22 साल से नवाबी विवादों में रही 335 एकड़ ईदगाह हिल्स की जमीन के मामले में शासन के आदेश
भोपाल: भोपाल नवाब के स्वामित्व को लेकर 22 साल तक विवादों में रही ईदगाढ़ हिल्स की 335 एकड़ जमीन को राज्य सरकार ने धारणाधिकार नियम में लोगों को बांटने का फैसला किया है। राजस्व विभाग ने इसको लेकर तीन साल पहले बनाए गए धारणाधिकार नियम के आधार पर 19 अलग-अलग खसरों वाली भूमि को इस नियम से आवंटित करने के आदेश जारी किए हैं।
राजस्व विभाग द्वारा नगरीय क्षेत्रों की शासकीय भूमि के कब्जा धारकों के लिए 24 सितम्बर 2020 को लागू किए गए धारणाधिकार नियम के लिए भोपाल जिले की हुजूर तहसील की ईदगाह हिल्स की जमीन को चिन्हित किया गया है। इसको लेकर विभाग द्वारा 1356370 वर्गमीटर यानी 335.166 एकड़ जमीन के अलग-अलग 19 खसरों को नोटिफाई किया है। इसके लिए राज्य शासन ने खसरों की चतुर्दिक सीमा भी तय कर दी है ताकि शासन के फैसले के आधार पर कलेक्टर भोपाल द्वारा इस जमीन पर काबिज लोगों को धारणाधिकार नियम के आधार पर जमीन देने का निर्णय लिया जा सके।
इसलिए है यहां की जमीन पर विवाद
ईदगाह हिल्स की जमीन को लेकर विवाद 22 साल पुराना है। पूर्व कलेक्टर अनुराग जैन के कार्यकाल में इस जमीन को सरकारी घोषित किया गया था तब से लेकर साल दर साल इसके मुकदमे चले। नवाब के वारिसों की यह जमीन बार-बार बेची जा चुकी है और इस जमीन पर नामांतरण पर भी जिला प्रशासन ने रोक लगा रखी थी। यहां 600 एकड़ जमीन इसी के चलते विवादों में रही और डेढ़ दशक के अंतराल में लोगों को बैंकों से लोन तक नहीं मिले।
ये खसरे हुए हैं चिन्हित
धारणाधिकार नियम के अंतर्गत राजधानी के ईदगाह हिल्स के जो खसरे चिन्हित किए गए हैं, उसमें खसरा नम्बर 25/2, 26, 28/1/1ख, 44/2, 44/2, 94, 94, 96, 96, 96, 96, 99, 96-99, 100 101, 105 शामिल हैं। इसके साथ ही खसरा नम्बर 105/1/1, 105/1/1, 105/1/1, 105/1/1 की भी जमीन के अलग -अलग टुकड़े इसमें शामिल किए गए हैं। इसके चलते इन सबकी चारों तरफ की सीमाओं को चिन्हित किए जाने से धारणाधिकार में जमीन आवंटित करने की कार्यवाही में विवाद नहीं होगा।
यह है धारणाधिकार में प्रावधान
धारणाधिकार नियम में प्रावधान है कि नगरीय क्षेत्रों में शासकीय भूखंडों पर 31 दिसम्बर 2014 की स्थिति में काबिज लोगों से भू भाटक और प्रीमियम की राशि जमा कराकर उन्हें तीस साल के लिए स्थायी पट्टे दिए जाने हैं। भूखंड आवासीय होने की स्थिति में 150 वर्गमीटर तक के क्षेत्रफल के लिए बाजार मूल्य का पांच प्रतिशत प्रीमियम लेकर वार्षिक भू भाटक पर दिया जा सकेगा। अगर भूमि का टुकड़ा 200 मीटर तक है तो बाजार मूल्य का 10 प्रतिशत वसूला जा सकेगा। इससे अधिक होने पर बाजार मूल्य के 100 प्रतिशत के बराबर राशि जमा कराई जाएगी। इसमें शर्त यह है कि भूमि पर कब्जा 25 साल पुराना होना चाहिए। भूमि व्यवसायिक होने पर 20 वर्गमीटर तक बाजार मूल्य का 25 प्रतिशत, 100 वर्गमीटर तक 50 प्रतिशत, इससे अधिक होने पर बाजार मूल्य के 100 प्रतिशत के बराबर प्रीमियम लेकर वार्षिक भू भाटक पर भूमि का पट्टा दिया जा सकेगा।