Gomatgiri : 24 संगमरमर के मंदिर जो जैन धर्म के सभी 24 तीर्थंकरों को समर्पित हैं.

2074

दिगम्बर जैन तीर्थ गोम्मटगिरी :

24 संगमरमर के मंदिर जो जैन धर्म के सभी 24 तीर्थंकरों को समर्पित हैं

हमारे भारत देश के ह्रदय स्थल मध्यप्रदेश के स्वच्छतम शहर इंदौर की शान,दिगम्बर जैन समाज  का पावन तीर्थ    गोम्मटगिरी एक जैन तीर्थ स्थल है.यह मंदिर एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है .वर्ष १९८६ में पूज्यनीय आचार्य श्री विद्यानन्दजी के स्वप्न पूर्ति और ,हमारे अहोभाग्य से दर्शनीय जैन तीर्थ के रूप में प्राप्त हुआ एक अत्यंत रमणीय पवित्र स्थान है ।गोम्मटगिरी  एक प्रख्यात जैन तीर्थ है।

धार्मिक और पर्यटन की भी दृष्टी से यह अत्यंत मनोहारी स्थान, इंदौर हवाई अड्डा से गांधी नगर होते हुए  आगे बढ़ने पर  करीब डेढ़ किलोमीटर दूर है ,बिजासन माता मंदिर  के आगे जहां सुंदर हरे भरे पेड़ों की कतार दिखाई देने लगती है . यात्री गण  प्राकृतिकसौंदर्य के  दर्शन करआनंदित हो जाते है।पहाड़ी शुरू होते ही नीचे छोटासा ताल बन जाता है वर्षा ऋतु में जो अत्यंत ही आकर्षक दिखाई देता है .। मंदिर तक जाने के लिए सुंदर मनोमोहक  छोटी सी पहाड़ी पर घुमावदार पक्की सड़क बनी है,जिसपर तीर्थ यात्री स्वयं के दुपहिया वाहन एवम गाड़ियों से पहाड़ स्थित मन्दिरों के दर्शन करने पहुँचते हैं।दर्शन करने को आतुर भक्तजन भक्तिभाव पूर्वक पहाड़ी पर , सीढ़ियों के माध्यम से  पैदल भी यात्रा कर सकते हैं।यहां पर गाड़ी पार्किंग के लिए बहुत अच्छी जगह है और पार्किंग का कोई भी चार्ज नहीं है ।

        उपर पहुंचते ही यहां पर जैन धर्म के 24 तीर्थकारों के मंदिर एक लाइन से बने हुए हैं। प्रमुख मन्दिरजी में वीतरागी देव आदिनाथ प्रभु,पार्श्व नाथ भगवान के दर्शन करते ही मन को अपार आत्मिक सुख शांति मिलती है। पास में ही स्थित मन्दिरजी में रत्नों की और स्फटिक आदि की अद्भुत मूर्तियों के दर्शन पाकर भक्तगण मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।वहीं सामने की और बढ़ते हुए संगमरमर के २४ चैत्यालय एक कतार में जुड़े हुए,आडम्बर रहित २४ तीर्थंकर आदिनाथ भगवान से लेकर महावीर प्रभु के दर्शन कर मन अत्यंत प्रफुल्लित हो जाता है। २४ तीर्थंकरों के दर्शन के बीच में, चन्द्राकार रूप भगवान बाहुबली की खड्गासन मूर्ति के दर्शन कर मन तृप्त हो जाता है।ऐसा लगता है प्रभु के चरणों मे बैठे रहें।

 प्रभू के चरणों से लेकर भुजाओ तक वनस्पति की बेलें लिपट गई है. जंगल में एक वर्ष तक तप करते हुएइस तरह से लताओं का उन पर हार बन गया हो , इन सब से प्रभू  को कोई फर्क  नहीं पड़ता  वे जरा भी विचलित नहीं होते ।सिर्फ अपनी साधना में लीन रहते हैं ।

भावपूर्ण दर्शन भी हो जाते हैं,कर्नाटक प्रांत के गोमटेश्वर तीर्थ के जहां ऐसी ही मनोज्ञ मूर्ति बाहुबली भगवान की खड्गासन प्रतिमाजी है।यहाँ की प्रत्येक मूर्तियां भावपूर्ण,मन्द मन्द मुस्कुराती सन्देश दे रही है जीओ और जीने दो का।दर्शन करते करते ही मन इतना रम जाता है इस शांत सुरम्य वातावरण में कि, भावपूर्वक भक्त गण सिर्फ पूजन, ध्यान,भक्ति करते ही नजर आते है.

Gommatgiri Indore MP 640 425

गोमटगिरी

ऊपर गोलाई में घूमते हुए सभी तीर्थंकरों के दर्शन कर, आगे बढ़ते ही चौदवीं शताब्दी से लेकर अभी तक हुए आचार्यों के चरणों के दर्शन कर मन गदगद हो उठता है ,मन भक्ति भाव से भर जाता है, उनके द्वारा लिखित जिनवाणी, शास्त्रों के इतिहास पढ़कर । कितना बड़ा उपकार है उनका ! हमें कितनी अमूल्य निधि प्रदान कर गए हमारे गुरुजन ,जो पूरे विश्व को अहिंसा का सन्देश दे रही है।इसके बाद पूज्य शांति सागर महाराज जी अत्यंत वृद्ध अवस्था तक,आपने ३५ वर्ष मुनि जीवन मे २७ वर्ष २ माह २३ दिन अर्थात ९९३८ उपवास किए थे।ऐसे महान संत की मूर्तिके दर्शन कर तो मन बहुत प्रभावना करने लगता है।उनके आहार पानी त्याग उपवास के बाद भी कितना तेज!कितना कुछ ज्ञान दे गए हमारे सभी आचार्य अहिंसा धर्म का ,जिनधर्म का जिनवाणी के श्रुत अवतार के माध्यम से। बहुत उपकार है उन सभी महान तीर्थंकरों और आचार्यों का, जिनके दर्शन कर अत्यंत सुखानुभूति हो कर,अनायास ही मुख से निकल जाता है वाह क्या तीर्थ है.

