढ़ाकर पांच की जगह सात सितारा होने की भी है। नगरीय निकाय मंत्री भूपेंद्र सिंह का जादू चलता रहेगा, यह भरोसा करना ही पड़ेगा क्योंकि भरोसा कायम है।
तो चुनौतियों और उपलब्धियों का दौर चलता रहे। एक लाख से कम और एक लाख से ज्यादा आबादी वाले शहर सफाई की चमक से रोशन हो जाएं। राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गाँधी को जयंती की पूर्वसंध्या पर प्रदेश ने 2022 में  सेवन स्टार, फाइव स्टार और स्वच्छतम मध्यप्रदेश की सौगात दी है। बापू फिलहाल सेवन स्टार और नंबर वन का सिक्सर, फाइव स्टार और छठवां स्थान के साथ स्वच्छतम मध्यप्रदेश का उपहार स्वीकार करो और यह वादा है कि चुनावी साल में भी अगले बरस आचार संहिता संग उपहारों की भेंट का सिलसिला जारी रहेगा।