ताजगी से भरते हैं सुशासन-विकास के आयोजन…मिशन-2023 सामने है…

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मध्यप्रदेश सरकार ने दिल्ली में सुशासन एवं विकास रिपोर्ट 2022 पेश कर अपनी उपलब्धियों और नवाचारों को प्रकाशित किया। ऐसे आयोजन सरकार को ताजगी से भरकर और बेहतर करने की दिशा में सोच को आगे बढ़ाने में सहायक होते हैं। इस आयोजन के जरिए सरकार और शिवराज का फोकस मिशन-2023 पर है। शिवराज ने दिल्ली में अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाया और इससे बेहतर करने का मनोभाव प्रकट किया।
तो केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने साफ कर दिया कि आजादी के सौ साल पूरे होने के समय यानि 25 साल बाद की विकास रणनीति पर भाजपा सरकार का फोकस है। उन अफसरों को चिन्हित किया जा रहा है, जो 25 साल बाद पॉलिसी मेकर होंगे और अभी से उसी तरह से नीति-योजनाओं का खाका अपने दिमाग में रखकर काम करेंगे। निश्चित तौर से ऐसे आयोजनों का मकसद यही है कि विचारों से नई दिशा दिखे और जो किया है उससे आगे की सोच बने। तो शिवराज की तारीफ की, कि यह काम उन्हें करना है और शिवराज आगे निकल गए। शिवराज के नेतृत्व में ऐसे अफसरों की टीम भी जल्द सामने आ सकती है, जो 25 साल बाद मध्यप्रदेश के नीति-निर्माता बन कमाल करेंगे।
मुख्यमंत्री शिवराज को मंच से बार-बार मध्यप्रदेश के सबसे लंबे समय तक रहने वाले मुख्यमंत्री बताया जा रहा था। तब शिवराज का मत भी सामने आया कि लंबा समय नहीं, बल्कि यह महत्वपूर्ण है कि काम कैसा किया। और उन्होंने भाव प्रकट किया कि हम सारी दुनिया को मेहमान मानते हैं। भारत ने हजारों साल पहले ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का संदेश दिया था। उन्होंने बल दिया कि हम प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में लगातार काम कर रहे हैं।तो उपलब्धियां गिनाईं कि मध्यप्रदेश पहले बीमारू राज्यों की श्रेणी में आता था। हमारी सरकार में मध्यप्रदेश विकासशील राज्य तो बना ही, साथ ही अब यह विकसित राज्यों की श्रेणी में भी खड़ा होने के लिए तैयार है।
तीन लाख किमी सड़के बनी हैं। बिजली की उपलब्धता को बढ़ाकर 21,000 मेगावॉट किया है। ग्रीन और क्लीन एनर्जी पर फोकस है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में सबसे ज्यादा गुणवत्तापूर्ण काम मध्यप्रदेश ने किया है। दलहन और तिलहन के उत्पादन में मध्यप्रदेश नंबर वन है। गेहूँ के उपार्जन में हमने पंजाब और हरियाणा को पीछे छोड़ दिया है। मध्यप्रदेश का गेहूँ गोल्डन ग्रेन कहा जाता है। जितना बासमती चावल कनाडा और अमेरिका जाता है, उसमें कई बार दूसरे राज्य अपनी सील लगाकर बेचते हैं, लेकिन वह चावल हमारा होता है। 44 लाख 600 करोड़ का केन बेतवा प्रोजेक्ट भी मंजूर हो गया। मध्यप्रदेश में हमने सिंचित क्षेत्र को 43 लाख हेक्टेयर कर दिया है। हम मध्यप्रदेश में रिवर लिंकिंग कर रहे हैं। हमने 26,000 करोड़ रुपये की नई सिंचाई योजनाएँ स्वीकृत की हैं।