0c6c01b2 f278 4f83 9fa5 d664b81f63e9

! जहां जैन धर्म का पचरंगी ध्वज लहरा रहा है । पास में ही मान स्तम्भ के दर्शन, जिसमे चहुंमुखी प्रभु विराजित किए गए हैं ,जो सीढ़ियों से पैदल आए यात्रियों को पूरे तीर्थ के दर्शन करवा देते हैं। कहते हैं मानस्तम्भ में विराजित भगवान के दर्शन करते ही भक्तगणों का मान गलित हो जाता है और अत्यंत शांत शालीन स्वभावी हो जाते हैं।सभी भगवान के दर्शन लाभ ले कर हम आगे बढ़ते हैं तो महान आत्मा के स्टेचू स्मारक के दर्शन होते हैं, आदरणीय जिन धर्मप्रेमी स्वर्गीय बाबुलालजी पाटोदी साहब के।जिन्होंने सिद्धांत चक्रवर्ती राष्ट्र सन्त पूज्यनीय विद्यानन्दजी के आशीर्वाद और स्वप्न दृष्टा के अथग प्रयासों से एवम धर्म प्रेमी जनता, दानदाताओं की प्रभावना से ,इस तीर्थ क्षेत्र में जिनधर्म की ध्वजा फहराकर ,करोड़ों वर्षोँ तक अहिंसा,दया,अपरिग्रह,सत्य,ब्रह्मचर्य का सन्देश देता रहे ऐसे तीर्थ स्थान का निर्माण किया ।

Indore News Video: गोम्मटगिरी विवाद में अब जैन संतों के समक्ष अपना पक्ष रखेगा गुर्जर समाज - Indore News Gurjar society will now present its side in front of Jain saints in

बहुत ही प्रसन्नता होती है जब हमारे पुण्योदय से मुनि संघ ,इस तीर्थ की धरती पर आकर प्रवचनों के माध्यम से , जैन धर्म की प्रभावना करते हैं और दूर दूर से आए भक्तगण धर्म लाभ लेते हैं।यहां ठहरने एवम शुद्ध जैन भोजन की उत्तम व्यवस्था हो जाने के कारण श्रद्धालु इस तीर्थस्थान पर कुछ समय रूककर धर्म लाभ भी लेते हैं। पहाडी पर से सूर्योदय,सूर्यास्त,पंछियों का मधुर कलरव , सावन ऋतु ,एवम स्वच्छतम हरे भरे इंदौर नगरी का प्राकृतिक सौंदर्य देख कर तो मन कह उठता है कि कितना सुरम्य,शांतिपूर्ण ,तीर्थस्थान है गोम्मटगिरी! जो जनजन्मान्तर अहिंसाधर्म ,वीतरागीता,क्षमादि दस धर्मों का सन्देश देता रहेगा। सचमुच अगर आत्मिक शान्ति और सुख पाना चाहते हो तो एक बार अवश्य ही इस दिगम्बर जैन तीर्थ गोमटगिरी के दर्शन करने पधारें। यहां से आप, आधा किलो मीटर दूरी पर अत्यंत सुंदर और विशाल, टोड़रलमल स्मारक ढाई द्वीप दिगम्बर जैन मन्दिर जी के दर्शन का लाभ भी ले सकते हैं।जैन मंदिर, जिसे पूरे भारत में “बसादी” के नाम से भी जाना जाता है, इंदौर में एक प्रमुख उपस्थिति है। दरअसल, इंदौर राजस्थान और गुजरात के बाहर सबसे बड़ी जैन आबादी का घर है। इंदौर में जैन मंदिर न केवल स्थानीय जैन समुदाय के लिए पूजा स्थल हैं, बल्कि अपनी ऐतिहासिक विशिष्टता, प्राचीन सांस्कृतिक विरासत और स्थापत्य भव्यता के लिए प्रमुख पर्यटक आकर्षण भी हैं।

 ऐतिहासिक महत्व : आचार्यश्री विद्यासागरजी की प्रेरणा से इसकी स्थापना हुई। पंचकल्याणक वर्ष 1986 में आचार्यश्री विद्यानंदीजी, आचार्यश्री विमलसागरजी और कई प्रमुख संतों की उपस्थिति में हुआ था। यह जगह सभी आधुनिक सुविधाओं से युक्त बेहद खूबसूरत है। त्रिकाल चौबीसी की मूर्तियाँ रत्नों की हैं और इन्हें अवश्य देखना चाहिए। वार्षिक मेला: मार्च का दूसरा रविवार। विशेष जानकारी: इंदौर में कई भव्य मंदिर हैं जिन्हें अवश्य देखना चाहिए।

0e83afa9 8c37 467b b700 04a3e95627f4प्रभा जैन इंदौर .सामाजिक कार्यकर्ता ,लेखक   

यात्रा संस्मरण : पूर्व का रोम गोवा