पॉश्चर डिवाइस का पेटेंट पा लिया, अब इन्वेस्टमेंट की चुनौती सामने है…

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पॉश्चर डिवाइस का पेटेंट पा लिया, अब इन्वेस्टमेंट की चुनौती सामने है…

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की प्रसिद्ध फिजियोथैरेपिस्ट डॉ. रुचि सूद का नाम इन दिनों राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है। इसकी वजह है वह पॉश्चर डिवाइस जो डॉ. रुचि सूद ने आईआईटी कानपुर के अभिषेक वर्मा के साथ मिलकर ईजाद की है, उस डिवाइस को पेटेंट मिल गया है। यह खास उपलब्धि भोपाल की डॉ. रुचि सूद की ही है, क्योंकि पांच साल पहले यह डिवाइस बनाने का सपना अकेले डॉ. रुचि ने ही देखा था। और इस बीच 2019 में जब कोरोना शुरू हुआ, तब इसका काम बंद होने से वह डिप्रेशन में भी आ गईं। पर संतुष्टि पाने, शोध करने और पूरी दुनिया को दर्द से राहत देने का संकल्प पूरा करने आगे बढ़ती गईं और रास्ते मिलते गए। अब पेटेंट हासिल करने की बड़ी चुनौती से डॉ. रुचि पॉश्चर डिवाइस बनाकर पार पा गईं, पर जन-जन के हित वाली इस डिवाइस का उत्पादन करने की सबसे बड़ी चुनौती से वह दो-दो हाथ कर रही हैं। पेटेंट तो पा लिया मेहनत से, पर इन्वेस्टमेंट की बड़ी खाई से पार पाने की चुनौती का मुकाबला अब वह कर रहीं हैं। जब डिवाइस बने और मरीजों को पॉश्चर की गड़बड़ी से जनित समस्याओं से मुक्ति मिले, तब ही असल बात बने। चाहे सरकार हाथ आगे बढाए या फिर कोई आमजन के स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील निवेशक, डॉ. रुचि को बस अब उस दिन का बेसब्री से इंतजार है जब मेहनत को पंख लगेंगे और वह डिवाइस आमजन को स्वस्थ रखने की साथी बनेगी।
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पहले बात करें डिवाइस और पेटेंट पाने के बीच डॉ. रुचि सूद की लंबी यात्रा की। डॉ. रुचि का कहना है कि बचपन में उन्हें घर के लोग अक्सर टोकते थे कि झुककर चल रही हो। तब समझ नहीं आता था। पर जब डॉक्टर बनने की इच्छा पूरी नहीं हो पाई और भोपाल में पड़ोसी डॉ.मंगला करवडे की सलाह पर फिजियोथेरेपिस्ट बन गई, तब बचपन में गलत पॉश्चर की वह बात समझ में आई। फिर एक दिन एक मरीज ने पूछा कि सही पॉश्चर के लिए एलर्ट रहें, ऐसा कुछ उपाय है। तब जीवन में संतुष्टि पाने की यात्रा पॉश्चर डिवाइस रिसर्च के रूप में 2018 में शुरू हुई और पांच साल बाद 2023 में मंजिल मिल ही गई। इसके लिए 2018 में आईआईएम बैंगलोर के वूमंस इंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम के लिए मध्यप्रदेश ‌से सिर्फ 9 लोगों में चयनित हुईं। विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग और गोल्डमैन सेच फाउंडेशन के इस एक साल से शोध की शुरुआत हुई। दुनिया में तब ऐसी कोई डिवाइस नहीं थी, जो पॉश्चर के मर्ज को ठीक करने उपयोग लाई जा रही हो। एक डिवाइस पर काम हुआ था, पर वह बंद हो गई थी। डॉ. रुचि ने भोपाल-इंदौर से डिवाइस पर काम किया, पर फलदायी साबित नहीं हुआ। पर प्रोविजनल पेटेंट के लिए आवेदन 2018 में ही कर दिया था। 2019 में आईआईटी कानपुर में डिजाइनिंग प्रोटोटाइप बनाना सीखा। यहां प्रोफेसर रामकुमार से बात हुई और पीएचडी स्कॉलर अभिषेक वर्मा को आइडिया क्लिक कर गया। कोविड के बीच काम बंद रहा, डिप्रेशन हुआ, तब यूएसए से पॉश्चर रिहेब पर ऑनलाइन कोर्स किया। नेक एंगल्स, न्यूरो रिहेब, आई रिहेब के बारे में सीखा। कोविड के बाद बेलेंस कोआर्डिनेशन का कोर्स किया। फिर 2021 में काम शुरू किया, तब 2023 में डिवाइस तैयार हो गई और हाल ही में पेटेंट भी मिल गया। यह एक ऐसी डिवाइस है, जिसे कॉलरशेप में डिजाइन किया गया है। इसे इयरफोन और नेकबैंड के साथ इंटिग्रेट कर स्मार्ट डिवाइस बनाकर मार्केट में लाने की डॉ. रुचि की योजना है। यह डिवाइस बारीकी से शरीर के पॉश्चर का विश्लेषण करेगी और पॉश्चर सुधारने के लिए गाइडेंस देगी। ताकि समस्या पैदा होने से पहले ही इससे निजात भी मिलेगी। इस डिवाइस को क्लीनिकली मान्यता भी मिलेगी।
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डॉ. रुचि सूद का कहना है कि व्यक्ति को सिर दर्द होता है तो माइग्रेन की दवा लेने लगता है, जबकि समस्या गर्दन में होती है जो लोग समझ नहीं पाते। पॉश्चर सही न होने से आंखों, सांस लेने की समस्या, और अपर बैक-लोअर बैक पर इफैक्ट आता है। यह समस्याएं बाद में शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करती हैं। डॉ. रुचि सूद का दावा है कि उनकी रिसर्च और अभिषेक वर्मा की डिजाइनिंग से इजाद हुई कॉलरशेप पॉश्चर डिवाइस अब लोगों को पॉश्चर जनित समस्याओं से मुक्ति दिलाने में सक्षम होगी। यह डिवाइस समस्या का डायग्नोस कर गाइडेंस देगी। डॉ. रुचि सूद का कहना है कि पॉश्चर इज माई पे‌शन एंड पर्पज ऑफ लाइफ। चाहती हूं कि लोग गलत पॉश्चर से होने वाले दर्द के प्रति जागरूक रहें और दर्द को रोक पाएं। पर बात फिलहाल फिर वही आ जाती है कि डॉ. रुचि को गलत पॉश्चर से लोगों के जीवन में आने वाले दर्द से मुक्ति की डिवाइस का पेटेंट तो मिल गया, पर इन्वेस्टमेंट की चुनौती अभी उन्हें दर्द दे रही है…।