अलविदा शहीद जितेन्द्र कुमार वर्मा, प्रदेश की माटी तुम्हें नमन करती है …

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हैलीकॉप्टर दुर्घटना में सीडीएस जनरल विपिन रावत के साथ शहीद हुए सीहोर जिले के वीर सपूत जितेंद्र कुमार वर्मा की पार्थिव देह रविवार को पंचतत्व में विलीन हो गई। सीडीएस जनरल विपिन रावत के सुरक्षा अधिकारी सीहोर जिले के जितेंद्र कुमार वर्मा भी तमिलनाडु के कुन्नूर में हुई दुर्घटना में शहीद हो गए थे। शहीद जितेंद्र कुमार वर्मा की पार्थिव देह का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव सीहोर जिले के धामंदा में हुआ। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, मंत्री विश्वास सारंग, विधायक रामेश्वर शर्मा और भाजपा कार्यकर्ताओं ने भोपाल एयरपोर्ट पर शहीद को श्रद्धासुमन अर्पित किए तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शहीद के गांव धामंदा पहुंचे। परिजनों से मिले, शहीद की पत्नी को सांत्वना दी और सरकार की तरफ से शहीद को वह सब देने की घोषणा की, जिसका प्रावधान मध्यप्रदेश सरकार ने किया हुआ है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने शहीद जितेंद्र कुमार वर्मा के परिवार को एक करोड़ रुपये की सम्मान निधि प्रदान करने, शहीद की पत्नी को सरकारी नौकरी देने, शहीद के बच्चों की पढ़ाई का पूरा खर्च सरकार द्वारा वहन करने, शहीद की प्रतिमा लगाने एवं स्थानीय स्कूल का नामकरण शहीद के नाम पर किये जाने की घोषणाएं की हैं। निश्चित तौर से शहीद के जाने की भरपाई संभव नहीं है और शहादत का कोई मोल नहीं लगाया जा सकता, लेकिन सरकार शहीद के परिवार के प्रति अपनी संवेदनशीलता का प्रकटीकरण भी कर रही है तो अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन भी कर रही है। इसके लिए सरकार साधुवाद की पात्र है। शहीद जितेंद्र तुमने वास्तव में सीडीएस बिपिन रावत के सुरक्षा अधिकारी का फर्ज निभाते हुए शहीद होकर मध्यप्रदेश की माटी का गौरव बढ़ाया है। तुम्हारी शहादत को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। मध्यप्रदेश की माटी तुम्हें शत-शत नमन करती है और तुम्हारी शहादत की इबादत करती है। अभी तुम्हें अपने परिवार के प्रति फर्ज निभाना था, लेकिन कुदरत को शायद कुछ और ही मंजूर था। पर हम सभी के लिए यह गर्व की बात है कि सीडीएस को तुम सा सुरक्षा अधिकारी मिला, जिसने न केवल मध्यप्रदेश का मान बढ़ाया है बल्कि शान में हजार गुना इजाफा भी किया है।
आज धामंदा गांव का नाम राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक पहचान बन गया है। शहीद जितेंद्र तुमने इस माटी का कर्ज उतार दिया है। धामंदा गाव में अपने लाड़ले वीर सपूत को अंतिम विदाई देने उमड़ा जनसैलाब इसकी गवाही दे रहा था। पूरे सैनिक सम्मान के साथ शहीद को अंतिम विदाई दी गई। भोपाल से उनके गांव धामंदा तक श्रद्धांजलि देने के लिए रास्ते भर लोग उमड़े। डेढ़ साल के बेटे चैतन्य को तो यह भी नहीं पता कि पिता कितनी दूर चले गए हैं। और मां सुनीता को ही अब उसके लिए मां-पिता की बड़ी जिम्मेदारी का निर्वहन करना है। जितेंद्र तुम्हारी कमी तुम्हारे परिवार के साथ-साथ तुम्हारे गांव, जिले, प्रदेश और देश को बहुत खलेगी। अब तुम्हारा विस्तार परिवार से बढ़कर पूरे देश तक हो गया है। बस यही कहा जा सकता है कि ” ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना”।अलविदा शहीद जितेन्द्र कुमार वर्मा, प्रदेश की माटी तुम्हें बार-बार नमन करती है …और तुम्हारी शहादत को कभी नहीं भुला पाएगी।