

लग्जरी कार के शौक पर सरकार ने चलाई कैंची,अधिकारियों के गाड़ी रखने के नए नियम जारी
भोपाल: राज्य सरकार ने अधिकारियों के लग्जरी कार रखने के शौक पर कैंची चलाई है। कौन अधिकारी कितनी गाड़ी रखेगा, और किसी कीमत तक की टैक्सी का उपयोग करेगा, इसके नए नियम बनाए गए हैं। सामान्यतः एक अधिकारी के पास एक ही गाड़ी रहेगी।।
राज्य सरकार ने मध्य प्रदेश के सरकारी अधिकारियों के गाड़ियों के शौक पर नकेल कसने के लिए यह कार्रवाई की है।
देखा गया है कि प्रदेश में कई अधिकारियों की सेवा में एक से ज्यादा गाड़ियां लगी हुई हैं. वहीं कई अधिकारियों द्वारा नियमों से बाहर जाकर लग्जरी गाड़ियांं में सफर किया जा रहा है.
इसको लेकर मिली शिकायतों के बाद अब राज्य सरकार ने अधिकारियों के सरकारी गाड़ियों के उपयोग को लेकर नई गाइडलाइन जारी कर दी है. तय किया गया है कि सरकारी अधिकारी अब एक से ज्यादा गाड़ी उपयोग नहीं कर सकेंगे. साथ ही राज्य शासन अधिकारियों की गाड़ियों का रिकॉर्ड भी बुला रही है।
प्रदेश में सरकारी अधिकारियों के लिए गाड़ियों की पात्रता के संबंध में पहले से नियम तय हैं. नियम है कि 7600 ग्रेड पे पाने वाले अधिकारी साढ़े 6 लाख रुपए कीमत तक के टैक्सी कोटे के वाहन उपयोग कर सकते हैं. इसी तरह 8700 ग्रेड पे के अधिकारी 8 लाख रुपए कीमत तक के वाहन और 9 हजार या उससे ज्यादा ग्रेड पे पाने वाले अधिकारी 10 लाख रुपए कीमत तक के वाहन टैक्सी कोटे में ले सकते हैं. लेकिन इन नियमों का जमकर उल्लंघन किया जा रहा है.
सबसे ज्यादा शिकायतें निर्माण विभाग से जुड़े पीडब्ल्यूडी, नगरीय निकाय, जल संसाधन विभाग और नर्मदा घाटी विकास को लेकर मिली हैं. इसको देखते हुए संभाग स्तर तक से गाड़ियों के उपयोग और उनको हुए भुगतान की जानकारी मंगवाई गई है.
जल संसाधन विभाग ने गाड़ियों के उपयोग को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है.जल संसाधन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार विभाग के सभी अधिकारियों को गाड़ियों को लेकर नई निर्देश दिए गए हैं. अब प्रावधान किया गया है कि टैक्सी कोटे की गाड़ियों का मालिक प्रथम और द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों का रिश्तेदार नहीं होना चाहिए. यदि ऐसा पाया गया तो भुगतान होने वाली राशि से दोगुनी राशि वसूल की जाएगी. साथ ही किराए की गाड़ी सरकारी ड्राइवर द्वारा नहीं चलाई जाएगी।