26 हजार करोड़ की नई सिंचाई योजना स्वीकृत की है, उसी के कुछ परिणाम रिपोर्ट में देखने को आये। मध्यप्रदेश आज देश में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। हमारे सकल घरेलू उत्पादन में 200% वृद्धि हुई है। हमारा पूंजीगत व्यय हम लगातार बढ़ा रहे हैं।अभी हमने 48000 करोड रुपए इंफ्रा के लिए रखा है। हमने कोविड के प्रबंधन का नया मॉडल बनाया। राज्य में केवल सरकार नहीं लड़ी, बल्कि पूरी जनता लड़ी, जिससे हम कोविड के संकट से उबरे। हमने इंफ्रा सेक्टर के लिए रु. 48,000 करोड़ का प्रावधान किया है। नलजल के लिए हम रु. 12,000 करोड़ खर्च करने जा रहे हैं।हमने जितने भी बड़े फैसले किये, वह हमने अकेले नहीं किये। हमने प्रदेश में महिलाओं की पंचायतें की। इसी से लाड़ली लक्ष्मी योजना निकली। आज इससे 43 लाख बेटियाँ लाभान्वित हुई हैं। हमने अलग-अलग क्षेत्रों की योजनाएँ बनाने के लिए अलग-अलग वर्ग के नागरिकों के साथ पंचायत की।
निर्णयों में भागीदारी ही सच्चे अर्थों में लोकतंत्र है। हमने मध्यप्रदेश में कानून बनाकर तय किया कि कोई भी सेवा तय समय में तय अधिकारी दे देंगे। अगर उतने दिनों में नहीं दिया तो उस अधिकारी पर जुर्माना लगाया जाएगा। इसके लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने मध्यप्रदेश को सम्मानित किया। कुपोषण मिटाने में हमने प्रगति की  है लेकिन हमें इसमें और काम करने की आवश्यकता है। इसके लिए आंगनवाड़ी अडाप्ट करने की व्यवस्था हमने की है।
मध्यप्रदेश में आजकल शहरों और गाँव में ‘गौरव दिवस’ मनाया जाने लगा है। इसमें तय होता है कि सभी लोग अपने गाँव और शहर के लिए क्या-क्या कर सकते हैं। हमने मध्यप्रदेश में सीएम राइज़ स्कूल खोलना प्रारंभ किया है। 20-25 गाँव के बीच में एक स्कूल बनेगा। रु. 24 करोड़ की लागत से बिल्डिंग बनेगी जिसमें लैब, लाइब्रेरी, प्लेग्राउंड और स्मार्ट क्लास होंगी। बच्चे बस से स्कूल जाएंगे। गरीबों के बच्चों को भी प्राइवेट स्कूल जैसी सुविधाएँ देंगे। महिला-पुरूष जनसंख्या अनुपात बढ़ा है और इसे बराबरी पर लाकर रहेंगे।
निश्चित तौर से उपलब्धियों पर फोकस करने के साथ ही ऐसे आयोजन यह भी कहते नजर आते हैं कि एक साल बाद भी रिपोर्ट पेश करनी पड़ेगी। इसके लिए तैयारी को चाक-चौबंद रखो। तो विपक्ष की प्रतिक्रिया भी सामने आ जाती है। यह भी सच्चे लोकतंत्र की निशानी है। निंदक नियरे राखिए आंगन कुटी छबाय…की भूमिका विपक्ष ही निभाता है। जब शिवराज सुशासन रिपोर्ट पेश कर रहे थे, तब भोपाल में नाथ, पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष, पूर्व नेता प्रतिपक्ष, पूर्व मंत्रियों और वरिष्ठतम नेताओं के साथ बैठकर मिशन-2023 की रणनीति पर चर्चा कर रहे थे। तो 2023 की तैयारियां भाजपा-कांग्रेस ने शुरु कर दी है। अंतर यह है कि कैडर बेस पार्टी भाजपा का संगठन और सरकार दोनों ही दौड़ लगा रहे हैं, तो कांग्रेस नाथ के इर्द-गिर्द केंद्रित होकर ही दौड़ती नजर आती है।