

‘मिसाल’ बने ‘गोपाल’…मध्यप्रदेश में उनकी बराबरी पर कोई नहीं…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
पूर्व मंत्री, पूर्व नेता प्रतिपक्ष और रहली से नौ बार के अजेय विधायक पंडित गोपाल भार्गव सामूहिक कन्यादान विवाह-निकाह कराने में मिसाल बन गए हैं। 28500 कन्यादान का रिकॉर्ड बनाकर वह मध्यप्रदेश के इकलौते नेता हैं। और उनकी बराबरी पर न कोई और है, तो अब न कोई आगे बराबरी कर पाएगा। सामूहिक कन्यादान का रजत जयंती समारोह 1 मई 2025 को संपन्न हुआ। इसके साक्षी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव बने, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पत्र के माध्यम से शुभकामनाएं देकर परोक्ष रूप से सम्मेलन में सहभागी बनकर गौरवान्वित हुए और पंडित गोपाल भार्गव सहित करीब 3200 वर-बधुओं को गौरवान्वित किया। रजत जयंती वर्ष का ऐसा भव्य आयोजन, जिसे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दिव्य आयोजन की संज्ञा दी। तो वास्तव में अतिथियों के साथ मंच पर सैकड़ों वर-वधू के जोड़े दिव्यता का अहसास करा रहे थे, वहीं सामने बैठे हजारों नव वर-वधू के जोड़े अलौकिक दृश्य का दर्शन करा रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने खुले मन से स्वीकार किया कि ऐसा विहंगम दृश्य उन्होंने पहले कभी नहीं देखा। और देवता भी ऐसे क्षणों का साक्षी बनने को तरसते हैं। वास्तव में यह पूरे मध्यप्रदेश के लिए गर्व की अनुभूति थी। कन्यादान और हिंदू समाज तक ही गोपाल का प्रेम सीमित नहीं, बल्कि विधानसभा क्षेत्र सहित दूसरे जिलों की मुस्लिम बेटियों का सामूहिक निकाह का आयोजन भी उतनी ही आत्मीयता भरा और गर्वित करने वाला था। 105 मुस्लिम बेटियों के निकाह में राजधानी भोपाल से रहली पहुंचा जोड़ा भी शामिल था। और सामाजिक समरसता का यह भाव वास्तव में अनुकरणीय नजर आया। यहां मुस्लिम अभिभावक भी गोपाल भार्गव के प्रेम के आगे नतमस्तक नजर आए। वास्तव में यह पंडित गोपाल भार्गव की सतत साधना और समर्पण का ही परिणाम है। और इस परंपरा के निर्वाह की हिम्मत किसी में है तो वह उनके पुत्र अभिषेक भार्गव में ही है। वह पिता के इस भाव को साकार करने में दिन-रात एक कर उतनी ही आत्मीयता का अहसास नव वर-वधू को कराते हैं, तभी ऐसा अलौकिक दृश्य देखने को मिल पाता है। सरकारी मदद के अतिरिक्त पंडित गोपाल भार्गव अपनी धर्मबेटियों को खुद अपनी तरफ से भी दहेज का सामान देकर धर्म पिता का पूरा कर्तव्य निभाते हैं। पिछले तेईस साल से गढ़ाकोटा और रेहली विधानसभा के नागरिक इस पावन आयोजन के साक्षी बन रहे हैं। और गोपाल भार्गव की जनसेवा से जन-जन का मन प्रफुल्लित होने का ही परिणाम है कि अजेय गोपाल लगातार नौ बार विधायक बनने वाले मध्यप्रदेश के फिलहाल इकलौते नेता हैं।
देखा जाए तो ऐसे ही कोई गोपाल भार्गव नहीं बनता, बल्कि आचरण की शुद्धता ही उसे जनविश्वास जीतने के काबिल बना पाती है। पंडित गोपाल भार्गव अपने विधानसभा क्षेत्र को परिवार की तरह मानते हैं। तो जब उनके इकलौते बेटे अभिषेक भार्गव के विवाह का अवसर आया था, तब उन्होंने उसका विवाह भी सामूहिक कन्यादान विवाह सम्मेलन में ही कराया था। सभी बेटा-बेटी उनके लिए बराबर हैं, पंडित गोपाल भार्गव ने अपने आचार-विचार से यह साबित कर दिया है। सबसे बड़ी बात यह भी है कि अब मध्यप्रदेश में सामूहिक विवाह का ऐसा विहंगम और अलौकिक दृश्य फिर देखने को नहीं मिलेगा। वह इसलिए क्योंकि सरकार ने अब अधिकतम 200 विवाह का नियम बना दिया है। ऐसे में हजारों वर-वधू की उपस्थिति का यह रजत जयंती वर्ष अब पूर्ण हो चुका है। रजत जयंती सम्मेलन की उपलब्धि यह भी है कि पंडित गोपाल भार्गव की धर्म बेटियों के बच्चों का विवाह भी सालों से सामूहिक कन्यादान में संपन्न हो रहा है। और इससे बड़ा सुख एक धर्म पिता के लिए और क्या हो सकता है। पंडित गोपाल भार्गव अपनी धर्मबेटियों को पत्र लिखकर बेटियों से जीवन भर रिश्ता बनाए रखने की विनती करते हैं, तो भरोसा भी दिलाते हैं कि यदि कोई दु:ख हो तो धर्म पिता को बताना नहीं भूलना। धर्म पिता से जो भी मदद होगी, वह हमेशा करते रहेंगे। और यह भावुक होने की पराकाष्ठा ही है कि वह अपील करते हैं कि जब तक मैं जिंदा हूं तब तक रिश्ता निभाऊंगा और मेरे बाद बेटा अभिषेक भार्गव भी संबंधों की इस डोर को बनाकर रखेगा, टूटने नहीं देगा। सबसे बड़ी बात यह है कि अभिषेक भी जन-जन के मन में समाए हैं और पिता की राह पर जनसेवा को दिन-रात समर्पित भी हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने खुशी जताई कि गढ़ाकोटा में आयोजित सामूहिक विवाह कार्यक्रम में निकाह के साथ पुनर्विवाह भी हो रहे हैं। कल्याणियों का पुनर्विवाह एक अच्छी पहल है। यह पवित्र कार्य है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने जन-प्रतिनिधियों और समाजसेवियों से अपील करते हुए कहा कि वे कल्याणियों के पुनर्विवाह में उनका सहयोग करे। ताकि जिंदगी बोझ न बने और सरकार ऐसे विवाह को प्राथमिकता दे रही है। विधायक गोपाल भार्गव ने कहा कि धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक महाकुंभ में 3 हजार 219 से अधिक नवदंपत्तियों ने सात फेरे लिए हैं। मुझे अब तक 28 हजार से अधिक बेटियों के कन्यादान का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मेरे जीवन की अंतिम सांस तक बेटियों का कन्यादान करने का सिलसिला चलता रहेगा। कन्यादान विवाह समारोह समाज से भेदभाव मिटाने का कार्य भी कर रहा है। यहां सभी समाज के बच्चे साथ में विवाह बंधन में बंधकर सामाजिक भेदभाव मिटाने का शुभ संदेश दे रहे हैं।
तो यह कहा जा सकता है कि सामूहिक कन्यादान में रेहली विधानसभा के विधायक गोपाल भार्गव की बराबरी पर फिलहाल कोई नहीं है। वास्तव में गोपाल ने जनसेवा, सामाजिक समरसता और सामाजिक भेदभाव मिटाने की जो अनूठी मिसाल पेश की है…वह सामाजिक खुबसूरती की सुखद अनुभूति है।