भोपाल. मध्यप्रदेश में संगठित अपराधों और इनसे जुड़े असामाजिक तत्वों पर अंकुश लगाने राज्य सरकार प्रदेश में गैंगस्टर एक्ट लागू करने की तैयारी में है। इसका प्रारुप तैयार हो गया है, इसके दुरुपयोग को रोकने और कुछ मसलों पर उलझन है,इसके चलते इसे अभी होल्ड किया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने जल्द ही इसका प्रेजेंटेशन होना है। उसके बाद इसे प्रदेश में लागू किया जाएगा।
मध्यप्रदेश में गैंगस्टर एक्ट तैयार करने के लिए गृह विभाग ने उत्तरप्रदेश में इससे जुड़े कानून का विस्तृत अध्ययन कराया है। इसके प्रावधानों को शामिल करते हुए मध्यप्रदेश में मध्यप्रदेश गिरोहबंदी और समाज विरोधी कार्यकलाप निवारण विधेयक का प्रारुप तैयार किया गया है। विधि विभाग से इसके कानूनी पहलुओं का परीक्षण भी करा लिया गया है। उत्तरप्रदेश में 1983 से यह एक्ट लागू है।
गृह विभाग ने विधि विभाग से भी इसके कानूनी पहलुओं का परीक्षण कराया है। अभी कुछ मामलों में उलझन की स्थित बन रही है इसलिए इनका समाधान करने के बाद इसे मुख्यमंत्री के सामने प्रस्तुत किया जाएगा।
लागू करने में यह है उलझन
गैंगस्टर एक्ट को लागू करने के बाद इसके दुरुपयोग की संभावनाएं भी बढ़ जाएंगी। पुलिस कभी भी एक से अधिक लोगों को किसी अपराध में शामिल बताकर उस पर कार्यवाही कर सकेगी। इसमें आरोपी को ही प्रमाणित करना होगा कि वह इस अपराध में शामिल नहीं है। गैंग की परिभाषा क्या होगी। इसके लिए एसओपी क्या रहेगी। गैंगस्टर का थानों में रिकार्ड कैसे बनेगा। क्या पहली बार अपराध करने वाले इसके दायरे में आएंगे या लगातार इस तरह के अपराधों से जुड़े लोगों को इसके दायरे में लिया जाएगा। एक्ट का दुरुपयोग न हो सके इसके लिए भी एक्ट में प्रावधान करना है। इसलिए इसे फिलहाल रोका गया है। ये सभी प्रावधान किए जाने के बाद ही इसे सीएम के सामने प्रस्तुत किया जाएगा।
इस तरह के अपराधों पर लगेगा अंकुश
इस अधिनियम में वे सभी अपराध शामिल किए जाएंगे जिनमें एक से अधिक व्यक्त्यिों की भूमिका होती है। नकली दवाओं का कारोबार, ड्रग्स , अवैध हथियार का निर्माण और व्यापार, मिलावटी शराब, अवैध खनन तथा गिरोह बनाकर व्यापारियों से अड़ीबाजी करने से जुड़े मामलों में इसके जरिए अंकुश लगाया जाएगा।
आय से अधिक सम्पत्ति राजसात कर सकेंगे कलेक्टर
इस एक्ट में यह प्रावधान किया जा रहा है कि कलेक्टर आरोपितों की सम्पत्ति की जांच करा सकेंगे। यदि घोषित आय के स्रोतों से अधिक सम्पत्ति होना प्रमाणित होता है तो उसे राजसात किया जा सकेगा। इसके अलावा इस एक्ट के दायरे में आने वाले आरोपितों से पूछताछ के लिए पुलिस को दो माह की रिमांड अवधि दी जाएगी। पूछताछ के लिए ज्यादा समय मिलने से पुलिस प्रभावी कार्यवाही कर पाएगी।न्यायालय में अलग से सुनवाई की व्यवस्था रहेगी ताकि ऐसे मामलों में तेजी से निर्णय लिया जा सके।गवाहों की सुरक्षा के प्रावधान भी रहेंगे।इसमें शामिल आरोपियों को न्यायालय से जमानत भी नहीं मिल सकेगी।
इस संबंध में अपर मुख्य सचिव गृह डॉ राजेश राजौरा संगठित अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए राज्य सरकार गैंगस्टर एक्ट बनाने जा रही है। अभी एक्ट में यह प्रावधान करना बाकी है कि इसका दुरुपयोग कैसे रुकेगा। यह सब शामिल करके फिर मुख्यमंत्री के सामने प्रस्तुतिकरण होगा। उनकी मंजूरी के बाद इसे विधेयक के रुप में पेश कर पारित कराया जाएगा फिर यह एक्ट मध्यप्रदेश में लागू हो सकेगा।